कर्नाटक सरकार फेक न्यूज के खिलाफ एक कानून ला रही है। सरकार जल्द ही कर्नाटक गलत सूचना और फर्जी समाचार (निषेध) विधेयक- 2025 लाने पर विचार कर रही है। इसमें फर्जी खबर प्रसारित करने पर कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। मसौदे में 6 सदस्यीय सोशल मीडिया नियामक प्राधिकरण के स्थापना की बात कही गई है। हालांकि इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन जैसी संस्थाओं ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की। आइए जानते हैं कि कर्नाटक का नया कानून क्या है और इसमें क्या प्रावधान हैं?
प्रस्तावित नया कानून सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के खिलाफ सरकार को एक्शन लेने की शक्ति देगा। इसमें अपराध को संज्ञेय और गैर-जमानती रखा गया है। अगर किसी ने कानून का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन तय है। इसी हफ्ते कर्नाटक सरकार ने विधेयक के मसौदे को मंत्रिमंडल के सामने रखा।
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इन फर्जी खबरों पर होगा एक्शन
- महिलाओं के अपमान से जुड़ी सामग्री साझा करने पर प्रतिबंध
- फर्जी खबरों के प्रचार और प्रसार पर रोक
- अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली सामग्री को प्रकाशित करना गैर-कानूनी
- सनातन धर्म, उसके विश्वास और प्रतीकों का अपमान भी अपराध होगा
- बयान को गलत तरीके से पेश करना और उद्धारण देना
- वीडियो के काट-छांट कर प्रसारित करना
प्राधिकरण का क्या काम होगा?
छह सदस्यीय प्राधिकरण सोशल मीडिया की निगरानी करेगा। कानून के खिलाफ कोई भी सामग्री मिलने पर कार्रवाई करेगा। अगर कोई भी पोस्ट सोशल मीडिया पर दर्शन, धर्म, विज्ञान और इतिहास से जुड़ी की गई है तो सटीक, सही और तथ्यपरक है या नहीं, प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा। कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री को प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया जाएगा।
कितनी सजा का प्रावधान
अगर किसी ने नियमों का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की व्यवस्था की गई है। यह अपराध गैर-जमानती होगा। कर्नाटक हाई कोर्ट की सहमति से विशेष अदालतों के गठन का प्रस्ताव है। मसौदे के मुताबिक दोषी मिलने पर सोशल मीडिया यूजर्स को सात साल की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। विशेष अदालतें मीडिया समूहों, संचार माध्यमों और प्रकाशकों को सुधार और निषेध से जुड़े निर्देश जारी कर सकती हैं। अदालतों का क्षेत्राधिकार एक से अधिक जिलों तक फैला होगा। अगर किसी ने अदालत के निर्देशों की अनदेखी की तो 2 साल कैद और 25 लाख रुपये तक जुर्माने हो सकता है। अदालत चाहे तो रोजाना 25000 रुपये से तक का जुर्माना ला सकती हैं।
गलत सूचना फैलाई तो भी सजा
कानून में गलत सूचना फैलाने पर दो साल की सजा हो सकती है। कर्नाटक में या राज्य से बाहर कोई भी व्यक्ति अगर गलत सूचना देता है और इससे सार्वजनिक सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शांति और निष्पक्ष चुनाव को हानि पहुंच सकती है तो दोषी व्यक्ति को 2 से 5 साल तक की कैद हो सकती है। कंपनियों से जुड़े मामले में उसके निदेशकों और कर्मचारियों पर एक्शन लिया जा सकता है।
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इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने जताई चिंता
उधर, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने कर्नाटक सरकार और मंत्रिमंडल को कर्नाटक गलत सूचना और फर्जी समाचार (निषेध) विधेयक- 2025 के मसौदे पर पुनर्विचार करने को कहा है। संगठन ने कर्नाटक सरकार से आपराधिक प्रावधानों को छोड़ देने और इसकी जगह पारदर्शिता, सुधार और उचित प्रक्रिया व अधिकारों का सम्मान करने वाले नागरिक या प्रशासनिक उपायों के पालन की अपील की। संगठन का कहना है कि बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाकर इसे रोका जाना चाहिए, न कि दीवानी या आपराधिक मामलों को लागू करके। यह सेंसरशिप की तरफ ले जा रहे हैं। विधानसभा में विधेयक पेश करने से पहले सार्वजनिक चर्चा की भी मांग की गई है।
केंद्र सरकार भी पेश कर चुकी विधेयक
साल 2023 में केंद्र सरकार ने फेक न्यूज के खिलाफ एक विधेयक लोकसभा में पेश किया। इसमें भ्रामक जानकारी और फर्जी खबर फैलाने पर तीन साल तक की कैद का प्रावधान है। विधेयक की धारा 195 में देश की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी प्रसारित करने पर सजा का प्रावधान है। अगर कोई देश की संप्रुभता, सुरक्षा, एकता और अंखडता को झूठी या भ्रामक जानकारी से खतरे में डालता है तो उसे तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।