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14 साल से ममता सरकार, मनरेगा, मजदूरी से कितना आगे बढ़ पाया पश्चिम बंगाल?

पश्चिम बंगाल में पहली बार साल 2011 में मुख्यमंत्री बनीं थीं। तब से लेकर अब तक पश्चिम बंगाल कितना बदला, क्या-क्या विकास हुआ, आइए जानते हैं पूरी कहानी।

Mamata Banerjee

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। (Photo Credit: PTI)

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की डेढ़ दशक से सरकार है। 2 दिसंबर 2011 को उन्होंने 14 साल में किए गए विकास कार्यों की एक रिपोर्ट सार्वजनिक की, जिसे उन्होंने 'उन्नयनर पांचाली' का नाम दिया। उन्होंने दावा किया कि साल 2011 से अब तक राज्य में 1.30 करोड़ नौकरियां सृजित की गई है। उन्होंने 1 करोड़ नई नौकरियां देने का वादा किया है। ममता बनर्जी का कहना है कि उनका राज्य और विकास करता अगर केंद्र सरकार, राज्य के हिस्से का पूरा पैसा लौटाती।

ममता बनर्जी सरकार कहती है कि पश्चिम बंगाल में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की वजह से 1.30 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं हैं, 1 करोड़ नई नौकरियां सृजित हो सकती हैं। ममता सरकार का दावा है कि 14 सालों में 2 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं, जिससे राज्य की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर रही। ममता बनर्जी, केंद्र पर, पश्चिम बंगाल के लिए सरकारी फंड रोकने का आरोप लगाती रहीं हैं।  

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आरोप-प्रत्यारोप के बीच आइए जानते हैं कि पश्चिम बंगाल, विकास के मामले में कहां खड़ा है?

कितना आगे बढ़ पाया पश्चिम बंगाल?

ममता बनर्जी का दावा है कि उनकी सरकार 95 कल्याणकारी योजनाएं चला रहीं हैं। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल का बकाया 1.76 लाख रुपया नहीं दिया है, फिर भी राज्य सरकार काम कर रही है। उनका कहना है कि वह केंद्र सरकार के साथ सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांत पर आगे बढ़ना चाहती हैं। उन्होंने कुछ आंकड़े भी गिनवाए कि पश्चिम बंगाल, 2011 से अब तक कितना बदला-

  • 2013-2023 के बीच 1.72 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले  
  • 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को स्थाई रोजगार मिला, बेरोजगारी 40 फीसदी घटी
  • राज्य का GSDP 4.41 गुना बढ़ा, अब 20.31 लाख करोड़ रुपये है
  • राज्य का अपना टैक्स कलेक्शन 5.33 गुना बढ़ा
  • इंफ्रास्ट्रक्चर पर पूंजीगत खर्च 17.67 गुना बढ़ा
  • सामाजिक क्षेत्र का खर्च 14.46 गुना बढ़ा
  • कृषि और इससे जुड़े क्षेत्र का खर्च 9.16 गुना बढ़ा
  • फिजकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च 6.93 गुना बढ़ा
  • हर महीने महिलाओं को ₹1,000, अभी 2.21 करोड़ महिला लाभार्थी

 
विपक्ष का क्या कहना है?

सामिक भट्टाचार्य:-
जनता ने अपना रिपोर्ट कार्ड बना लिया है। 2026 में ममता सत्ता से बाहर हो जाएंगी। मजदूर ही नहीं, स्टूडेंट्स और उद्योगपति भी बंगाल छोड़कर भाग रहे हैं। राज्य से पूंजी का पलायन हो रहा है।


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सिर्फ बीजेपी ही नहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेताओं ने भी मामता बनर्जी के दावों से इनकार किया है। CPI(M) नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, 'ममता बनर्जी के सारे दावे झूठ का पुलिंदा हैं।   2 करोड़ नौकरियों का दावा झूठा है। ममता बनर्जी के पास विभागवार आंकड़े नहीं हैं। तृणमूल राज में राज्य का कर्ज ₹8 लाख करोड़ पार कर गया है।'

मनरेगा पर TMC का दावा क्या है?

पश्चिम बंगाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पिछले तीन साल से बंद पड़ी है। केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में योजना के लिए फंड रोक दिया था, क्योंकि राज्य सरकार पर अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा था। उससे पहले 2021-22 में बंगाल को 7,507 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन उसके बाद एक भी रुपया नहीं आया। 

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डेरेक ओ' ब्रायन:-
पश्चिम बंगाल इस योजना में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में था, लेकिन मजदूरों का हक़ मारकर इसे राजनीतिक हथियार बना दिया गया। अब केंद्र के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने संसद को बताया है कि वे योजना को दोबारा शुरू करने के लिए जरूरी नियम-कायदे और तरीकों को फिर से तैयार और सुधार रहे हैं। केंद्र पर पश्चिम बंगाल के 3,000 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है, जिसमें मजदूरों की 1,400 करोड़ से ज्यादा की मजदूरी भी शामिल है। 

बीजेपी क्या कहती है?

