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पैदा होते ही कूड़ेदान में फेंक दी थी बेटी, बड़ी हुई तो बन गई PCS अफसर

माला पापलकर के अभिभावकों ने उन्हें छोड़ दिया था। उनकी आंखों में रोशनी भी नहीं थी। उन्होंने MPSC की परीक्षा पास कर अपने सपनों को पूरा किया। पढ़ें रिपोर्ट।

Mala papalkar

माला पापलकर; Photo Credit: Social Media

हर किसी की जिंदगी में मुश्किलें आती हैं। इनसे कैसे उबरना है, वह आपके ऊपर निर्भर करता है। कुछ लोग दिक्कतों का सामना नहीं कर पाते, कुछ परेशानियों में रहकर मेहनत करते हुए अपनी मंजिल हासिल कर लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी मुंबई के अमरावती में रहने वाली माला पापलकर की है। माला पापलकर के जन्म के बाद ही उनके मां- बाप ने उन्हें कूड़ेदान में फेंक दिया था। इतना ही नहीं 10 साल की उम्र में माला पापलकर के आंखों की रोशनी भी चली गई। परिस्थिति इतनी खराब होने के बाद भी माला पापलकर ने हार नहीं मानी और महाराष्ट्र की ग्रुप सी की परीक्षा में सफलता हासिल करके अपना नाम दर्ज किया है।  

 

पिछले हफ्ते महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षण परिषद (MPSC) ने कंबाइंड ग्रुप सी परीक्षा के फाइनल रिजल्ट जारी किए और इस लिस्ट में कई नामों के बीच अमरावती की माला पापलकर का नाम भी शामिल था। 18 अप्रैल को उनके सिलेक्शन से जुड़े ई-मेल ने यह साबित कर दिया कि दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। माला ने साल 2023 में यह परीक्षा दी थी जिसका रिजल्ट 22 महीने बाद जारी किया गया। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद माला जल्द ही नागपुर के कलेक्टर ऑफिस में रेवेन्यू असिस्टेंट के रूप में शामिल हो जाएगी।

 

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क्या है माला पापलकर की कहानी?

माला पापलकर जब छोटी बच्ची थी, तब उन्हें जलगांव रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में पाया गया था। उसके बाद उन्हें रिमांड होम में रखा गया था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।  कुछ समय बीतने के बाद माला को रिमांड होम से निकालकर अमरावती जिले के परतवाड़ा तहसील में स्थित पद्मश्री पुरस्कार विजेता शंकर बाबा पापलकर के वज्जर आश्रम में भेजा गया, यह आश्रम मूल रूप से दिव्यांग और नेत्रहीन लोगों के लिए एक बेहतर पुनर्वास केन्द्र था। 81 साल के शंकर बाबा पापलकर ने न केवल माला पापलकर को अपना नाम दिया, बल्कि उसकी प्रतिभा को भी पहचाना और उन्हें ब्रेल लिपि में शिक्षित किया। माला ने अपनी मेहनत और असाधारण यादाश्त के बल पर ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और प्रतियोगी परीक्षा को पास कर नौकरी भी हासिल की। 

 

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साल 2019 में शुरू की तैयारी

माला ने साल 2019 में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अमोल पाटिल की यूनिक एकेडमी में दाखिला लिया था लेकिन बाद में कोविड महामारी की वजह से उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अमोल पाटिल ने बताया, 'माला सीखने में बहुत तेज थीं लेकिन नेत्रहीन स्टूडेंट्स को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मुझे उनके लिए ऑडियोबुक ढूंढनी पड़ती थी और कई बार तो मैं खुद ही टॉपिक्स को रिकॉ्र्ड करता था ताकि वह सुनकर पढ़ाई कर सकें।' उन्होंने कोचिंग के लिए माला से कोई फीस भी नहीं ली थी। माला ने 2024 में MPSC की मुख्य परीक्षा को पास किया था लेकिन कैंडिडेट्स की स्किल टेस्ट के बाद फाइनल रिजल्ट पिछले सप्ताह घोषित किया गया। माला की सफलता की कहानी आज देश के लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही हैं। 

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