संजय सिंह, पटना: वैशाली में स्थित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप अपनी भव्य वास्तुकला और अद्वितीय कला के साथ-साथ भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियों के संरक्षण के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हो रहा है। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक और टूरिज़म के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बन गया है।
स्तूप की पहली मंजिल पर भगवान बुद्ध की अस्थियां एक बुलेटप्रूफ कांच के भीतर सुरक्षित रखी गई हैं, जो अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था से लैस है। इन पवित्र अवशेषों को 1.45 मीटर ऊंचे पत्थर के अलंकृत सिंहासन पर स्थापित किया गया है, जिसे पीतल की परत और बौद्ध कलाकृतियों से सजाया गया है। श्रद्धालु चारों ओर से इस पवित्र अस्थि कलश के दर्शन कर सकते हैं।
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बना प्रदक्षिणा पथ
पहली मंजिल तक पहुंचने के लिए तोरण द्वार के दोनों ओर अर्ध रैंप बनाए गए हैं। इस तल पर 40 ताकों में भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं वाली मूर्तियां और बौद्ध कलाकृतियां प्रदर्शित हैं। श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष प्रदक्षिणापथ भी बनाया गया है, जहां वे अस्थि कलश की परिक्रमा कर सकते हैं।
यह परिसर केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं है। यहां आधुनिक पुस्तकालय, ध्यान केंद्र, संग्रहालय, आगंतुक केंद्र, एम्फीथिएटर और कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। पर्यटकों और श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए 12 निजी कक्ष और 96 लोगों की क्षमता वाली डॉरमेटरी भी बनाई गई है।
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बौद्ध तीर्थ का केंद्र
वैशाली का यह स्मृति स्तूप अंतरराष्ट्रीय बौद्ध तीर्थ यात्रा पथ का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। यहां आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालु न केवल भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन करते हैं, बल्कि वैशाली की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित होते हैं। यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक कभी न भूल सकने वाला अनुभव प्रदान करता है।