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चकाई विधानसभा: दो परिवारों का रहा है दबदबा, दादा से पोते तक रहे हैं मंत्री

जमुई की चकाई विधानसभा कई मायनों में खास हैं। यहां कई दशकों से दो ही परिवारों का कब्जा है। एक हारता है तो दूसरा जीतता है। इस बार यहां कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।

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चकाई विधानसभा सीट, Photo Credit- KhabarGaon

बिहार के जमुई जिले में आने वाली चकाई सीट का चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। इस सीट पर राजनीतिक परिवारों का दबदबा रहा है। इसी सीट से बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह भी विधायक रहे हैं। उन्हीं के पोते अभी यहां से विधायक हैं। श्रीकृष्ण सिंह के परिवार को फाल्गुनी यादव ने चुनौती दी थी और 1977 में निर्दलीय चुनाव जीतकर सबको चौंका दिया। इस सीट पर कई दशकों से श्रीकृष्ण सिंह और फाल्गुनी यादव के परिवार का ही कब्जा रहा है।


इस सीट पर पहली बार 1962 में विधानसभा चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के नेता लखन मुर्मू ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर असली खेल तब शुरू हुआ जब बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके श्रीकृष्ण सिंह ने ताल ठोकी। उन्होंने 1967 और फिर 1969 का चुनाव जीता। श्रीकृष्ण सिंह पहले झाझा सीट से विधायक थे।


चकाई सीट की एक खास बात यह भी है कि यहां किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। यहां की जनता ने पार्टी से ज्यादा चेहरे पर भरोसा जताया है। यहां अगर चेहरा है और उम्मीदवार निर्दलीय भी मैदान में उतरता है तो जनता उसे ही चुनती है।

 

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मौजूदा समीकरण

यह सीट झारखंड की सीमा से सटी हुई है। यही कारण है कि यहां अनुसूचित जनजाति (ST) आबादी अच्छी-खासी है। यहां लगभग 11 फीसदी एसटी हैं। वहीं, 16 फीसदी के आसपास एससी है। मुस्लिमों की आबादी 12 फीसदी के आसपास है। समीकरण की बात करें तो यहां का विधायक या तो श्रीकृष्ण सिंह के परिवार का कोई बनता है या फाल्गुनी यादव के परिवार का। अभी यहां से सुमित कुमार सिंह विधायक हैं, जो श्रीकृष्ण सिंह के पोते हैं। उनसे पहले सावित्री देवी विधायक थीं, जो फाल्गुनी यादव की पत्नी हैं। पिछले कुछ चुनाव का ट्रेंड बताता है कि एक बार श्रीकृष्ण सिंह तो अगली बार फाल्गुनी यादव के परिवार से ही कोई विधायक बनता आ रहा है। इसी कारण इस बार सावित्री देवी को वापसी की उम्मीद है।

2020 में क्या हुआ था?

पिछले चुनाव में चकाई में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे सुमित कुमार सिंह और आरजेडी की गायत्री देवी के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला था। पिछली बार सुमित कुमार सिंह ने महज 581 वोटों के अंतर से गायत्री देवी को हराया था। सुमित कुमार को 45,548 और गायत्री देवी को 44,967 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर जेडीयू के संजय प्रसाद थे, जिन्हें 39,319 वोट मिले थे। इस बार सुमित कुमार जेडीयू के टिकट पर मैदान में हैं। वहीं, आरजेडी ने गायत्री देवी को ही उम्मीदवार बनाया है।

 

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विधायक का परिचय

चकाई सीट से इस समय सुमित कुमार सिंह विधायक हैं। सुमित कुमार सिंह के पिता नरेंद्र सिंह यहां से तीन बार विधायक रहे हैं। उनके दादा श्रीकृष्ण सिंह भी दो बार यहां से विधायक चुने गए थे। 


श्रीकृष्ण सिंह तो बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे। श्रीकृष्ण सिंह 13 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। वहीं, उनके पिता नरेंद्र सिंह भी बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं। सुमित सिंह के भाई अजय प्रताप सिंह भी 2015 से 2020 तक जमुई से विधायक रहे हैं। 

 

2020 के चुनाव में सुमित कुमार सिंह को जेडीयू ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय ही उतर गए थे। यह सुमित कुमार सिंह की लोकप्रियता ही थी कि वह निर्दलीय ही जीत गए। बाद में नीतीश सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया। 


चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे के मुताबिक, सुमित कुमार ने 2008 में ग्रैजुएशन किया था। उनके पास 15.45 करोड़ रुपये की संपत्ति है।

 

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विधानसभा का इतिहास

इस सीट पर अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कई पार्टियों ने यहां जीत हासिल की है। दो बार निर्दलीय उम्मीदवा भी जीते हैं। 

  • 1962: लखन मुर्मू (सोशलिस्ट पार्टी)
  • 1967: श्रीकृष्ण सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
  • 1969: श्रीकृष्ण सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
  • 1972: चौद्र प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
  • 1977: फाल्गुनी प्रसाद यादव (निर्दलीय)
  • 1980: फाल्गुनी प्रसाद यादव (बीजेपी)
  • 1985: नरेंद्र सिंह (कांग्रेस)
  • 1990: नरेंद्र सिंह (जनता दल)
  • 1995: फाल्गुनी प्रसाद यादव (बीजेपी)
  • 2000: नरेंद्र सिंह (निर्दलीय)
  • 2005: अभय सिंह (एलजेपी)
  • 2005: फाल्गुनी प्रसाद यादव (बीजेपी)
  • 2010: सुमित कुमार सिंह (जेएमएम)
  • 2015: सावित्री देवी (आरजेडी)
  • 2020: सुमित कुमार सिंह (निर्दलीय)

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