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कैसे बनवाएं रेंट एग्रीमेंट, किराएदारों के लिए जरूरी क्यों है?

भारत सरकार ने मकान मालिक और किराएदार के बीच झगड़ों को खत्म करने के लिए रेंटल प्रॉपर्टी से जुड़े नए नियम बनाए हैं। इन नियमों से अब मकान मालिक की मनमर्जी खत्म हो जाएगी।

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सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: Social Media

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रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में छोटे शहरों और गांवों से लोग बड़े शहरों की ओर जा रहे हैं। लोगों के इस पलायन के साथ ही बड़े शहरों में किराए के घरों की मांग भी पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ी है। इन लोगों को बड़े शहरों में आकर मकान मालिक की मनमानी से परेशान होना पड़ता था और अक्सर मकान मालिक और किराएदार के बीच झगड़ों की खबरें सामने आती रहती हैं। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए अब भारत सरकार ने किराए के नियमों में बदलाव किया है और रेंट एग्रीमेंट यानी किराया समझौता 2025 को लागू किया गया है।

 

नए समझौतों में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब किराए पर मकान लेने के दो महीने के अंदर ही रेंट एग्रीमेंट बनवाना होगा और इसे रजिस्टर करवाना होगा। रेंट एग्रीमेंट को ऑनलाइन वेबसाइट पर भी रजिस्टर किया जा सकता है और ऑफलाइन रजिस्ट्रार के पास जाकर भी। खास बात यह है कि अगर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया तो 5,000 रुपये जुर्माना लगेगा। इस नए नियम से मकान मालिक और किराएदारों के बीच होने वाले मौखिक या बिना रजिस्टर्ड समझौते कम होंगे और कानूनी झगड़े भी कम होंगे।

 

कैसे बनवाएं रेंटल एग्रीमेंट?

अब तक रेंटल एग्रीमेंट को लेकर कोई एक तय फॉर्मेट नहीं था। मकान मालिक और किराएदार जिन मौखिक शर्तों पर राजी होते थे उन्हें ही लिख कर उस पर सिग्नेचर कर लिए जाते थे। ज्यादातर मामलों में इस तरह ही रेंट एग्रीमेंट बनते हैं और इनमें झगड़ों की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इन सभी से बचने के लिए सरकार ने अब रेंटल एग्रीमेंट को कानूनी रूप से जरूरी कर दिया है और अगर रेंट एग्रीमेंट ना बनवाया जाए तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। 

 

ऐसे में अब सरकार ने फैसला किया है कि रेंट एग्रीमेंट के लिए एक फॉर्मेट केंद्र सरकार जारी करेगी और उस टेंप्लेट के हिसाब से ही सबको रेंट एग्रीमेंट बनवाना होगा। इस टेंप्लेट पर ही डिजिटल स्टांप के साथ एग्रीमेंट को ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। इसके लिए सरकार ने 2 महीने की समय सीमा तय की है। इससे पहले कई राज्यों में हाथों से लिखे हुए रेंट एग्रीमेंट बिना रजिस्ट्रेशन के स्वीकार करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नए नियमों से रेंटल प्रोसेस को कानूनी रूप दिया जाएगा, जिससे मकान मालिक और किराएदार दोनों के झगड़े खत्म होंगे। 

अब नहीं चलेगी मनमर्जी

  • अब तक मकान मालिक अपने मन मुताबिक सिक्योरिटी डिपॉजिट करवाते थे लेकिन अब इसके लिए भी नियम बना दिया गया है। अगर रिहायशी प्रॉपर्टी है तो 2 महीने का रेंट और अगर कॉमर्शियल प्रॉप्रटी है तो 6 महीने का रेंट सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लिया जा सकता है। 
  • मकान मालिक अब अपनी मनमर्जी से किराय नहीं बढ़ा पाएंगे। रेंट एग्रीमेंट के अनुसार, 12 महीने से पहले किराया नहीं बढ़ाया जा सकता। किराया सिर्फ 12 महीने पूरे होने के बाद ही बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए मकान मालिक को कम से कम 90 दिन पहले किराएदार को नोटिस देना होगा और यह नोटिस लिखित होना चाहिए।
  • अब घर की मरम्मत को लेकर भी नियम बन गए हैं। नए नियमों के अनुसार, अगर जरूरी मरम्मत की रिपोर्ट की जाती है तो मकान मालिक को 30 दिन के भीतर मरम्मत करवानी होगी। अगर मकान मालिक ऐसा नहीं करता तो किराएदार अगले महीने के रेंट से पैसा काट सकते हैं।
  • मकान मालिक अब अपनी मनमर्जी से प्रॉपर्टी खाली नहीं करवा पाएंगे। रेंट ट्रिब्यूलन के नियमों के अनुसार ही अब प्रॉप्रटी खाली करवाई जा सकती है। रेंट ट्रिब्यूनल को शिकायत करने की तारीख से 60 दिनों के अंदर झगड़ों का फैसला करना जरूरी होगा। 
  • प्रॉपर्टी का इस्तेमाल करने से पहले किराए की प्रॉपर्टी पर रहने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन करवाना होगा। साथ ही 5,000 रुपये से ज्यादा राशि के पेमेंट के लिए डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करना होगा। किराया अगर 50,000 रुपये महीने से ज्यादा है तो टीडीएस भी लागू होगा। नए नियमों से अब किराएदार और मकान मालिक के बीच कानूनी समझौता होगा और उसके हिसाब से ही सब कुछ होगा। 
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