योगी सरकार में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को लेकर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने खुद मोर्चा खोला है। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर निदेशक आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवाएं) को पत्र लिखकर भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की शिकायत की है। साथ ही मंत्री ने जिले स्तर पर हो रही भर्ती को रद्द करने की मांग की है और इस भर्ती को प्रदेश स्तर से कराने को लेकर मांग की है।
मंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार से गोपनीयता का पालन नहीं किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा डीपीओ दफ्तर के बाबू आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से सीधे संपर्क करके पैसे मांग रहे हैं।
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जिला स्तरीय भर्ती में उठे हैं सवाल
उत्तर प्रदेश के सभी जिलों को मिलाकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 52 हजार से अधिक पद खाली हैं। रिक्त पदों की पूर्ति के लिए सरकार पिछले साल से भर्ती करवा रही है। हालांकि, भर्ती अभी तक पूरी नही हो पायी है। बहुत से जिलों में भर्ती को लेकर अनियमितता की शिकायतों और हाईकोर्ट में याचिका की वजह से भर्ती की प्रक्रिया जहां की तहां अटकी पड़ी है।
इसी वजह से अभी तक भर्ती का काम चल रहा है। भर्ती कराने के लिए शासन ने जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) को जिम्मेदारी दे रखी है। हालांकि, इसके लिए गठित कमेटी का अध्यक्ष संबंधित जिले के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को नामित किया गया है लेकिन भर्ती को लेकर डीपीओ की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। विवादों की वजह से कई बार मानकों में भी बदलाव किए गए हैं। बदलावों के बाद भी भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं। वहीं जिला स्तर अधिकारियों पर मानकों से अलग भर्ती करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। मामले से जुड़ी ऐसी तमाम शिकायतें शासन और आईसीडीएस निदेशालय में पहुंच रही हैं। निदेशालय स्तर पर भी शिकायतों को दबा दिया जा रहा है, ऐसे आरोप सामने आ रहे हैं।
मंत्री ने खुद दर्ज की शिकायत
महिला कल्याण एवं बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने खुद निदेशक आईसीडीएस को पत्र लिखा है। उन्होंने डीपीओ और उनके कार्यालय के कर्मचारियों पर भर्ती में अनियमितता बरतने का खुला आरोप लगाया है। मंत्री ने अपने पत्र में अपने दौरे का हवाला देते हुए लिखा है कि वह जिस भी जिले में दौरे पर जा रही हैं, वहां भर्ती में भ्रष्टाचार को लेकर ढेर सारी शिकायतें मिल रही हैं।
मंत्री ने लिखा है कि इसमें भर्ती प्रक्रिया की गोपनीयता का पालन तक नहीं किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया है कि डीपीओ दफ्तर के बाबू आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से सीधे संपर्क करके उनसे पैसे की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा भर्ती के लिए दो-दो लाख रुपये की मांग की जा रही है। 21 फरवरी को लिखे गए इस पत्र के माध्यम से मंत्री मौजूदा भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए जिला के बजाए प्रदेश स्तर से भर्ती कराने की मांग की हैं।
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आय प्रमाण पत्र में गड़बड़ी
भर्ती को लेकर आय सीमा भी निर्धारित की गई है। जिसमें स्थानीय नेता और रसूखदार अपने-अपने लोगों की भर्ती के लिए तहसील में अधिकारियों से मिलकर कम आय का प्रमाण पत्र बनवा कर भर्ती कराने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी तमाम शिकायतों पर न तो शासन कुछ बोलने को तैयार है और अभी तक निदेशालय से भी कोई जवाब नहीं आया है।