मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली, निठारी सीरियल किलिंग में दो अहम किरदार रहे। सबूतों के अभाव में यह साबित ही नहीं हो पाया कि इन वारदातों के पीछे कौन है। देश के सबसे भयावह सीरियल किलिंग में से एक इस मामले में हत्याएं खूब हुईं लेकिन दोषी कौन है, यह पहेली है। नोएडा के सेक्टर-31 में एक घर है, D-5, यहीं से नरकंकाल बरामद हुए थे। घर के मालिक बिजनेसमैन मोनिंदर सिंह पंढेर और नौकर सुरिंदर कोली, एक अरसे तक मीडिया और दुनिया की नजरों में हैवान रहे। 2005 से 2006 के बीच निठारी गांव और आसपास से दर्जनों बच्चे और लड़कियों के गायब होने के बाद यह केस खुला था। आरोप दोनों पर लगे थे।
सुरंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को 2009 में रेप, हत्या, सबूतों को नष्ट करने से जुड़े मामलों में गाजियाबाद की एक सीबीआई कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई। 11 मामलों में कोली इकलौता अभियुक्त था। दो मामलो में मोनिंदर भी निर्दोष साबित हुआ। जांच पर ही सवाल उठाए गए। मोनिंदर सिंह पंढेर ने रिहाई के बाद पहली बार मीडिया से बात की। मोनिंदर सिंह पंढेर ने कहा कि यह पूरा केस मीडिया का खड़ा हुआ है। मीडिया ने यह आग खड़ी की थी, जिसे बड़ा बनाया गया। जांच एजेंसी पागल हो गई थी जो फर्जी गढ़ रही थी।
16 साल जेल काटने पर उन्होंने कहा कि निचली अदालतों को देखना चाहिए था। इन सारी घटनाओं के पीछे किसकी गलती है। सिर्फ मूर्खता जिम्मेदार है। कई लड़कियों ने बयान दिया है कि मेरी गलती नहीं है। दोस्ती थी, फोन करते थे, मिलते थे लेकिन यह सब मैंने नहीं किया था। यह एक रिलैक्सिंग पॉइंट था, दोस्ती थी। बातें होती थीं, सिर्फ यहां सेक्स का एंगल नहीं था।
कई लड़कियां आतीं थीं।
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'मेरे यहां एस्कॉर्ट आतीं थीं'
मोनिंदर सिंह पंढेर ने कहा, 'मैं कॉल गर्ल्स बुलाता था। कई लड़कियां मेरे यहां आती-जाती थीं। कुछ तो अच्छी दोस्त बन गई थीं। वो हफ्ते में एक-दो बार आती थीं, आराम करती थीं, बातें करती थीं और चली जाती थीं। सिर्फ सेक्स ही नहीं, दोस्ती भी थी। उनकी फैमिली के लोग भी कभी-कभी साथ आते थे। कोई जबरदस्ती या गलत हरकत नहीं हुई। कोर्ट में भी सारी लड़कियों ने यही कहा कि मैंने कभी कुछ गलत नहीं किया। लड़कियां आतीं थीं। सुरेद्र कोली भी मेरी तरह से ही पीड़ित है।'
कैसे केस खुला?
मोनिंदर सिंह पंढेर ने कहा, 'एक स्कॉर्ट गायब हुई थी। उसके पिता ने मुझे फंसाने की कोशिश की। मैंने खुद प्राइवेट जासूस लगाए। बाद में पता चला कि उसका फोन कोली के पास है। उसी दिन से सारा केस खुला। उस लड़की को ढूंढने के लिए जो टीम बनी थी, उसी टीम ने बच्चों की तलाशी के लिए जांच की। उनके जो कुछ अधिकारी ने मुझसे पूछा था कि यहीं से ज्यादातर अपराध हो रहे थे, गैराज को चौकी बनाने के लिए पुलिस ने कहा था। पुलिस बना ही नहीं। उससे पहले ही यह मामला खुल गया था।'
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सुरेंद्र कोली कैसे घर आया?
मोनिंदर सिंह पंढेर ने बताया कि सुरेंद्र कोली को हर कोई अच्छा आदमी कहता था। साफ-सफाई के काम में अच्छा था। केस आगे बढ़ने पर पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की लेकिन कुछ नहीं पता चला। चेहरा देखकर कोई कह ही नहीं पाया कि वह ऐसा है। मोनिंदर सिंह ने बताया कि आर्मी में एक ब्रिगेडियर दोस्त ने सुरेंद्र कोली को भेजा था। पुलिस वेरिफिकेशन के लिए दस्तावेज दिए गए थे। लोग मोनिंदर की तारीफ भी करते थे।
'लोग आते रहे, भनक भी नहीं लगी कि हत्या हुई है'
मोनिंदर ने कहा, 'मेरे ना रहने पर भी कोठी में मेरा भतीजा, करीबी दोस्त का बेटा व अन्य लोग महीनों रहे, मगर उन्हें कुछ पता न चला। उस दौरान भी कई मर्डर हुए और बॉडीज ऊपर सर्वेंट बाथरूम में पड़ी रहीं। वह बाथरूम सिर्फ कोली इस्तेमाल करता था। नीचे हर कमरे में अटैच बाथरूम था, इसलिए कोई ऊपर नहीं जाता था। झाड़ू-पोछा वाली रोज आती थी, पर ऊपर सफाई का काम नहीं था। दोस्त का बेटा 3-4 महीने रहा, तब कोई मर्डर नहीं हुआ। मौका मिलते ही कोली अगले दिन बॉडी डिस्पोज कर देता था। कैसे करता था, आज तक किसी को पता नहीं चला।'
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मानव तस्करी पर पंढेर ने क्या कहा?
