उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। हाल ही में दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में तेज बारिश की वजह से सड़कों पर जलभराव हो गया था। सड़कों पर पानी भरने की वजह से गाजियाबाद के एक व्यापारी की कार बीच सड़क पर पानी में फंस गई थी। पानी में फंसने से कार बंद पड़ गई थी। कार को ठीक कराने में लाखों का खर्च आने की वजह से व्यापारी नगर निगम को जलभराव का जिम्मेदार ठहराते हुए मुआवजे की मांग करने लगा। मामला यहीं नहीं थमा नगर निगम ने इस मामले में सफाई देते हुए व्यापारी पर ही सवाल खड़े कर दिए। यहां तक की नगर निगम ने उसे पेशेवर शिकायतकर्ता करार दिया है।
मामला 23 जुलाई का है। गाजियाबाद का एक अमित किशोर नाम का व्यापारी अपनी मर्सिडीज कार लेकर साहिबाबाद से वसुंधरा की ओर जा रहे थे। बारिश की वजह से सड़कों पर पानी भर गया था। अमित ने बताया कि सड़क पर इतना पानी था कि कार पानी में घुसते ही बंद पड़ गई। कार की रिपेयरिंग के लिए 5 लाख रुपये का खर्च आया था। ऐसे में अमित किशोर नगर निगम को जलभराव का जिम्मेदार ठहराते हुए मुआवजे की मांग कर रहे थे।
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क्या है पूरा मामला?
वसुंधरा सेक्टर-11 में रहने वाले अमित किशोर साहिबाबाद से अपनी मर्सिडीज GLA 200 D चलाकर वापस लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि जैसे ही वह अपने घर के पास पहुंचे, उन्हें लगा जैसे सड़क नहीं, कोई नदी पार कर रहे हों। तेज बारिश के बाद वहां इतना पानी भर गया था कि सड़कें दिखना बंद हो गई थीं। उनकी मर्सिडीज बीच सड़क पर पानी में फंस गई। कुछ ही मिनटों में कार का पूरा सिस्टम बैठ गया। कार न स्टार्ट हो रही थी, न खिसकाई जा सकती थी। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और इंजन दोनों बंद हो चुके थे। हालात ऐसे बन गए कि उन्हें क्रेन बुलानी पड़ी, जिससे कार को किसी तरह पानी से बाहर निकालकर नोएडा के सर्विस सेंटर भेजा जा सके। कार के खराब होने और लाखों का नुकसान झेलने के बाद अमित किशोर ने नगर निगम गाजियाबाद को 5 लाख रुपये के मुआवजे के लिए कानूनी नोटिस भेजा था।
नगर निगम ने दी थी प्रतिक्रिया
नगर निगम ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमित किशोर पेशेवर शिकायतकर्ता हैं। नगर निगम ने कहा कि यह अपने निजी करणों की वजह से नगर निगम की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। नगर निगम ने दावा किया है कि जिस गाड़ी की फोटो वायरल हो रही है, वह दिल्ली नंबर की गाड़ी है। उन्होंने कहा कि जलस्तर टायर तक भी नहीं पहुंचा था। गाड़ी बारिश के जलभराव के कारण खराब हुई इसका कोई तकनीकी प्रमाण नही है। साथ ही, नगर निगम ने यह भी बताया कि उसने कितना कुछ काम किया है। नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि रिकॉर्ड बारिश के बावजूद समय पर नालों की सफाई, ड्रोन से मॉनीटरिंग और पंप सेट की व्यवस्था की गई थी। निगम का कहना है कि शहर में अन्य कोई ऐसा मामला सामने नहीं आया है।
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नगर निगम के जवाब से नाराज व्यापारी
नगर निगम की प्रतिक्रिया पर कारोबारी अमित किशोर ने कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें पेशेवर शिकायतकर्ता बताना दुर्भाग्यपूर्ण है और यह दर्शाता है कि जब कोई आम नागरिक सवाल पूछता है तो संस्थाएं जवाबदेही के बजाय उसे बदनाम करने लगती हैं। उन्होंने कहा कि गाड़ी दिल्ली नंबर की है तो क्या वह गाजियाबाद में नहीं चल सकती? यह विषय से ध्यान भटकाने की कोशिश है। गाड़ी का टायर तक पानी में नहीं था यह दावा सरासर गलत है। जिस समय गाड़ी बंद हुई, उस वक्त जलस्तर लगातार बढ़ रहा था और इंजन में पानी घुस चुका था। इसकी पुष्टि ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर ने भी रिपोर्ट में की है।
उन्होंने आगे सवाल किया कि क्या अब हर नागरिक को अपनी शिकायत के साथ तकनीकी विशेषज्ञ की रिपोर्ट लानी होगी? ऐसा तो नहीं है कि पहली बार किसी ने जलभराव की ओर ध्यान दिलाया है। जलभराव के अन्य कई मामले भी शहर भर से सामने आए हैं। चाहे वह सोशल मीडिया हो या लोकल न्यूज। निगम का ड्रोन मॉनीटरिंग और नाले की सफाई का दावा तब खोखला लगता है जब सड़कों पर गाड़ियां पानी में बंद हो रही हों। निगम ने खुद स्वीकार किया कि शहरीकरण के दबाव में नालों की क्षमता कम पड़ रही है तो सवाल उठता है कि इसकी जिम्मेदारी किसकी है? अमित किशोर ने कहा कि वह अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत सवाल पूछ रहे हैं और अगर संस्थाएं जिम्मेदारी से बचती हैं तो वह कानूनी रास्ते पर भी जाने को तैयार हैं।