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बक्सर विधानसभा: क्या बीजेपी भेद पाएगी कांग्रेस का किला?

बिहार की बक्सर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है लेकिन अब बीजेपी उसको कड़ी टक्कर दे रही है। इस बार देखना होगा कि क्या कांग्रेस के किले को बीजेपी भेद पाएगी।

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बिहार का बक्सर विधानसभा क्षेत्र काफी ऐतिहासिक स्थान है। इसके तार मुगल काल से जुड़ते हैं। बक्सर का युद्ध को मशहूर है ही, यहां से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चौसा भी ऐतिहासिक स्थल है जहां पर चौसा का युद्ध हुआ था। चौसा का युद्ध 1539 में हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच हुआ था। इस युद्ध में शेरशाह सूरी की जीत हुई थी और हुमायूं को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था।

 

वहीं 1764 में हुआ बक्सर का युद्ध भी का महत्त्वपूर्ण रहा और इसने मध्य और पूर्वी भारत पर अंग्रेजों के आधिपत्य को स्थापित कर दिया था। बक्सर का युद्ध अंग्रेजों और बनारस के महाराजा बलवंत सिंह, बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजा-उद-दौला, और मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेनाओं के साथ लड़ा गया था, लेकिन आपसी सामंजस्य की कमी की वजह से अंग्रेजों को जीत मिली। शहनाई के मशहूर वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म यहीं हुआ था।

 

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मौजूदा राजनीतिक समीकरण

यह सीट 1951 में बनाई गई थी। तब से इस सीट पर 17 चुनाव हो चुके हैं जिसमें कांग्रेस ने 10 बार जीत दर्ज की है। हालांकि, पिछले सात चुनावों में बीजेपी ने इस सीट को तीन बार जीता है, बाकी दो बार कांग्रेस जीती है। इस हिसाब से माना जा सकता है कि यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है।

 

दो बार 1990 और 1995 में सीपीएम ने भी इस सीट पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा एक बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और एक बार बहुजन समाज पार्टी ने जीत दर्ज की है।

2020 के चुनाव में क्या हुआ

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 59,417 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 36.4 प्रतिशत था। दूसरे स्थान पर बीजेपी के परशुराम चौबे रहे थे जिन्हें कुल 55,525 वोट मिले थे। इस तरह से दोनों कैंडीडेट्स में जीत का अंतर लगभग 4 हजार वोटों का था। इस चुनाव में आरएसएसपी कैंडीडेट निर्मल कुमार सिंह ने भी अच्छा प्रदर्शन किया औऱ 30,489 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।

विधायक का परिचय

संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी लगातार दूसरी बार बक्सर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। 2020 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार परशुराम चौबे को 3,892 मतों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी, उन्हें कुल 59,417 वोट मिले थे। 2015 में भी उन्होंने बीजेपी के प्रदीप दुबे को हराया था।

 

मुन्ना तिवारी की शैक्षणिक योग्यता स्नातक है और उम्र करीब 52 वर्ष है। उनकी छवि जमीन से जुड़े नेता की रही है। कुल घोषित संपत्ति लगभग ₹7.9 करोड़ (79 लाख रुपये) है, जिसमें ₹45.9 लाख की चल संपत्ति और ₹74 लाख की अचल संपत्ति शामिल है। यह संपत्ति उनके नामांकन के दौरान दिए गए हलफनामे के अनुसार है, और इसमें बैंक बैलेंस, जमीन-जायदाद व अन्य निवेश भी शामिल हैं।

 

संजय तिवारी के लगभग आठ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें अपहरण, शराब तस्करी, और सार्वजनिक सेवा में बाधा जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। 2020 में उनकी गाड़ी से शराब बरामदगी के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी।

 

2019 में उनके ऊपर अपहरण के आरोप के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। हलफनामे के अनुसार भी उन्होंने आठ आपराधिक केस घोषित किए हैं।

विधानसभा का इतिहास

इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। हालाकि, अब यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के बीच युद्ध का मैदान बन चुकी है। इस सीट पर ब्राह्मण वोट काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले दो बार से इस सीट पर कांग्रेस काबिज है लेकिन उसके पहले तीन बार से बीजेपी का कब्जा रहा था।

 

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1957 - शियोकुमार ठाकुर (कांग्रेस)

1962 - जगनरैन त्रिवेदी (कांग्रेस)

1967 - पी. चटर्जी (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1972 - जगनरैन त्रिवेदी (कांग्रेस)

1977 - जगनरैन त्रिवेदी (कांग्रेस)

1985 - श्रीकांत पाठक (कांग्रेस)

1990 - मंजू प्रकाश (सीपीआई)

1995 - मंजू प्रकाश (सीपीआई)

2000 - सुखदा पांडेय (बीजेपी)

2005 - हृदय नारायण सिंह (बसपा)

2010 - सुखदा पांडेय (बीजेपी)

2015 - संजय कुमार तिवारी (कांग्रेस)

2020 - संजय कुमार तिवारी (कांग्रेस)


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