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अब कब होगी ISRO के SpaDeX मिशन की डॉकिंग और क्यों है ये मिशन खास

ISRO ने आज होने वाले SpaDeX मिशन की डॉकिंग को स्थगित कर दिया था। जानिए कब होगी डॉकिंग और जानिए इसका उद्देश्य।

Image of Spadex Mission

इसरो का SpaDex मिशन।(Photo Credit: ISRO/Off. Website)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने SpaDeX (SpaDeX) मिशन की डॉकिंग को स्थगित करने की घोषणा की है। पहले यह डॉकिंग आज यानी 7 जनवरी 2025 को निर्धारित थी, लेकिन अब इसे 9 जनवरी 2025 को किया जाएगा। बता दें कि जब अंतरिक्ष में दो या इससे ज्यादा सैटेलाइट जोड़े जाते हैं तो उसे डॉकिंग कहा जाता है। इसरो ने डॉकिंग को स्थगित करने के पीछे किसी कारण को नहीं बताया है।

 

इसरो ने एक संदेश में कहा, 'SpaDeX मिशन के डॉकिंग कार्यक्रम को 7 जनवरी 2025 से स्थगित कर 9 जनवरी 2025, गुरुवार को पुनर्निर्धारित किया गया है। कार्यक्रम के समय के बारे में बाद में सूचित किया जाएगा।' इसरो ने देरी के कारण हुई असुविधा के लिए खेद प्रकट किया है लेकिन तारीख बदलने के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं की है।

SpaDeX को कहा गया है आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

इस बीच, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने बीते सप्ताह कहा कि SpaDeX मिशन को 'भारतीय डॉकिंग तकनीक' का नाम दिया गया है, क्योंकि यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। यह भारत का पहला प्रयोग है, जो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक से जुड़ा है।

 

एक प्रेस वार्ता के दौरान, मंत्री ने कहा, 'SpaDeX मिशन भारत का पहला ऐसा प्रयोग है, जो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करेगा। इसे भारतीय डॉकिंग तकनीक नाम दिया गया है, क्योंकि यह पूरी तरह से स्वदेशी है। यह प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप है।'

क्या है SpaDeX मिशन?

30 दिसंबर 2024 को इसरो ने PSLV-C60 के माध्यम से SpaDeX मिशन और अन्य इनोवेटिव पेलोड्स का सफल प्रक्षेपण किया। SpaDeX मिशन, भारत का एक लागत प्रभावी तकनीकी प्रदर्शन मिशन है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का विकास को दिखाना है।

 

SpaDeX मिशन के तहत दो छोटे उपग्रह- SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट) को निचली पृथ्वी कक्षा (Low-Earth Orbit) में भेजा गया है। इनका प्राथमिक उद्देश्य अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को एक साथ लाना, डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीकों का सफलतापूर्वक प्रदर्शन करना है।

 

यह मिशन तकनीकी दृष्टि से भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा। डॉकिंग तकनीक का विकास अंतरिक्ष अनुसंधान के भविष्य को नई दिशा दे सकता है और यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमता को और मजबूत कर सकता है।

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