अमेरिका में शटडाउन का पहला दिन गुजर गया है। अमेरिकी सरकार को खर्च के लिए बजट की जरूरत होती है और इसके लिए फंडिंग बिल पास करना होता है। बुधवार को ट्रंप सरकार ने सीनेट में फंडिंग बिल पेश किया था लेकिन यह पास नहीं हो पाया। 100 सीटों वाली सीनेट में फंडिंग बिल को पास होने के लिए 60 वोटों की जरूरत थी लेकिन इसके पक्ष में 55 वोट ही पड़े। इसके खिलाफ 45 वोट पड़े। आखिरकार ट्रंप सरकार को शटडाउन लगाना पड़ा।
शटडाउन न लगे, इसके लिए सीनेट में बिल पेश किया गया था। डेमोक्रेट्स हेल्थकेयर सब्सिडी की मांग पर अड़े थे, जिसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी रिपब्लिकन पार्टी ने देने से मना कर दिया। शटडाउन के लिए डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन, दोनों एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। व्हाइट हाउस ने इसे 'डेमोक्रेट शटडाउन' बताया है।
इस बीच उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने संघीय कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, 'ईमानदारी से कहें तो अगर यह कुछ और दिनों तक या कुछ और हफ्तों तक खिंचा, तो हमें लोगों को नौकरी से निकालना पड़ेगा।'
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व्हाइट हाउस ने क्या कहा?
व्हाइट हाउस ने साफ किया है कि अगर शटडाउन लंबा खिंचता है तो लाखों कर्मचारियों की छंटनी भी की जा सकती है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने कहा कि संघीय कर्मचारियों की छंटनी करना जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से, डेमोक्रेट्स के कारण शटडाउन हो गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी कैबिनेट को निर्देश दिया है और बजट ऑफिस सभी एजेंसियों के साथ मिलकर इस पर काम कर रहा है कि कहां छंटनी की जा सकती है।'
लेविट ने कहा, 'हमारा मानना है कि छंटनी करना जरूरी है। दुर्भाग्य से यह शटडाउन का नतीजा है।'
इससे पहले जब आखिरी बार 2018 में ट्रंप सरकार में ही 35 दिन का शटडाउन लगा था, तब लाखों संघीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था लेकिन छंटनी नहीं की गई थी। मगर इस बार छंटनी का खतरा भी मंडरा रहा है।
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शटडाउन का असर क्या होगा?
शटडाउन होने का मतलब है कि सरकार के पास खर्च करने के लिए बजट नहीं है और इसके लिए उसे खर्च में कटौती करनी होगी। कटौती करने के लिए लाखों संघीय कर्मचारियों को बिना सैलरी के छुट्टी पर भेज दिया जाएगा। इसके अलावा, जो कर्मचारी काम करेंगे, उन्हें भी सैलरी नहीं मिलेगी।
जब शटडाउन होता है, तब गैर-जरूरी सेवाओं और कार्यक्रमों को बंद कर दिया जाता है। सिर्फ जरूरी सेवाएं ही चालू रहती हैं।
फंडिंग बिल पर वोटिंग से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका में शटडाउन हुआ तो वह डेमोक्रेट्स के कार्यक्रमों को रद्द कर देंगे और सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देंगे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था, 'हम बहुत से लोगों को नौकरी से निकाल देंगे और इनमें ज्यादातर डेमोक्रेट्स होंगे।'
माना जा रहा है कि शटडाउन के बाद 7.50 लाख से ज्यादा संघीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाएगा। जबकि, इमरजेंसी सर्विसेस से जुड़े 14 लाख कर्मचारियों को भी बिना सैलरी के ही काम करना पड़ता। अनुमान है कि इससे इससे हर दिन 40 करोड़ डॉलर यानी लगभग 3,500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। आखिरी बार जब 2018 में शटडाउन लगा था तो 20 लाख कर्मचारियों पर इसका असर पड़ा था।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका के 13 हजार से ज्यादा एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को बिना सैलरी के ही काम करना होगा। और तो और, अमेरिकी सेना के 20 लाख सैनिकों को शटडाउन खत्म होने तक बिना सैलरी के ही काम करना होगा।
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50 साल में 21वीं बार हुआ शटडाउन
पिछले 50 साल में फंडिंग बिल अटकने की वजह से अमेरिका में 21 बार शटडाउन लग चुका है। आखिरी बार ट्रंप की सरकार में दिसंबर 2018 में 35 दिन के शटडाउन रहा था। उस वक्त शटडाउन की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 11 अरब डॉलर का घाटा हुआ था।
ट्रंप के इस साल राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले भी शटडाउन का खतरा मंडराया था। हालांकि, बाद में फंडिंग बिल पास हो गया था। मगर इस बार फंडिंग बिल अटक गया है और अब शटडाउन लगने वाला है।
इससे पहले 2013 में ओबामा सरकार में भी 16 दिन तक शटडाउन रहा था। तब डेमोक्रेट्स ओबामाकेयर को बंद करने की मांग पर अड़े थे, जिस कारण फंडिंग बिल पास नहीं हो पाया था।
