गुजरात में कच्छ का रण (रन ऑफ कच्छ) महोत्सव इन दिनों चल रहा है। कुछ महीनों के लिए यह इलाका रंग-बिरंगे सांस्कृतिक मेले में बदल जाता है। कच्छ का यह क्षेत्र दरअसल एक विशाल नमक का दलदली इलाका है, जो सर्दियों में सफेद रेगिस्तान का रूप ले लेता है। इस साल यह महोत्सव 23 अक्टूबर 2025 से 4 मार्च 2026 तक धोरडो में आयोजित किया गया है। वर्ष 2023 में इस गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) ने ‘बेस्ट टूरिज्म विलेज’ का दर्जा दिया था।
यह कच्छ क्षेत्र का एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है, जिसमें सफेद रण की अनोखी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ स्थानीय कला और संस्कृति को करीब से देखने का मौका मिलता है। यह उत्सव आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर से मार्च तक चलता है। यहां टेंट सिटी में ठहरने की सुविधा के साथ कई तरह के सांस्कृतिक और मनोरंजन कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
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महोत्सव में क्या-क्या होता है?
उत्सव में फोक डांस, गाना, गारबा और भावई रातें पूर्णिमा पर विशेष उत्सव और कई अन्य कार्यक्रम होते हैं। यहां लोग कई तरह के स्थानीय कारीगरों से बने सामान जैसे कढ़ाई किया हुआ सामान या कपड़े खरीद सकते हैं। इसमें कई अन्य गतिविधियां भी शामिल है जैसे-
- ऊंट सफारी, ATV (ऑल-टेरेन व्हीकल) राइड, पैरामोटरिंग, जिपलाइन और रॉक क्लाइंबिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स।
- सूरज के उगने-डूबने का नजारा, काला डूंगर सैर, मांडवी बीच और विजय विलास पैलेस।
- गुजराती-कच्छी खाना, क्राफ्ट वर्कशॉप और डेजर्ट सफारी।
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मुख्य आकर्षण का क्षेत्र
- सफेद रेगिस्तान- पूर्णिमा की रातों में नमक की परतें चांदनी में ऐसे चमकती हैं। यह ऐसा दिखता है जैसे बर्फ पर चांद उतर आया हो।
- बन्यन वाइल्डलाइफ सेंचुरी- यह भारत का सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ सेंचुरी क्षेत्र है जहां रेगिस्तानी लोमड़ी, चीतल और फ्लेमिंगो जैसी दुर्लभ प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
- धोलावीरा के अवशेष- सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे पुराने शहर धोलावीरा के इतिहास के बारे में जानना लोगों के लिए एक अद्भुत अनुभव रहता है।
रहने की व्यवस्था
इस पूरे महोत्सव का आयोजन गुजरात टूरिज्म ही करता है। इसमें टेंट हाउस बने होते हैं जिसमें लोगों की रहने की व्यवस्था रहती है। यहां भुज हवाई अड्डे या रेलवे स्टेशन से पहुंचा जा सकता है।