उत्तराखंड राज्य सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों के लिए एक नई पहल शुरू की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ बैठक के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि अब हर दिन प्रार्थना सभा के समय श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण का एक श्लोक पढ़ाया जाएगा। यह आदेश राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को भेजा है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रों को श्लोक के साथ उसका अर्थ और वैज्ञानिक महत्व भी समझाया जाएगा, जिससे बच्चे रटने के बजाय उसका सही अर्थ जान सकें।
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने मीडिया में बात करते हुए कहा, 'राज्य के मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद हमने तय किया कि राज्य के 17 हजार सरकारी स्कूल में 'हमारी विरासत' नामक किताब को बच्चे पढे़ंगे।' उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार ने NCERT को एक टास्क दिया है, जिसमें वह एक ऐसा सिलेबस तैयार करें जिसमें रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता हो जिससे उसे हमारे यहां के बच्चों को पढ़ाया जा सके।'
नोटिस बोर्ड पर होगा श्लोक
राज्य सरकार के आदेशानुसार, हर हफ्ते एक 'श्लोक ऑफ द वीक' तय किया जाएगा, जिसे स्कूल के नोटिस बोर्ड पर अर्थ सहित लिखा जाएगा। जानकारी के मुताबिक, नोटिस बोर्ड पर लिखे गए श्लोक की हफ्ते के अंत में क्लास में चर्चा की जाएगी और छात्रों से उस पर प्रतिक्रिया ली जाएगी। शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे समय-समय पर गीता के सिद्धांतों को छात्रों को समझाएं और बताएं कि ये जीवन में कैसे उपयोगी हो सकते हैं।
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आदेश में यह भी कहा गया है कि गीता की शिक्षा को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि मनोविज्ञान, व्यवहार विज्ञान और नैतिक दर्शन की दृष्टि से भी देखा जाए। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की शिक्षा नीति को देखते हुए की गई है। इसमें पारंपरिक भारतीय ज्ञान को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही गीता और रामायण की शिक्षाओं को राज्य के पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दिया थे। इसके तहत अगले सत्र से नए पाठ्यक्रम लाए जाने की तैयारी की जा रही है।
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मदरसा बोर्ड की अध्यक्ष ने किया स्वागत
इस पहल का स्वागत करते हुए उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शामून क्रासमी ने कहा, 'राम और कृष्ण हमारे पूर्वज हैं और हर भारतीय को उनके बारे में जानना जरूरी है।' उन्होंने यह भी बताया कि मदरसों में संस्कृत पढ़ाने के लिए संस्कृत विभाग के साथ एमओयू की योजना है।