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पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का 89 साल की उम्र में निधन

पिछले कुछ समय से ढींडसा का स्वास्थ्य खराब चल रहा था। उन्हें गंभीर हाल में फोर्टिस में भर्ती कराया गया था।

sukhdev singh dhindsa । Photo Credit: X/@mbansal_inc

सुखदेव सिंह ढींडसा । Photo Credit: X/@mbansal_inc

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का बुधवार को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। ढींडसा को 27 मई 2025 को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उनकी स्थिति गंभीर निमोनिया और हृदय संबंधी जटिलताओं के कारण बिगड़ गई थी। उनकी उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं ने स्थिति को और जटिल बना दिया था। फोर्टिस अस्पताल के मल्टीडिसिप्लिनरी मेडिकल टीम के अथक प्रयासों के बावजूद, बुधवार शाम लगभग 5:05 बजे कार्डियक अरिदमिया और हृदय गति रुकने के कारण उनका निधन हो गया।

 

फोर्टिस अस्पताल मोहाली ने सुखदेव सिंह ढींडसा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की। अस्पताल प्रशासन ने एक बयान में कहा, ‘हम सुखदेव सिंह ढींडसा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हैं। इस मुश्किल समय में हमारी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रियजनों के साथ हैं।’

 

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खेल एवं युवा मामलों के मंत्री थे

सुखदेव सिंह ढींडसा पंजाब की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता के रूप में लंबे समय तक सेवा की और केंद्र सरकार में खेल और युवा मामलों के मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी राजनीतिक यात्रा दशकों तक चली, जिसमें उन्होंने पंजाब और सिख समुदाय के हितों के लिए लगातार काम किया।

 

उनके निधन की खबर से पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गई है। कई नेताओं और संगठनों ने उनके निधन पर दुख जताया है। शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने उन्हें एक दूरदर्शी नेता और मार्गदर्शक बताया, जिनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। ढींडसा के परिवार में उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा और अन्य लोग है। उनके बेट खुद भी राजनेता हैं।

 

कुछ समय से स्वास्थ्य खराब था

ढींडसा का स्वास्थ्य पिछले कुछ समय से ठीक नहीं था, और उनकी उम्र के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही थीं। गंभीर निमोनिया और हृदय संबंधी जटिलताओं ने उनकी स्थिति को और गंभीर कर दिया। फोर्टिस अस्पताल की मेडिकल टीम ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी स्थिति को स्थिर करना संभव नहीं हो सका।

 

उनके निधन ने पंजाब की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया है। उनके अंतिम संस्कार की जानकारी अभी सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह उनके पैतृक गांव में पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा।

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