मोनिंदर सिंह पंढेर ने कहा, 'लोग कहते थे मेरे घर के बाहर एम्बुलेंस आती थी, ऑर्गन निकाले जाते थे। मैंने कोर्ट में कहा कि ऑर्गन निकालने के लिए ऑपरेशन थिएटर चाहिए, डॉक्टर्स चाहिए। मेरे घर में ये सब कहां था? CBI ने भी इस एंगल को खारिज कर दिया।'
'कलंक है, जो कभी नहीं छूटेगा'
मोनिंदर सिंह ने कहा, 'कोर्ट ने मुझे सभी 16 केस में बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी 30 जुलाई 2025 को फैसला बरकरार रखा। लेकिन समाज में आज भी लोग मुझे हैवान समझते हैं। जिंदगी भर ये कलंक साथ रहेगा। बच्चों के मां-बाप जितना दुखी मुझे भी मुझे हो रही है, मैं उससे ज्यादा दुख भुगतने को तैयार हूं।'
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कोली ने क्या कबूला था, पंढेर ने क्या कहा?
सुरेंद्र कोली के मांस खाने के बयान पर हैरानी जताते हुए पंढेर ने कहा, 'मजिस्ट्रेट के सामने कोली ने खुद कबूला था। मुझे नहीं पता उसने ऐसा क्यों किया।'
पैसे के दम पर बचने के आरोपों पर कहा कि यह कहना सबसे आसान है लेकिन मैंने सब खरीद लिया होता तो इतने साल जेल में क्यों रहता। 17 से अधिक बच्चों के कंकाल मिलने के बावजूद बरी होने पर उन्होंने दुख जताया और कहा कि सिस्टम पर गुस्सा आता है।
सुरिंदर कोली और मोनिंदर पर आरोप क्या लगे थे?
सुरिंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर आरोप लगा कि गरीब परिवारों के 8 से 15 साल के बच्चियों और बच्चों को लालच देकर घर बुलाया, बलात्कार किया, हत्या के बाद लाश को टुकड़ों में फेंक दिया। टुकड़े नालों से मिले। दिसंबर 2006 में नाले से बच्चों के कटे सिर और हड्डियां मिलने पर मामला खुला। कुल 19 मामले दर्ज हुए, जिसमें ज्यादातर गरीब व लापता बच्चे थे।
मोनिंदर सिंह पंढेर ने कहा कि पता नहीं कैसे सुरिंदर कोली ने मेरे खिलाफ बयान दिया। उन्होंने कहा, '27 दिसंबर, 2006 की बात है। पुलिस ने पूछा, तब सुरेंद्र कोली ने पहली बार बताया था कि उस लड़की को मार दिया। इसके बाद पुलिस ने मुझे बताया कि सुरेंद्र कोली ने मर्डर की बात कबूल कर ली है। मैं यह सुनकर चौंक गया। मैं बिलकुल भी शामिल नहीं था। उन्होंने गलत ट्रैक पकड़ लिया था।'
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हुआ क्या था?
दिसंबर 2006 में कुछ स्थानीय लोगों ने घर के पीछे नाले व गड्ढों से बच्चों के कटे हुए सिर, हड्डियां और शरीर के टुकड़े ढूंढे थे। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। सुरिंदर कोली ने कबूल किया कि उसने ज्यादातर बच्चों और एक लड़की को रेप के बाद गला घोंटकर मार दिया। शरीर के टुकड़े किए और नाले में फेंके। शुरुआत में अंग तस्करी और नरभक्षी तक अफवाहें उड़ीं, लेकिन बाद में CBI ने इन्हें खारिज कर दिया।
हुआ क्या?
सुरेंद्र कोली को 16 में से 10 और पंढेर को 5 में से 2 मामलों में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में दोनों को बरी कर दिया। नवंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने कोली को बरी कर दिया। रिहा होने का आदेश दिया। पंढेर पहले ही बाहर है। 18 से ज्यादा बच्चों और लड़कियों की हत्या का यह मामला, पहेली ही रहा। अगर सब निर्दोष ही हैं तो फिर हत्यारा कौन था।
