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प्रॉपर्टी के लिए झगड़ा हुआ और मां-बाप को ही पीटकर घर से निकाल दिया

महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक बेटे ने अपने बुजुर्ग माता-पिता को पीट कर घर से निकाल दिया। माता-पिता की शिकायत पर बेटे के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।

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सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: AI

महाराष्ट्र के पालघर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। करीब 75 साल के बुजुर्ग माता-पिता को उन्हीं के बेटे ने बेरहमी से पीटा और पीटने के बाद घर से निकाल दिया। यह मामला पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि संपत्ति को लेकर हुए मामूली विवाद के चलते बेटे ने अपने माता-पिता की बेरहमी से पिटाई कर दी। इस घटना के बाद पुलिस ने बेटे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

 

पुलिस ने बताया कि उनके पास एक रेस्तरां, बार और रिसॉर्ट है और परिवार के बीच इनको लेकर लंबे समय से विवाद था। इस रेस्तरां, बार और रिसॉर्ट के मैनेजमेंट को लेकर बेटे और उनके 75 साल के पिता के बीच तीखी बहस हुई थी। यह बहस इतनी बढ़ गई थी कि बेटे ने अपने पिता की पिटाई कर दी। इसके बाद पिता और उनकी 74 साल की पत्नी को पालघर की विक्रमगढ़ स्थित उनके घर से निकाल दिया गया था।

 

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हिसाब मांगने पर शुरू हुआ विवाद

पीड़ित पिता एक सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय सीनियर नागरिक संघ के अध्यक्ष भी हैं। परिवार के बीच यह विवाद तब और बढ़ गया जब पीड़ित पिता ने अपने बेटे से उनके कारोबार का हिसाब मांगा। यब विवाद हिंसक हो गया और बेटे ने अपने पिता पर कुछ चीजें फेंकना शुरू कर दिया। विक्रमगढ़ पुलिस स्टेशन ने पीड़ित की शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि इसके बाद आरोपी ने संपत्ति के ताले बदल दिए। बुजुर्ग कपल अभी अपनी बेटी के पास रह रहे हैं। उनकी बेटी पेशे से एक डॉक्टर है। 

बेटे के खिलाफ मामला दर्ज

पीड़ित बुजुर्ग की शिकायत पर पुलिस ने उनके दोनों बेटों और दोनों बहुओं के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 115 (2) (नुकसान पहुंचाने) धारा 351 (2) (आपराधिक धमकी देने) और धारा 352 (जानबूझकर अपमानित करने) के तहत केस दर्ज कर लिया है।

क्या कहता है कानून?

बुजुर्ग माता-पिता के साथ हिंसा का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। भारत में बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए एक खास कानून, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 बना है। इस कानून के तहत बच्चों को अपने माता-पिता या बुजुर्गों की देखभाल, खाने-पीने और रहने की जिम्मेदारी लेनी होती है।

 

अगर कोई बच्चा बुजुर्गों के साथ बुरा बर्ताव करता है, उन्हें घर से निकालता है, तो पीड़ित जिला मजिस्ट्रेट या ट्रिब्यूनल में शिकायत कर सकता है। दोषी को तीन महीने की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकता है।  

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