उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को बादल फटने से अचानक बाढ़ और भूस्खलन हुआ, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई और कई लोग अभी भी लापता हैं। भारी बारिश ने हर्षिल के पास धराली गांव में भारी तबाही मचाई, जहां पर घर, होटल और सेना का एक शिविर तक बह गया।
मलबे और कीचड़ में पूरी इमारतें दब गई हैं और बचाव दल कठिन मौसमी परिस्थितियों में भी लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि करीब 100 लोग अभी भी मलबे में फंसे हो सकते हैं। हालांकि, भारी बारिश और बंद सड़कों के कारण राहत कार्यों में काफी मुश्किल हो रही है।
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कैसी है टोपोग्राफी
यह पूरा का पूरा एरिया गढ़वाल हिमालय में स्थित है, जहां पहाड़ी ढलान है और चट्टानें और ग्लेशियर से निकलने वाली नदियों का पूरा जाल फैला है, लेकिन यहां की चट्टानें काफी अस्थिर हैं। धराली, हर्षिल और गंगोत्री जैसे इलाके भूस्खलन, बाढ़ और मलबे के बहाव के लिए बहुत संवेदनशील माने जाते हैं।
भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, धौलीगंगा और यमुना जैसी नदियां संकरी घाटियों से होकर बहती हैं। ये नदियां ग्लेशियरों से निकलती हैं और बारिश के मौसम में तेजी से बढ़ती हैं। जंगलों की कटाई, सड़क निर्माण और बिना रेग्युलेशन के विकास ने इस क्षेत्रों को और भी कमजोर बना दिया है।

भागीरथी नदी का स्रोत
भागीरथी नदी गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख से निकलती है, जो उत्तरकाशी जिले में लगभग 4,000 मीटर की ऊंचाई पर है। यह गंगोत्री, हर्षिल, उत्तरकाशी और टिहरी से होकर बहती है। इसमें जाध गंगा, केदार गंगा और भीलांगना जैसी सहायक नदियां मिलती हैं। देवप्रयाग में यह अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा बनाती है। हालांकि अलकनंदा में पानी ज्यादा होता है, लेकिन भागीरथी को गंगा का मुख्य स्रोत माना जाता है।
गंगोत्री के पास है धराली
धराली भागीरथी नदी के किनारे 2,680 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक गांव है, जो घने देवदार और चीड़ के जंगलों से घिरा है। यह NH-108 (गंगोत्री रोड) पर है, जो हर्षिल से 6 किमी और गंगोत्री से 14 किमी पहले है। उत्तरकाशी, जिला मुख्यालय, लगभग 78-99 किमी दूर है।

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मुक्तबा: गंगा का मायका
हर्षिल के पास मुक्तबा (या मुक्तिमठ) एक छोटा सा गांव है, जो 2,620 मीटर की ऊंचाई पर भागीरथी के किनारे बसा है। इसे देवी गंगा का मायका माना जाता है, क्योंकि सर्दियों में गंगोत्री मंदिर से गंगा की मूर्ति को यहां लाया जाता है, जब बर्फ के कारण ऊंचे क्षेत्रों में पहुंचना मुश्किल होता है। दीवाली से वसंत तक मुक्तबा मंदिर में पूजा होती है।
हर्षिल कितनी दूर है?
हर्षिल देहरादून से लगभग 200 किमी दूर है और NH-34 से मसूरी और उत्तरकाशी के रास्ते 6-7 घंटे में पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से दूरी 440-480 किमी है, और दिल्ली-हरिद्वार-ऋषिकेश-उत्तरकाशी मार्ग से 7-12 घंटे लगते हैं।