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न हाथ काम करता है न पैर, स्पेस साइंटिस्ट बनने के लिए तैयार तुहीन डे

पश्चिम बंगाल के दिव्यांग तुहिन डे स्पेस साइंटिस्ट बनना चाहते हैं। तुहिन ने अपनी पूरी पढ़ाई मुंह में पेन-पेंसिल लेकर और मुंह से टाइपिंग करके पूरी की है।

Tuhin dey wanted to become space scientist

तुहीन डे, Image Credit: NAI

दृढ़ इच्छाशक्ति और काम करने का लगन इंसान को बहुत आगे लेकर जाती है। ऐसा ही कुछ 20 वर्षीय तुहीन डे सोचते हैं। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के मालंचा गांव के निवासी तुहीन बचपन से ही शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पैरों और हाथों में लकवा होने के कारण वो न तो खुद चल सकते हैं और न ही खा सकते हैं। इसके बावजूद वह अपनी मंजिल को पाने की कोशिश में लगे हुए हैं। 

 

तुहीन ने पश्चिम बंगाल के एक प्रीमियम संस्थान से कंप्यूटर साइंस में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) की डिग्री हासिल की। उन्हें पहली ही जॉब में 50 लाख की सैलरी मिल रही थी लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया और मास्टर्स की पढ़ाई करने का सोचा। वह आईआईटी से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) पूरा करना चाहता। तुहीन को स्पेस साइंटिस्ट बनना है।

 

IIEST में लिया एडमिशन, आगे की तैयारी क्या?

ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम देकर उन्होंने हावड़ा के शिबपुर में भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIEST) में एडमिशन लिया। तुहिन ने कहा, 'बीटेक पूरा करने के बाद, मुझे एक अमेरिकी मुख्यालय वाले बैंक और एक निजी कंपनी ने 50 लाख रुपये से अधिक वार्षिक वेतन वाली नौकरी की पेशकश की लेकिन मुझे अभी बहुत आगे जाना है। अब मैं खुद को ग्रेजुएट एप्टीट्यूड एडमिशन टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE) की  तैयारी कर रहा हूं ताकि मैं खुद को IIT, खड़गपुर के पोस्टग्रेजुएट स्टूडेंट के बीच रह सकूं और अपने करियर की राह को एक नई दिशा दे सकूं।'

 

अपने ग्रेजुएशन सफर को किया याद

बीटेक इंजीनियर बनने के अपने सफर को याद करते हुए तुहिन ने कहा कि उन्होंने परीक्षा देने के लिए कभी किसी अन्य की मदद नहीं ली। छोटे से व्यापारी के बेटे तुहीन ने कहा, 'मेरे काम न करने वाले हाथ और पैर ने मुझे अपने होठों के बीच कलम पकड़कर लिखने की ताकत दी। मैं अपने होठों के बीच पेंसिल रखकर कंप्यूटर का इस्तेमाल करने में भी उतना ही सहज हूं। जब भी मुझे उत्तर पुस्तिका या प्रश्न पत्र के किसी पन्ने को पलटना होता था तो मेरी मदद के लिए निरीक्षक आगे आते थे। मैंने अपने उत्तरों को पूरा करने के लिए कभी अतिरिक्त समय नहीं लिया।'

 

मां और पिता का सपोर्ट

तुहिन की मां सुजाता ने कहा कि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद ही तैयारी करता है। उन्होंने कहा, 'मुझे उसे खाना खिलाना है, नहलाना है, उसे व्हीलचेयर पर एक जगह से दूसरी जगह ले जाना है लेकिन वह अपने मुंह से पेन उठा सकता है और उसे अपने होठों के बीच पकड़ सकता है। तुहिन के पिता समीरन डे ने कहा, 'मेरे बेटे ने साबित कर दिया है कि कोई भी चीज किसी व्यक्ति को उसके लक्ष्य को प्राप्त करने से नहीं रोक सकती। मैं तुहिन का समर्थन करने की पूरी कोशिश करूंगा ताकि वह अपना लक्ष्य प्राप्त कर सके।'

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