गंगा नदी में बाढ़ के कारण वाराणसी में हालात मुश्किल हैं, लेकिन भाई-बहन के प्यार ने इस बार भी रक्षाबंधन को खास बना दिया। मंजू देवी ने अपने भाई सौरभ गुप्ता को इस बार रक्षाबंधन पर न आने को कहा था, क्योंकि शहर में बाढ़ का पानी भरा हुआ था। लेकिन सौरभ ने ठान लिया कि वह अपनी बहन के पास जरूर जाएंगे। उन्होंने नाव लेकर बाढ़ के पानी में सफर किया और मंजू के घर पहुंचकर राखी बंधवाई।
सौरभ ने बताया, 'मेरी बहन ने बाढ़ की वजह से मुझे आने से मना किया था, लेकिन रक्षाबंधन साल में एक बार आता है। इसलिए मैं नाव से उनके घर पहुंच गया।' वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर शनिवार सुबह 69.8 मीटर तक कम हो गया, जो खतरे के निशान 71.262 मीटर से नीचे है। फिर भी, बाढ़ ने आसपास के गांवों में 80% फसलों को नुकसान पहुंचाया है। रामाना गांव के सम्पूर्णानंद ने बताया कि उनके गांव के किसान सब्जियों की खेती पर निर्भर हैं। करेला, बीन्स, तोरी, बैंगन और पपीता जैसी फसलें पानी में डूब गई हैं। किसान अपनी मेहनत और नुकसान को देखकर निराश हैं और सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
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हुकुलगंज के चंद्रकांत सिंह ने बताया कि उनके परिवार को बाढ़ के पानी से बचने के लिए घर की दूसरी मंजिल पर जाना पड़ा। कई बहनें अपने भाइयों तक राखी बांधने के लिए नाव का सहारा ले रही हैं।
राहत कार्य जारी
वाराणसी नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में सफाई का काम तेजी से चल रहा है। पानी कम होने के बाद ब्लीचिंग पाउडर और सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा रहा है ताकि मक्खी, मच्छर और बीमारियों से लोगों को बचाया जा सके।
जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ और जल पुलिस मिलकर काम कर रही हैं। 24 राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां 4,500 लोग रह रहे हैं। जिला मजिस्ट्रेट सतेंद्र कुमार ने कहा कि राहत टीमें प्रभावित लोगों की मदद के लिए लगातार संपर्क में हैं।
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मंत्री ने लिया जायजा
उत्तर प्रदेश के स्टांप और पंजीकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने राम जानकी मंदिर, ढेलवरिया, सावित्री लॉन, सरैया, शैलपुत्री मंदिर और चित्रकूट स्कूल में बने राहत शिविरों का दौरा किया। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं।