मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में औबेदुल्लागंज वन मंडल के रातापानी टाइगर रिजर्व में शिकार का पीछा कर रहा एक बाघ ट्रेन की चपेट में आ गया। इंजन से कुछ दूर तक घसीटे जाने के कारण उसकी मौत हो गई। पांच दिनों के भीतर दूसरे बाघ की मौत ने वन विभाग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार (9 दिसंबर) रात लगभग 9 से 10 बजे के बीच बरखेड़ा और चौका मिडघाट के बीच यह हादसा हुआ, जब एक बाघ स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन से टकरा गया और मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई। अधिकारियों ने गुरुवार (11 दिसंबर) को इस घटना की जानकारी दी।
यह इलाका जहां बाघ की मौत हो गई वह जिला हेडक्वार्टर से 95 km दूर है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले एक साल में रातापानी रिजर्व में यह पांचवीं मौत है। अधिकारी ने कहा कि बुधनी-मिडघाट रेलवे ट्रैक जंगली जानवरों के लिए खतरा बना हुआ है।
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क्या हुआ था?
डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर हेमंत रायकवार ने रातापानी रिजर्व के सुपरिटेंडेंट मयंक राज के हवाले से बताया कि एक स्पेशल ट्रेन की चपेट में आने के बाद, बाघ उसके इंजन में फंस गया और 25 फीट तक घसीटा गया। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच से पता चला है कि शिकार पकड़ने की कोशिश करते समय बाघ ट्रेन की चपेट में आ गया। अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद बाघ काफी देर तक जोर-जोर से चिल्लाता रहा जिसके बाद रेलवे कर्मचारी मौके पर पहुंचे और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी दी।
मौत की संख्या में बढ़ोतरी
चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट अशोक कुमार की मौजूदगी में पोस्टमार्टम के बाद लाश को ठिकाने लगा दिया गया। एक अधिकारी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले दस सालों में बुधनी-बरखेड़ा रेलवे ट्रैक पर 10 बाघ, 15 तेंदुए, दो भालू और दूसरे जंगली जानवर मारे गए हैं।
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मध्य प्रदेश में रातापानी, कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच और पन्ना समेत कई टाइगर रिजर्व हैं। NTCA और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की जारी 'स्टेटस ऑफ टाइगर्स: को-प्रिडेटर्स एंड प्रे इन इंडिया-2022' रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा 785 बाघ थे। इसके बाद कर्नाटक और उत्तराखंड का नंबर आता है।