अबू धाबी में आयोजित IUCN वर्ल्ड कंजर्वेशन कांग्रेस में भारत ने अपनी नेशनल रेड लिस्ट रोडमैप लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य देश के फ्लोरा एंड फॉना (पौधों और जानवरों) के संरक्षण की स्थिति का आकलन और निगरानी करना है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि यह विजन डॉक्युमेंट भारत के जैव विविधता के प्रति जागरुकता, उसके खतरे और संरक्षण के प्रयासों के बारे में दिखाता है।
उन्होंने नेशनल रेड लिस्ट आकलन (NRLA) के लिए भारत का विजन 2025–2030 पेश किया। इसे जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) और बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) ने IUCN-India और सेंटर फॉर स्पीशीज सर्वाइवल, इंडिया के साथ मिलकर तैयार किया है। उन्होंने कहा, 'यह विजन देश में अलग-अलग प्रजातियों की संरक्षण स्थिति का आकलन और निगरानी करने के लिए हमारे विचारों को दिखाता है।'
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भारत में खूब डायवर्सिटी
उन्होंने बताया कि भारत दुनिया के 17 मेगाडायवर्सिटी वाले देशों में से एक है और इसमें चार वैश्विक रूप से जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट - हिमालय, पश्चिमी घाट, इंडो-बर्मा और सुंदरलैंड- हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया का केवल 2.4% वैश्विक भूमि क्षेत्र होने के बावजूद, भारत में वैश्विक पौधों का 8% और जानवरों का 7.5% पाया जाता है, जिनमें से 28% पौधे और 30% से अधिक जानवर स्थानिक (केवल भारत में पाए जाने वाले) हैं।
मंत्री ने कहा कि भारत ने जैव विविधता संरक्षण के लिए मजबूत कानूनी ढांचे बनाए हैं, जैसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, जिसे 2022 में संशोधित किया गया ताकि CITES सूची में शामिल प्रजातियों को कवर किया जा सके। उन्होंने कहा, 'जैविक विविधता संधि (CBD) और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचे (KM-GBF) के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत ने IUCN के वैश्विक मानकों के अनुरूप नेशनल रेड लिस्ट आकलन शुरू किया है।' यह पहल सटीक आकलन, संरक्षण योजना और नीति निर्माण में मदद करेगी। उन्होंने पारंपरिक ज्ञान को भी डॉक्युमेंट किए जाने पर जोर दिया।
2030 तक प्रकाशित करना
इस पहल का लक्ष्य 2030 तक पौधों और जानवरों के लिए नेशनल रेड डेटा बुक प्रकाशित करना है, जो संरक्षण, योजना और खतरे को कम करने के लिए आधार प्रदान करेगी। मंत्री ने कहा, ‘भारत IUCN के वैज्ञानिक दिशा-निर्देशों का पालन करके अपनी देशी प्रजातियों का व्यापक खतरा आकलन करने के लिए तैयार है।’
यह भारत का पहला व्यापक राष्ट्रीय स्तर का प्रयास होगा, जिसका नेतृत्व पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय करेगा, जिसमें ZSI और BSI नोडल एजेंसियां होंगी। बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन जैसे देशों ने भी इसी तरह के आकलन किए हैं, लेकिन भारत का प्रयास सबसे व्यापक होगा, जिसमें प्रमुख टैक्सोनॉमिस्ट, संरक्षण जीवविज्ञानी और विशेषज्ञ एकजुट होंगे।
क्या है IUCN रेड लिस्ट?
रेड डेटा लिस्ट (Red Data List) या रेड लिस्ट एक अंतरराष्ट्रीय सूची है जिसमें दुनिया भर के पौधों (Flora) और जानवरों (Fauna) की उन प्रजातियों को दर्ज किया जाता है जो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने के खतरे में हैं। यह सूची अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN – International Union for Conservation of Nature) द्वारा तैयार और प्रकाशित की जाती है। इस सूची को हर कुछ वर्षों में अपडेट किया जाता है ताकि बदलते पर्यावरणीय हालातों और संरक्षण प्रयासों के आधार पर प्रजातियों की स्थिति को सही रूप से दर्शाया जा सके।
रेड डेटा लिस्ट मूल रूप से एक वैज्ञानिक डाटाबेस है, जो यह बताने का काम करता है कि कौन-सी प्रजातियां सुरक्षित हैं, कौन-सी संकटग्रस्त हैं और कौन-सी पूरी तरह लुप्त हो चुकी हैं। इसमें प्रजातियों को उनके खतरे के स्तर के अनुसार कई श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें Extinct (EX) यानी पूरी तरह विलुप्त, Extinct in the Wild (EW) यानी जो केवल चिड़ियाघरों या सुरक्षित स्थलों पर पाई जाती हैं, Critically Endangered (CR) यानी अत्यंत गंभीर रूप से लुप्तप्राय, Endangered (EN) यानी लुप्तप्राय, Vulnerable (VU) यानी असुरक्षित, Near Threatened (NT) यानी जो भविष्य में खतरे में पड़ सकती हैं, Least Concern (LC) यानी जिन पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है, और Data Deficient (DD) यानी जिनके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है, जैसी श्रेणियां शामिल हैं।
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भारत की प्रजातियां भी शामिल
भारत में भी कई ऐसी वन्य प्रजातियां हैं जो इस रेड लिस्ट में शामिल हैं। उदाहरण के लिए, बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, और गंगा डॉल्फिन को Endangered श्रेणी में रखा गया है, जबकि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (सोन चिरैया) को Critically Endangered के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वहीं, पौधों में सैंडलवुड (चंदन) और रेफ्लेसिया अर्नोल्डी जैसी वनस्पतियां भी असुरक्षित या संकटग्रस्त मानी गई हैं।
