logo

ट्रेंडिंग:

INS कदंब के पास मिली चाइनीज GPS ट्रैकर वाली चिड़िया, अधिकारियों ने क्या बताया?

कर्नाटक के कारवार बीच पर GPS डिवाइस लगा सीगल मिला है। इस पर विवाद शुरू होने से पहले वन अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि यह पक्षियों के माइग्रेशन को ट्रैक करने से जुड़ी एक वैज्ञानिक स्टडी का हिस्सा था।

Seagull bird with GPS

GPS ट्रैकर के साथ सीगल पक्षी, Photo Credit- X @Phenomenal2104

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

कर्नाटक के कारवार बीच से बुधवार (18 दिसंबर) को सुरक्षा से जुड़ा एक मामला सामने आया है। बीच पर एक सीगल (समुद्री पक्षी) मिला, जिसकी पीठ पर GPS डिवाइस लगा हुआ था। यह जगह भारतीय नौसेना के INS कदंब बेस के काफी पास है, जिससे सुरक्षा को लेकर सवाल उठे। इस मामले पर वन विभाग ने सफाई दी है। अधिकारियों के अनुसार, यह GPS डिवाइस पक्षियों के माइग्रेशन पैटर्न पर नजर रखने के लिए की जा रही एक वैज्ञानिक रिसर्च का हिस्सा था।

 

जिस पक्षी पर ट्रैकिंग डिवाइस लगा था, उसे वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर लिया है। स्थानीय लोगों ने पक्षी को देखकर तुरंत इसकी जानकारी अधिकारियों को दी। वन अधिकारियों ने बताया कि सीगल को हल्की चोट आई थी, जिसका इलाज किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें-  जहरीली हवा, यमुना में झाग, केजरीवाल को दोषी क्यों बता रही दिल्ली सरकार?

वन विभाग ने पूरे मामले पर क्या कहा? 

वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस मामले में उन्होंने श्रीलंका की वाइल्डलाइफ एंड नेचर प्रोटेक्शन सोसाइटी (WNPS) से संपर्क किया था। WNPS ने बताया कि यह ट्रैकर माइग्रेशन स्टडी के तहत पक्षी पर लगाया गया था। वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रैकर चीन में बना हुआ था लेकिन इसमें किसी तरह की निगरानी या जासूसी का कोई पहलू नहीं है। मीडिया में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि चूंकि पक्षी INS कदंब के पास मिला, इसलिए उसमें जासूसी कैमरा हो सकता है।

 

अधिकारियों ने साफ किया कि डिवाइस में कोई कैमरा नहीं था। ट्रैकर से मिले डेटा के अनुसार, सीगल आर्कटिक क्षेत्रों सहित 10,000 किलोमीटर से ज्यादा उड़ान भर चुकी थी, जिस कारण वह थककर घायल हो गई थी। ट्रैकर हटाने के बाद पक्षी को वन विभाग के कार्यालय ले जाया गया।

 

यह भी पढ़ें- हॉस्टल में दाल गिरने के कारण हुआ विवाद, छात्रों ने दोस्त की कर दी हत्या


वन विभाग ने दोहराया कि भले ही ट्रैकर चीन में बना हो लेकिन इसका सुरक्षा चूक से कोई संबंध नहीं है। साथ ही, लोगों से गलत जानकारी न फैलाने की अपील की गई। अधिकारियों ने बताया कि पक्षियों पर GPS टैग लगाना उनके  प्रवास रास्तों को समझने के लिए वन्यजीव अनुसंधान में एक सामान्य प्रक्रिया है।

Related Topic:#karnataka

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap