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आटा, सीमेंट और पानी का बोतल भी हलाल? समझिए सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

मुस्लिम उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर भारत में कई प्रोडक्ट्स पर हलाल सर्टिफिकेट दिया जाता है। ऐसे में कुछ उत्पादों पर दिए हलाल सर्टिफिकेट से विवाद छिड़ गया है। समझें पूरा मामला

halal certification UP case

हलाल सर्टिफिकेशन, Photo Credit: AI generated pic

उत्तर प्रदेश सरकार ने नवंबर 2023 में हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स के निर्माण, बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले के पीछे यह तर्क था कि कुछ संस्थाएं अवैध रूप से हलाल सर्टिफिकेट जारी कर रही है। जाहिर तौर पर हलाल सर्टिफिकेट मांसाहारी उत्पादों पर जारी किया जाता है लेकिन आटा, बेसन, सीमेंट और यहां तक की पानी की बोतलों पर भी हलाल सर्टिफिकेशन जारी किए जाने से विवाद बढ़ गया है। 

 

इस प्रतिबंध के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कीं। 20 जनवरी 2025 को हुई सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हलाल सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मांसाहारी उत्पादों के लिए हलाल सर्टिफिकेशन समझ में आता है लेकिन आटा, बेसन और पानी की बोतल तक पर हलाल सर्टिफिकेशन दिया जा रहा है। इससे उत्पादों की कीमत बढ़ रही है और इसका भार सभी उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। 

 

'केवल मांस उत्पादों पर लागू नहीं होता हलाल सर्टिफिकेट'

इसपर जमीयत-उलेमा-ए हिंद के वकील एमआर शमशाद ने कहा कि हलाल जीवन शैली से जुड़ा विषय है और यह केवल मांस उत्पादों पर लागू नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि कुछ खाद्य पदार्थों में प्रिजरवेटिव के रूप में एल्कोहल का इस्तेमाल होता है जो उन्हें गैर-हलाल बनाता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र सरकार के हलफनामे पर जवाब देने के लिए समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई मार्च 2025 के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की है। इस दौरान, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे।

 

 

 

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आटा, बेसन, पानी की बोतल पर हलाल सर्टिफिकेशन कैसे? 

यह सवाल वाकई में सोचने पर मजबूर करता है कि आटा, बेसन, पानी की बोतल और यहां तक की सीमेंट जैसे प्रोडक्ट्स पर हलाल सर्टिफिकेशन क्यों और कैसे दिया जा रहा? हलाल सर्टिफिकेशन उन खाद्य पदार्थों और उत्पादों के लिए दिया जाता है, जो शरिया (इस्लामी कानून) के अनुसार अनुमेय हों। हालांकि, कुछ नॉन-फूड आइटम पर भी हलाल सर्टिफिकेशन दिया जाने लगा है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे: 

प्रोसेसिंग मटेरियल

  • आटा और बेसन जैसे प्रोडक्ट्स के निर्माण में अगर किसी एडिटिव्स, इमल्सिफायर, या एंजाइम्स का उपयोग होता है, तो ऐसे में हलाल सर्टिफिकेशन यह सुनिश्चित करता है कि ये सामग्री जानवरों के ऐसे उत्पादों से नहीं बनी हो, जो इस्लाम में प्रतिबंधित हैं।
  • उदाहरण के लिए, कुछ आटा उत्पादों में 'इंप्रूवर्स' (additives) का उपयोग किया जाता है, जो जानवरों की हड्डियों या अन्य हिस्सों से बने हो सकते हैं।

पैकेजिंग और उत्पादन प्रक्रिया:

  • हलाल सर्टिफिकेशन यह भी सुनिश्चित करता है कि उत्पादन प्रक्रिया में ऐसी सामग्री का उपयोग न हो जो इस्लामिक नियमों के अनुसार 'हराम' हो।
  • पानी की बोतलों के लिए हलाल सर्टिफिकेशन यह सुनिश्चित कर सकता है कि प्लास्टिक या पैकेजिंग सामग्री हलाल मानकों के अनुरूप हो।

वैश्विक बाजार और निर्यात:

  • कई देशों में (विशेषकर मुस्लिम बहुल देशों में) हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पादों की मांग ज्यादा होती है। ऐसे में, कंपनियां यह सुनिश्चित करती हैं कि उनके उत्पाद भारत जैसे देशों में निर्यात योग्य हों।
  • यहां तक कि पानी की बोतल पर भी हलाल सर्टिफिकेट यह दर्शाता है कि इसमें इस्तेमाल की गई किसी भी सामग्री (जैसे सीलिंग ग्लू या लेबलिंग) में हराम तत्व शामिल नहीं हैं।

गैर-खाद्य उत्पादों का हलाल सर्टिफिकेट!

  • सीमेंट, साबुन, और अन्य उत्पादों पर हलाल सर्टिफिकेट मिलने का मतलब है कि उनकी निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल की गई सामग्री हलाल है। उदाहरण के लिए, सीमेंट में कुछ एडिटिव्स (जैसे एंटी-फोम एजेंट) उपयोग किए जा सकते हैं, जो जानवरों के फैट से बने हो सकते हैं।

सामान्य वस्तुओं पर हलाल सर्टिफिकेट की जरूरत क्यों?

यह मुद्दा विवादास्पद इसलिए है क्योंकि आम जनता, खासकर गैर-मुस्लिम उपभोक्ता, यह नहीं समझ पाते कि इन सामान्य वस्तुओं पर हलाल सर्टिफिकेट की जरूरत क्यों है। साथ ही, इसका एक्स्ट्रा खर्च प्रोडक्ट की कीमत बढ़ा देता है, जिसका असर सभी उपभोक्ताओं पर पड़ता है।

 

बता दें कि देश में हलाल सर्टिफिकेशन का काम कुछ प्राइवेट और संगठनों द्वारा किया जाता है। ये संस्थाएं इस्लामिक नियमों (शरिया कानून) के आधार पर उत्पादों की जांच और सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करती हैं। 

जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट (Jamiat Ulama-e-Hind Halal Trust):

  • यह भारत में हलाल सर्टिफिकेशन के लिए एक प्रमुख संस्था है।
  • यह संगठन इस्लामिक स्टैंडर्ड के तहत  दवाइयां, कॉस्मेटिक, फूड पर सर्टिफिकेट देती है। 

हलाल इंडिया (Halal India):

  • हलाल सर्टिफिकेशन विशेष रूप से भारतीय कंपनियों को वैश्विक मुस्लिम बाजार तक पहुंचने में मदद करता है।
  • हलाल इंडिया का सर्टिफिकेशन फार्मास्यूटिकल्स, कॉस्मेटिक्स, और लॉजिस्टिक्स के लिए दिया जाता है।

हलाल सर्टिफिकेशन सर्विस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (HCS):

  • यह संगठन भारतीय उत्पादों को हलाल सर्टिफिकेशन प्रदान करता है।
  • यह अंतरराष्ट्रीय हलाल मानकों का पालन करते हैं ताकि मुस्लिम उपभोक्ता सर्टिफाइड प्रोडक्ट का इस्तेमाल आसानी से कर सके।

इंटरनेशनल हलाल सर्टिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (IHCP):

  • यह संगठन भी भारत में हलाल सर्टिफिकेशन सेवाएं प्रदान करता है।
  • इसका उद्देश्य मुस्लिम उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

क्यों हो रही इसकी आलोचना?

  1. हलाल सर्टिफिकेशन का खर्च कंपनियों को करना पड़ता है, जिससे प्रोडक्ट्स की कीमत बढ़ सकती है। 
  2. कुछ लोगों का मानना है कि यह सर्टिफिकेशन केवल मुस्लिम उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है, जबकि इसका आर्थिक बोझ सभी उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
  3. हलाल सर्टिफिकेशन के खिलाफ यह तर्क दिया जाता है कि इससे धर्म आधारित भेदभाव को बढ़ावा मिल सकता है।

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