मध्य प्रदेश में स्थित विचारपुर गांव किसी समय में शराब और जुऐ जैसी बुरी आदतों के लिए बदनाम था। इस गांव की आधे से ज्यादा जनसंख्या बुरी लतों की चपेट में आ गई थी लेकिन आज यह गांव 'मिनी ब्राजील' के नाम से जाना जाता है। इस गांव की चर्चा जिला और राज्य स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्र स्तर पर चल रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस गांव की प्रशंसा की है। कुछ दिन पहले इस गांव की प्रशंसा पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान भी की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि एक समय नशे और शराब के लिए बदनाम यह गांव, अब फुटबॉल के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
'मिनी ब्राजील' के नाम से मशहूर इस गांव की तारीफ पीएम ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन से बात करते हुए की थी। साल 2023 में पीएम ने शहडोल जिले के विचारपुर गांव के कुछ खिलाड़ियों से मुलाकात की थी। यह गांव फुटबाल के क्षेत्र में काफी तेजी से आगे जा रहा है। पीएम मोदी ने खिलाड़ियों की तकनीकि को देख यहां के कोच रईस अहमद की सराहना की है।
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क्यों कहा जाता है इसे मिनी ब्राजील?
शहडोल के विचारपुर गांव का जिक्र पीएम मोदी द्वारा किए जाने पर एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इस गांव को मिनी ब्राजील के नाम से जानते हैं। इस गांव में फुटबॉल के प्रति इतना प्रेम है जिसकी वजह से लोग इस गांव को 'मिनी ब्राजील' के नाम से जानते हैं। विचारपुर गांव में लगभग एक हजार से ज्यादा फुटबॉल क्लब बनाए गए हैं। वहां के फुटबॉल कोच रईस अहमद ने बताया कि कैसे विचारपुर में नशे से घिरे लोग फुटबॉल से प्रेम करने लगे।
कोच ने बताया फुटबॉल से प्रेम का राज
रईस अहमद जिनके प्रशिक्षण की वजह से विचारपुर के फुटबॉल खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं, प्रधानमंत्री द्वारा पॉडकास्ट में उनकी चर्चा किए जाने से वह बहुत खुश हैं। रईस ने बताया, 'गांव वालों में फुटबॉल को लेकर हमेशा से जुनून था लेकिन उनके पास पर्याप्त साधन नहीं थे।'
राईस ने बताया, 'मैंने 2002 में विचारपुर गांव में फुटबॉल कोचिंग शुरू की। मैंने पहले लड़कों की और फिर लड़कियों की टीम बनाई। कुछ समय बाद स्थिति यह थी कि हर घर से बच्चा फुटबॉल खेल रहा था। लड़कियां स्कूल और राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट खेल रही थीं जिसको देखते हुए इस गांव को 'मिनी ब्राजील' कहा जाने लगा।'
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गांव से किन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में लिया हिस्सा?
रईस ने बताया कि 'गांव की लक्ष्मी साहिस 9 राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल प्रतियोगिताएं खेल चुकी हैं। उनके भाई सीताराम साहिस और बहन धनवंतरी साहिस भी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। इसके अलावा, अनिल सिंह गौर, ओम प्रकाश कोल, राकेश कोल, नरेश कुंडे, इंद्रजीत, हनुमान सिंह, भीम सिंह, यशोदा सिंह, रेणु सिंह जैसे कई खिलाड़ी भी इस गांव से निकले हैं।'
कब शुरु हुई गांव में फुटबॉल क्रांति?
कोच रईस अहमद ने बताया कि '26 सितंबर 2021 को तत्कालीन डिविजनल कमिश्नर राजीव शर्मा ने इस फुटबॉल क्रांति की शुरुआत की थी। 2021 से 2023 के बीच 85 फुटबॉल प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इनमें पंचायत, जिला,डिविजन, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं शामिल थीं। पुरे शहडोल डिविजन में एक हजार फुटबॉल क्लब बनाए गए। इन क्लबों से 24 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी ई-लाइसेंस कोर्स करने के बाद कोच बने। कई खिलाड़ियों को रेलवे, पुलिस और सेना में नौकरियां भी मिलीं।'