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सब कुछ सुनता है गूगल! बचने के लिए इस तरह करें जांच

कई बार हम देखते हैं कि गूगल हमारी बात सुनकर उसी से जुड़े विज्ञापन देता है। लेकिन कुछ तरीकों से उससे बचा जा सकता है।

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क्या गूगल हमारी बात सुनता है? (Pic Credit- AI Image)

डिजिटल युग में हम ज्यादातर काम इंटरनेट या स्मार्ट डिवाइस पर करते हैं और उसी निर्भर हैं। लेकिन कई बार हम देखते हैं कि जिस बात को हम अपने दोस्त या परिवार के सदस्यों से कहते हैं, उसी से जुड़ा कोई विज्ञापन सोशल मीडिया या गूगल पर दिखाई देने लगता है। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या गूगल और अन्य टेक कंपनियां हमारी बातें सुन रही हैं?

क्या वास्तव में गूगल सुनता है हमारी बातें?

तकनीकी रूप से गूगल दावा करता है कि वह आपकी बातें "जानबूझकर" नहीं सुनता। हालांकि, इसके उत्पाद जैसे गूगल असिस्टेंट और स्मार्ट स्पीकर्स (जैसे गूगल नेस्ट) उपयोगकर्ता की वॉयस कमांड का जवाब देने के लिए हमेशा "सुनने" की स्थिति में रहते हैं। इन डिवाइसों को केवल "OK Google" या "Hey Google" कहने पर सक्रिय होना चाहिए, लेकिन कई बार यह तकनीक गलती से भी वॉयस डेटा रिकॉर्ड कर सकती है।

रिपोर्ट्स और विवाद

2019 में यह बात सामने आई कि गूगल के कर्मचारी उपयोगकर्ताओं द्वारा रिकॉर्ड की गई वॉयस कमांड का विश्लेषण करते हैं। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि वॉयस डाटा का उपयोग गूगल द्वारा मशीन लर्निंग और विज्ञापन टार्गेटिंग के लिए किया जाता है। हालांकि, गूगल ने स्पष्ट किया है कि वह केवल उपयोगकर्ताओं की सहमति के बाद ही वॉयस डाटा का उपयोग करता है. हालांकि प्राइवेसी को लेकर चिंताएं फिर भी बनी रहती हैं।

डिजिटल प्राइवेसी का सच

डिजिटल प्राइवेसी का मतलब है कि आपकी ऑनलाइन जानकारी जैसे ब्राउजिंग हिस्ट्री, व्यक्तिगत डेटा, लोकेशन और वॉयस रिकॉर्डिंग सुरक्षित रहें। लेकिन आज के समय में बड़ी टेक कंपनियां इस डेटा का उपयोग विज्ञापन और अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए करती हैं।

बड़ी चिंता क्या है?

बता दें कि गूगल, फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म आपकी ब्राउजिंग आदतों और लोकेशन को ट्रैक करते हैं। आपकी ऑनलाइन गतिविधियों के आधार पर व्यक्तिगत विज्ञापन दिखाए जाते हैं। लेकिन इससे बड़ी कंपनियों के डेटा ब्रीच की घटनाएं भी प्राइवेसी को खतरा डाल सकती हैं।

अपनी प्राइवेसी की सुरक्षा कैसे करें?

अपने फोन और गूगल असिस्टेंट की सेटिंग्स में जाकर माइक्रोफोन एक्सेस को नियंत्रित करें। इसके साथ गूगल की "My Activity" सेक्शन में जाकर रिकॉर्ड किए गए वॉयस डेटा को डिलीट करें। अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित रखने के लिए VPN और सिक्योर ब्राउजर का उपयोग करें। साथ ही किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी जांच करें और ऐसे एप्स को डाउनलोड न करें जो अधिक अनावश्यक अनुमतियां मांगते हैं। इससे प्राइवसी ब्रीच का खतरा अधिक रहता है।

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