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पैसिव कूलिंग से ग्रीन सिटी तक, हीटवेव से इस तरह निपटें

बढ़ती गर्मी और जलवायु परिवर्तन ने हीटवेव को और भी घातक बना दिया है। आइए जानते हैं, कैसे इससे बचा जा सकता है।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva Image)

साल 2025 में भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। यह सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन (climate change) का सीधा परिणाम है। एक अंतरराष्ट्रीय स्टडी में बताया गया है कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका की भयंकर गर्मी जलवायु परिवर्तन के बिना संभव नहीं थी। चीन में तो ज्यादा गर्मी की वजह भी इसे ही बताया जा रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। हीटवेव (लू) अब हर साल और ज्यादा घातक रूप ले रही है। ऐसे में विशेषज्ञ कुछ उपाय बता रहे हैं, जो लू से लड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं।

पैसिव कूलिंग तकनीक

बिना बिजली के घर को ठंडा रखने की तकनीक को पैसिव कूलिंग कहते हैं। इसके लिए छायादार पर्दे, खुलने वाले खिड़कियां, हवा के रास्ते, और हवादार छतें इसके उदाहरण हैं। अमेरिका में हुए एक स्टडी में ये बताया गया कि इन उपायों से 80% तक एसी की जरूरत कम हो सकती है। भारत में भी कई जगहों पर इस तरह के तकनीक को देखा जा सकता जो।

 

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ग्रीन सिटी बनाना

भारत के महानगर जैसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और चेन्नई में गर्मी की लहरें जानलेवा हो चुकी हैं। इस स्थिति में शहरों में हरियाली बढ़ाना बेहद जरूरी है। पेड़-पौधे, ग्रीन रूफ्स और living walls- यानी दीवारों पर पौधे लगाकर शहरी इलाकों को ठंडा रखा जा सकता है। हर पेड़ सिर्फ छाया नहीं देता, बल्कि पत्तियों से निकलने वाली जलवाष्प (vapour) भी वातावरण को ठंडा करती है।

 

भारत में पहले से ही गर्मी से लड़ने के उपाय मौजूद हैं, जिसमें पुराने मकानों में आंगन होते थे जो हवा के संचार को बेहतर बनाते थे। अभी भी कुछ घरों में ऐसा देखा जा सकता है। इसके साथ मोटी दीवारें और मिट्टी/चूना पत्थर जैसी चीजों से बनी छतें गर्मी को भीतर आने से रोकती थीं।

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