सुकांता मजूमदार, केंद्रीय मंत्री:-
पश्चिम बंगाल की आर्थिक स्थिति में लगातार, स्ट्रक्चरल गिरावट देखी जा रही है। भारत की ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट  हमारा हिस्सा लगातार कम होता जा रहा है। 1960-61 में, हमने नेशनल GDP में 10.5 परसेंट का योगदान दिया था और हम भारत की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी थे। वित्त वर्ष 2023-24 तक, यह गिरकर लगभग 5.6 परसेंट हो गया। पिछले एक दशक से भी, हमारी असली ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट ग्रोथ नेशनल एवरेज से नीचे रही है। 2012-13 और 2021-22 के बीच भारत के 5.6 परसेंट के मुकाबले 4.3 परसेंट। और एक समुद्री राज्य होने के बावजूद, बंगाल गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के उलट अपने कोस्टल फायदे का फायदा उठाने में नाकाम रहा है।


देश के आर्थिक विकास में कहां खड़ा है पश्चिम बंगाल?

पश्चिम बंगाल अर्थव्यवस्था के हिसाब से भारत का छठा सबसे बड़ा राज्य है। साल 2025-26 में अनुमानित जीएसडीपी करीब 20.31 लाख करोड़ रुपये है। हर साल जीएसडीपी में औसतन 12% की बढ़ोतरी होने का अनुमान जताया गया है। पश्चिम बंगाल की देश की जीडीपी में करीब 5.6 फीसदी हिस्सेदारी है। पश्चिम बंगाल सरकार पर 6.6 लाख करोड़ करोड़ रुपये का कर्ज है। पश्चिम बंगाल सरकार की वार्षिक आय (025-26 के बजट अनुमान के अनुसार लगभग ₹2,68,284 करोड़ है। इसमें राज्य की अपनी कर आय ₹1,12,544 करोड़, केंद्र से करों में हिस्सा ₹1,06,999 करोड़ और अनुदान ₹37,158 करोड़ है।  

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कहां से कमाता है पश्चिम बंगाल?

पश्चिम बंगाल के पास प्राकृतिक संसाधन बहुत हैं, खनिज भी भरपूर हैं और खेती-बागवानी-मछली पालन के लिए अच्छी जलवायु है। पास ही झारखंड, बिहार और ओडिशा जैसे खनिज-सम्पन्न राज्य हैं। रेल, सड़क, बंदरगाह और एयरपोर्ट होने से से पूरे देश से बहुत अच्छी कनेक्टिविटी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है।

IBEF की एक रिपोर्ट के मुताबिक  साल 2023-24 में यहां 426 मिलियन किलो चाय पैदा हुई। अक्टूबर 2019 से दिसंबर 2024 तक पश्चिम बंगाल में 1,794 मिलियन डॉलर का विदेशी निवेश (FDI) आया है। बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में अब तक 23 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के बड़े उद्योगों के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। 

पश्चिम बंगाल सरकार का दावा है कि साल 2022 और 2023 में 3.42 लाख करोड़ और 3.76 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए, जिनसे लाखों नौकरियों के अवसर भविष्य में पैदा होंगे। समुद्री राज्य होने की वजह से रिलायंस, अदाणी, जेएसडब्ल्यू, गेल जैसी बड़ी कंपनियां यहां हजारों करोड़ निवेश कर रहीं हैं। 

2024-25 के बजट में कृषि के लिए 22,620 करोड़ और शिक्षा-खेल-संस्कृति के लिए 47,470 करोड़ रुपये रखे गए हैं। सरकार का वादा है कि जंगलमहल में 72,000 करोड़ का नया इंडस्ट्रियल जोन विकसित किया जाएगा।

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आलोचना क्या है?

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के एक सदस्य संजीव सान्याल ने एक रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट का नाम 'रिलेटिव इकोनॉमिक परफॉर्मेंस ऑफ इंडियन स्टेस्ट्स: 1960-61 टू 2023-24' था। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1960-61 में पश्चिम बंगाल का देश के कुल जीडीपी में हिस्सा 10.5% था, जो 2023-24 में घटकर सिर्फ 5.6% रह गया। 

1960-61 में पश्चिम बंगाल की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 127.5% ज्यादा थी, लेकिन अब यह राष्ट्रीय औसत से कम होकर 83.7% पर आ गई है।

अब राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय भी बंगाल से आगे निकल गई है। रिपोर्ट कहती है कि समुद्र तट वाले ज्यादातर राज्य अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल इसका अपवाद है। साल 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद दक्षिण भारत के पांच राज्य, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु सबसे तेजी से आगे बढ़े। आज ये पांच राज्य मिलकर देश के कुल जीडीपी में करीब 30 फीसदी योगदान देते हैं। 


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