इजरायल को दुनिया के सबसे खतरनाक क्षेत्रों में गिना जाता है, जहां हमेशा युद्ध और आतंक की आशंका बनी रहती है। ऐसे हालातों से निपटने के लिए इजरायल ने समय के साथ एक बहु-स्तर वाले एयर डिफेंस सिस्टम तैयार किया है, जिसे दुनिया भर में सबसे प्रभावी माना जाता है। इस सिस्टम का प्रमुख हिस्सा है –Iron Dome।
हाल ही में, जब इजरायल ने ईरान पर एक बड़ा हमला किया जिसमें तेहरान के प्रमुख सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए, उसके बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई में 100 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलें दागीं। हालांकि, इजरायली सेना ने दावा किया कि उन्होंने इन सभी को सफलतापूर्वक हवा में ही रोक दिया, जो उनके डिफेंस सिस्टम की मजबूती को दिखाता है।
Iron Dome- इजरायल की रक्षक दीवार
Iron Dome इजरायल की सुरक्षा सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका इस्तेमाल छोटी दूरी की मिसाइलों, रॉकेटों और ड्रोन को हवा में ही नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह सिस्टम 2011 में चालू हुई थी।
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कैसे काम करता है Iron Dome?
यह सिस्टम रडार (Radar) से काम करती है। जैसे ही कोई रॉकेट या ड्रोन सीमा में प्रवेश करता है, उसे तुरंत डिटेक्ट कर लिया जाता है। जानकारी एक ‘बैटल मैनेजमेंट सेंटर’ में जाती है, जहां एक्सपर्ट यह तय करते हैं कि कौन-सी यूनिट से जवाबी हमला किया जाए।
ट्रक पर लगे मोबाइल यूनिट मिसाइल छोड़ते हैं और खतरे को हवा में ही नष्ट कर देते हैं। कई बार सुरक्षा की पुख़्ता गारंटी के लिए दूसरी मिसाइल भी दागी जाती है। इजरायल का दावा है कि Iron Dome की सफलता दर 90% से अधिक है। यह सिस्टम 4 से 70 किलोमीटर की दूरी तक आने वाले खतरे को सेकंडों में निष्क्रिय कर सकती है।
अमेरिका का सहयोग
Iron Dome का विकसित करने के लिए इजरायल ने अमेरिका के सहयोग से किया। 2011 से 2021 के बीच अमेरिका ने इस परियोजना के लिए 1.6 बिलियन डोलर दिए। 2022 में अमेरिकी कांग्रेस ने 1 बिलियन डॉलर की मदद भी मंजूर की। हालांकि 1990 के दशक में जब इजरायल ने इस डिफेंस सिस्टम का प्रस्ताव रखा था, तब अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने इसे अव्यवहारिक बताया था। आज वही सिस्टम दुनिया की सबसे कारगर मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी बन चुकी है।
इजरायल की अन्य डिफेन्स सिस्टम
Iron Dome के अलावा इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम में कई और उन्नत तकनीकें शामिल हैं। यह सिस्टम लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है। यह वायुमंडल से बाहर भी मिसाइलों को निष्क्रिय कर सकती है। हाल ही में ईरान और यमन से दागे गए लंबी दूरी के मिसाइलों को इसने सफलतापूर्वक रोका। यह मध्यम दूरी की मिसाइलों के खिलाफ काम करता है। यह सिस्टम हिज़्बुल्लाह जैसे संगठनों से आने वाले खतरों को टारगेट करती है।
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पैट्रियट मिसाइल सिस्टम (Patriot Missiles) सबसे पुरानी सिस्टम है, जो 1991 के गल्फ वॉर के समय इस्तेमाल हुई थी। अब इसका इस्तेमाल खास तौर पर ड्रोन और दुश्मन के विमानों को मार गिराने के लिए किया जाता है। यह सिस्टम बहुत महंगी है- एक सिस्टम की कीमत लगभग 1.1 बिलियन डॉलर और एक मिसाइल की कीमत 4.1 मिलियन डॉलर बताई जाती है।
इजरायल अब एक नई तकनीक पर काम कर रहा है- आयरन बीम, जो लेजर किरणों से आने वाले खतरों को खत्म करेगा। यह सिस्टम अभी निर्माणाधीन है लेकिन अक्टूबर 2025 तक तैनात होने की संभावना है। इस सिस्टम की खास बात यह है कि यह बेहद सस्ती होगी, क्योंकि इसमें मिसाइलों की जगह ऊर्जा किरणों का उपयोग किया जाएगा।