महाराष्ट्र विधानसभा में बुरी तरह से हारने के बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की शिवसेना की नजरें बीएमसी चुनाव पर हैं। शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने बीएमसी चुनाव को लेकर बड़ा संकेत दिया है। राउत ने शनिवार को कहा कि शिवसेना बीएमसी का चुनाव अकेले लड़ सकती है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, 'पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग है कि शिवसेना को मुंबई महानगर पालिका (BMC) का चुनाव अपने दम पर लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद उद्धव ठाकरे फैसला लेंगे। इसका मतलब यह नहीं कि महाविकास अघाड़ी टूट गई है। इससे पहले जब हम बीजेपी के साथ थे तब भी हम अलग-अलग चुनाव लड़ चुके हैं।'
अगले साल हो सकते हैं चुनाव
बता दें कि देश की सबसे अमीर नगर पालिका बीएमसी में अगले साल 2025 में चुनाव हो सकते हैं। बीएमसी में पिछले ढाई दशकों से उद्धव ठाकरे की शिवसेना का कब्जा रहा है। लेकिन शिवसेना में दो फाड़ होने की वजह से अब स्थितियां अलग हो गई हैं। इस विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेना मजबूती के साथ निकलकर आई है। वहीं, उद्धव की पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा।
ढाई दशक की बादशाहत
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या उद्धव ठाकरे बीएमसी में अपनी ढाई दशक की बादशाहत बरकरार रख पाएगी या नहीं। दरअसल, बीएमसी का बजट लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का है। महानगर पालिका का चुनाव लगभग तीन साल से नहीं हुआ है। 8 फरवरी 2022 से बीएमसी को प्रशासक चला रहे हैं।
महायुति के हौसले बुलंद
उधर विधानसभा चुनाव में मिली सफलता से महायुति (बीजेपी, शिंदे शिवसेना और अजित गुट) उत्साहित है और उसे पूरा भरोसा है कि बीएमसी चुनाव में महायुति की जीत होगी। जबकि, विपक्षी महाविकास आघाडी (शिवसेना, कांग्रेस, शरद पवार गुट) के नेताओं का कहना है कि कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव की तरह बीएमसी चुनाव में भी मुंबई की जनता महायुति को जोरदार झटका देगी।
मुंबई में विधानसभा की 36 सीटें
बीएमसी चुनाव का गणित आप इससे भी समझ सकते हैं कि इस बार मुंबई की 36 विधानसभा सीटों पर महायुति का दबदबा रहा। विधानसभा चुनाव में मुंबई की 36 सीटों में से बीजेपी को 15, शिंदे शिवसेना को 6 और एनसीपी को 1 सीट पर जीत मिली। वहीं, उद्धव गुट की शिवसेना को 10, कांग्रेस को 3 और सपा को 1 सीट पर जीत मिली है।
इसको देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि उद्धव ठाकरे के लिए बीएमसी चुनाव की राह काफी मुश्किल है। मगर, बीएमसी के चुनाव ठाकरे परिवार को लिए काफी जरूरी भी माने जा रहे हैं।