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सोशल मीडिया पर हुई दोस्ती कैसे बन सकती है सबसे बड़ी गलती? सब कुछ जानें

सोशल मीडिया साइबर अपराधियों का सबसे आसान हथियार है, जहां दोस्ती करके धोखाधड़ी को अंजाम दिया जाता है।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Freepik)

आजकल सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर नए दोस्त बनाना आम बात हो गई है। लोग फोटो, वीडियो, धड़ल्ले से शेयर करते हैं। साथ ही लाइक और फॉलोवर्स के लिए किसी को फॉलो या चैट करते हैं लेकिन जहां ये प्लेटफॉर्म लोगों को जोड़ने का जरिया है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधी भी इन्हें अपना निशाना बना रहे हैं।

कैसे बनता है सोशल मीडिया पर दोस्ती से खतरा?

जब कोई अनजान व्यक्ति फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है और हम बिना जांचे-परखे उसे एक्सेप्ट कर लेते हैं, वहीं से खतरे की शुरुआत होती है। साइबर अपराधी अक्सर फेक प्रोफाइल बनाकर अच्छे नाम और आकर्षक तस्वीरों के जरिए लोगों का विश्वास जीतते हैं।

 

जैसे ही आप उनसे बातचीत शुरू करते हैं, वो आपकी जानकारी इकट्ठा करने लगते हैं- जैसे आपकी पसंद, आपके परिवार के सदस्य, आपके घूमने की जगह, आपका मोबाइल नंबर आदि। फिर यही जानकारी उनके के लिए साइबर क्राइम का हथियार बनती है।

 

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साइबर क्राइम के सामान्य तरीके

  • फिशिंग (Phishing): फेक लिंक भेजकर आपसे आपकी बैंक जानकारी, पासवर्ड या ओटीपी मांगना।
  • इमोशनल ब्लैकमेल: पहले दोस्त बनाकर फिर निजी जानकारी या फोटो लेकर धमकी देना।
  • फ्रॉड इन्वेस्टमेंट: ऑनलाइन दोस्ती कर के कमाई या निवेश के झूठे वादे करके पैसे ठग लेना।
  • फर्जी जॉब ऑफर: इंस्टाग्राम या फेसबुक के जरिए जॉब का लालच देकर पर्सनल जानकारी चुराना।
  • आईडी हैकिंग: आपकी प्रोफाइल हैक कर के आपके नाम से दूसरों से पैसे मांगना या धोखा देना।

कैसे करें बचाव?

  • फ्रेंड रिक्वेस्ट सोच-समझकर स्वीकार करें: अनजान लोगों से जुड़ने से पहले उनके प्रोफाइल की जांच करें।
  • प्रोफाइल को प्राइवेट रखें: इंस्टाग्राम और फेसबुक पर सेटिंग्स में जाकर तय करें कि आपकी जानकारी सिर्फ आपके दोस्त ही देख सकें।
  • संवेदनशील जानकारी साझा न करें: जैसे कि आपका पता, मोबाइल नंबर, बैंक डिटेल या कोई निजी फोटो।

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  • डबल ऑथेंटिकेशन ऑन करें: पासवर्ड के साथ मोबाइल ओटीपी या ऐप आधारित सुरक्षा उपयोग करें।
  • फेक लिंक से सावधान रहें: कोई भी लिंक क्लिक करने से पहले सोचें कि क्या वह भरोसेमंद है या नहीं।
  • साइबर हेल्पलाइन की जानकारी रखें: कोई यदि ब्लैकमेल या धोखाधड़ी हो, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल को रिपोर्ट करें। भारत में 1930 पर कॉल करके शिकायत दर्ज की जा सकती है।
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