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46 साल से बंद पड़े मंदिर में तीसरे दिन खुदाई, 3 खंडित मूर्तियां बरामद

संभल में 46 साल से बंद पड़े मंदिर के कुएं की खुदाई के दौरान तीन खंडित मूर्तियां बरामद की गई। खुदाई के तीसरे दिन इस कुएं से एक खंडित मूर्ति निकली है।

Three idols recovered from the well

संभल मूर्तिया, Image Credit: Video Grab

उत्तर प्रदेश के संभल में 46 साल से बंद पड़े शिव-हनुमान मंदिर के पास स्थित कुएं से तीन मूर्तियां मिली हैं। वर्ष 1978 के बाद 14 दिसंबर को इस मंदिर को फिर से खोला गया था। इन प्रतिमाओं को पुलिस अपने साथ लेकर चली गई हैं। बता दें कि इस कुएं की करीब 20 फीट तक खुदाई हो चुकी है। सोमवार को बरामद की गई तीनों मूर्तियां खंडित हैं। 

 

यह खुदाई संभल के खग्गू सराय मोहल्ले में प्राचीन कुएं की गई। इस दौरान भगवान शिव, गणेश और माता पार्वती की तीन खंडित मूर्तियां मिलीं। पुलिस-प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मूर्तियों को अपने संरक्षण में ले लिया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) श्रीश चंद्रा ने बताया कि शिव-हनुमान मंदिर के पास प्राचीन कुएं की खुदाई के दौरान भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की टूटी हुई मूर्तियां मिली हैं।

 

क्या बोले संभल के अतिरिक्त पुलिस?

संभल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद्र ने कहा, 'ये टूटी हुई मूर्तियां हैं जो कुएं की खुदाई के दौरान मिली हैं। इनमें भगवान गणेश की एक मूर्ति है। दूसरी मूर्ति भगवान कार्तिकेय की लग रही है, अधिक जानकारी जुटाई जा रही है। कुएं में मलबा और मिट्टी थी। जब कुएं की खुदाई की गई तो मूर्तियां मिलीं। इलाके को सुरक्षित कर दिया गया है ताकि खुदाई सुचारू रूप से हो सके।'

 

सीसीटीवी कैमरे लगाए गए

संभल की उपजिलाधिकारी (एसडीएम) वंदना मिश्रा ने शनिवार को 46 साल बाद खुले मंदिर के मूल ढांचे को बहाल करने की योजना की घोषणा की। मंदिर परिसर की सफाई की गई है, बिजली की व्यवस्था की गई है और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। बता दें कि अतिक्रमण और बिजली चोरी के खिलाफ बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियान के दौरान शिव-हनुमान मंदिर की खोज की गई।

 

46 साल पुराना मंदिर 

दरअसल, यह मंदिर 46 सालों से बंद पड़ी थी। तीन दिन पहले ही इस ऐतिहासिक शिव मंदिर के कपाट खोले गए जहां विधिवत पूजा का आयोजन शुरू हुआ। 1978 के दंगे के दौरान यह मंदिर बंद पड़ गया था। मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण इस मंदिर की देखभाल नहीं हुई। शनिवार को पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने जानकारी मिलने पर मंदिर के कपाट खोलने के बाद साफ-सफाई कराई। मंदिर के पंडितों द्वारा विधि-विधान से पूजा हुई। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर 200 वर्षों से अधिक पुराना माना जाता हैं। 

 

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