भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर तनाव जारी है। इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना अमेरिका या डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए ही कहा है कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के हितों से समझौता नहीं करेगा। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत कीमत चुकानी पड़ेगी और वह इसके लिए तैयार भी हैं। अब इस पर सवाल यह उठता है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप के कहे के मुताबिक, अमेरिका भारतीय उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाता है तो उससे भारतीय किसानों को कितना नुकसान होगा? यह 'टैरिफ वॉर' किसानों के लिए चिंताजनक है क्योंकि बीते कुछ समय से दोनों देशों के बीच कृषि और इससे जुड़े उत्पादों के कारोबार में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है।

 

प्रधानमंत्री प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन की जन्मशती के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उनकी यह टिप्पणी अमेरिका की ओर से कृषि उत्पादों सहित भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की घोषणा के बाद आई है। इस मौके पर पीएम मोदी ने महान वैज्ञानिक स्वामीनाथन के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया।

 

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कौन थे स्वामीनाथन?

 

एम एस स्वामीनाथन एक प्रसिद्ध भारतीय आनुवंशिकीविद् और कृषि वैज्ञानिक थे, जिन्हें 1960 के दशक में उच्च उपज वाली गेहूं की किस्मों और आधुनिक कृषि तकनीकों को प्रस्तुत करके भारतीय कृषि के क्षेत्र में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत में ‘हरित क्रांति का जनक’ कहा जाता है। उनके कार्यों ने भारत में खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की और किसानों के बीच गरीबी को कम किया। स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था और 28 सितंबर, 2023 को 98 वर्ष की उम्र में चेन्नई में उनका निधन हो गया।

 

लगातार टैरिफ की धमकियां देते डोनाल्ड ट्रंप रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। भारत ने इसका विरोध किया है और कहा है कि ऐसा करने की कोई वजह नहीं है। इस सबके बीच भारत के साथ-साथ अमेरिका के किसानों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। इसकी वजह है कि पिछले कुछ साल में भारत और अमेरिका के बीच कृषि उत्पादों के कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। अगर भारी टैरिफ लगता है तो इस व्यापार में कटौती आ सकती है और इसका नुकसान किसानों के साथ-साथ कृषि उत्पादों का निर्यात करने वाले व्यापारियों को भी हो सकता है।

 

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भारत और अमेरिका का कृषि व्यापार

 

इस बात को समझने के लिए हमें पिछले कुछ महीनों का डेटा देखने की जरूरत है। अमेरिका के कृषि विभाग का डेटा बताता है कि इस साल जनवरी से जून 2025 के बीच अमेरिका के कृषि उत्पादों का भारत में आयात 49.1 प्रतिशत बढ़ा है। इतना ही नहीं, इसी समय में भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में 24.1 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। अब अगर टैरिफ वॉर जारी रहती है और दोनों देश टैरिफ बढ़ा देते हैं तो दोनों देशों में आयात होने वाले कृषि उत्पादों की कीमत बढ़ जाएगी और संभव है कि ग्राहक ऐसे उत्पादों को खरीदने से बचें। अंतिम परिणाम के रूप में दोनों देश आयात घटा सकते हैं और इसका नुकसान उत्पादकों यानी किसान को हो सकता है।

 

 

भारत ने जनवरी से जून 2024 में अमेरिका से 1135.8 मिलियन डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया था। यह इस साल के जनवरी से जून 2025 में 1693.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। यानी लगभग 49.1 प्रतिशत हुई। इसी तरह अमेरिका ने साल 2024 के जनवरी से जून में 2798.9 मिलियन डॉलर का आयात किया था और इस साल के छह महीनों में 24.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ यह 3472.7 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। 

 

यहां यह भी बता दें कि पिछले 2022 से 2024 के बीच भारत अमेरिका से लगभग दो हजार मिलियन डॉलर का आयात करता रहा है, वहीं अमेरिका भारत से लगभग छह हजार मिलियन डॉलर के कृषि उत्पाद खरीदता रहा है। अगर टैरिफ वॉर से यह कारोबार प्रभावित न हो तो भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले कृषि उत्पाद की कीमत लगभग 8 हजार मिलियन ड़लर तक पहुंच सकती है और अमेरिका से भारत आने वाले कृषि उत्पादों की कीमत 3.5 मिलियन डॉलर तक जा सकती है।

 

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किन चीजों का होता है कारोबार?

 

भारत, अमेरिका से सबसे ज्यादा बादाम और पिस्ता जैसी चीजें मंगवाता है और इसमें लगातार बढ़ोतरी भी होती जा रही है। इसके अलावा, एथेनॉल, सोयाबीन तेल और कपास का भी खूब आयात होता है। भारत, अमेरिका से जो एथेनॉल मंगाता है वह मुख्य तौर पर एल्कोहल बेस्ड केमिकल, दवाओं और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए होता है। अमेरिका चाहता है कि भारत तेल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए भी एथेनॉल का आयात करे और इस एथेनॉल की डीजल और पेट्रोल में ब्लेंडिंग की जाए। भारत लंबे समय से इसका विरोध करता आ रहा है। इसके अलावा, भारत जेनेटिक मोडिफाइड मक्का और सोयाबीन के आयात का भी विरोध कर रहा हूं।

 

 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के किसान जेनेटिकली मोडिफाइड मक्का और सोयाबीन उगाते हैं। भारत में इसके तेल और एथेनॉल का आयात करने की अनुमति तो है लेकिन इनके दानों का आयात नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, भारत से सीफूड, मसाले, चावल, चीनी और वनस्पति तेल जैसी चीजों का निर्यात भी खूब किया जाता है। फिलहाल यह स्पष्ट तो नहीं है कि टैरिफ से इनके दाम कितने प्रभावित होंगे लेकिन इतना तय है कि टैरिफ इसी तरह बढ़े और लागू भी किए गए तो किसानों को नुकसान जरूर होगा।