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आरोप लगाए, फिर मांगी इच्छा मृत्यु, कांस्टेबल को सस्पेंड क्यों कर दिया?

उन्नाव के पुलिस अधीक्षक दीपक भूकर ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि कांस्टेबल अखिलेश यादव को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर।

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उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में पुलिस विभाग से एक अजब खबर सामने आई है। जिले में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल ने अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए 'इच्छा मृत्यु' की मांग की है। इसके बाद कांस्टेबल को निलंबित करते हुए मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। 

पुलिस ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि कांस्टेबल अखिलेश यादव का पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उसने अधिकारियों पर जाति और धर्म के नाम पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की अपील की थी।

शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा

वीडियो में कांस्टेबल ने दावा किया है कि उसकी पत्नी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद उसे मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। वीडियो में कांस्टेबल अखिलेश यादव सुसाइड नोट पढ़ते हुए नजर आ रहा है। उसने आरोप लगाया कि अधिकारी उसे फर्जी मामलों में फंसा रहे हैं और इसमें 30 अधिकारी शामिल हैं।

इसी वीडियो में वह दूसरे जिलों में तैनात दो वरिष्ठ अधिकारियों को गोली मारने की बात भी करता नजर आ रहा है। उसने यह भी कहा कि अगर उसे न्याय नहीं मिला तो वह आत्महत्या करने को मजबूर होगा। उसने अधिकारियों से 'इच्छा मृत्यु' की भी मांग की थी।

अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित

उन्नाव के पुलिस अधीक्षक दीपक भूकर ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि कांस्टेबल अखिलेश यादव को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। उन्नाव पुलिस ने जारी बयान में बताया कि आरोप लगाने वाले कांस्टेबल के खिलाफ उसकी पत्नी दीपा यादव ने साल 2022 में सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज इलाके के एक थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी और चार मार्च 2023 को कथित तौर पर दहेज हत्या के मामले में उस पर एक और केस दर्ज हुआ था।

कांस्टेबल के खिलाफ दो मामले दर्ज 

उन्नाव पुलिस के बयान के मुताबिक कांस्टेबल अखिलेश यादव के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें आरोप पत्र अदालतों को भेजे जा चुके हैं। साल 2022 के मामले में कांस्टेबल को अदालत ने जेल भी भेजा था। उपरोक्त दोनों मामले अदालतों में लंबित हैं। 

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