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उत्तरकाशी: पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामीणों में ठन क्यों गई है?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में देवदार के पेड़ों को काटे जाने को लेकर जारी विरोध में नया मोड़ आ गया है। विरोध कर रहे पर्यावरणविदों का ग्रामीणों ने पुतला फूंका और सड़क परियोजना को जरूरी बताया।

Uttarkashi

उत्तरकाशी में पेड़ काटने का विरोध, Photo Credit: Social Media

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उत्तराखंड में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की उत्तरकाशी जिले के झाला-भैरोंघाटी के बीच गंगोत्री हाईवे परियोजना का कुछ पर्यावरणवादी विरोध कर रहे थे। इस ऑल वेदर रोड के खिलाफ कई लोग खुलकर सामने आए। इस परियोजना में कई देवदार के पेड़ काटे जाने थे जिसके कारण पर्यावरणवादी इसके विरोध में हैं। अब इस परियोजना में एक नया मोड़ आया है। विरोध कर रहे पर्यावरणवादियों के विरोध में ग्रामीण उतर आए हैं। पर्यावरणविदों को विकास विरोधी बताते हुए धराली के आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने सोमवार को उनका पुतला फूंका।

 

उत्तरकाशी के ग्रामीणों ने पुतला फुंकने के बाद जिलाधिकारी के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर विकास को रोकने की मांग करने वाले इन पर्यावरणविदों को राज्य सरकार और प्रशासन ने नहीं रोका तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों का मानना है कि यह सड़क परियोजना उनके लिए बहुज अहम है जबकि पर्यावरणवादियों का तर्क है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटने से पर्यावरण को काफी ज्यादा नुकसान होगा।

 

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क्या बोले ग्रामीण?

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण सुशील पंवार ने कहा कि उत्तरकाशी में आई आपदा के कारण पहले ही विकास रुका हुआ है और अब सड़क चौड़ीकरण का विरोध किए जाने से उनके भविष्ट को और ज्यादा अधर में लटकाया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'पर्यावरणविदों की ओर से आंकड़े दिए जा रहे हैं कि गंगोत्री राजमार्ग के चौड़ीकरण में करीब छह-सात हजार देवदार के पेड़ कट रहे हैं लेकिन वन विभाग और सीमा सड़क संगठन के अनुसार मात्र 3500 पेड़ ही चौड़ीकरण के कारण काटे जाने हैं।'

 

सुशील पंवार ने पीटीआई को बताया, ' गंगोत्री धाम सहित धराली गांव भारत-चीन सीमा पर स्थित है। चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा तक रेल पहुंचा चुका है लेकिन हमारी सड़क का अभी तक चौड़ीकरण ही नहीं हो पाया है ।' उन्होंने पर्यावणविदों के विरोध के बारे में बात करते हुए कहा कि वह दिल्ली और देहरादून में बैठकर पेड़ बचाने की बात कर रहे हैं लेकिन धराली और पूरा हर्षिल इलाका इन पर्यावरणविदों का विरोध करता है। 

 

पेड़ों को रक्षासूत्र में बांधा

इस चौड़ीकरण परियोजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने रविवार को हर्षिल में एक प्रोग्राम किया। इस प्रोग्राम में उन्होंने देवदार के पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर उन्हें बचाने का संकल्प किया। इस कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी पहुंचे।

 

 

एनवायरमेंट एक्सपर्ट आयुष जोशी ने बताया कि ये पेड़े भआगीरथी इकोनॉमिक सेंसेटिव जोन में काटे जाएंगे, जिससे गंगा का पानी सूख जाएगा। इसका असर पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलेगा और बर्फबारी में कमी दर्ज की जाएगी। इस साल धराली में आई आपदा के बाद इस हाईवे परियोजना का विरोध तेज हो गया है। 

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