कैसे दुनियाभर में फैली सैन्य शासन की महामारी, मुनीर की बढ़ती ताकत के मायने क्या?
जिसके पास हथियारों की ताकत होती है, शायद उसे सत्ता की ताकत के बिना अधूरापन महसूस होता है। तभी तो दुनियाभर के देशों में सेना के शीर्ष अधिकार सरकारों को बनाने और बिगाड़ने का खेल खेलते हैं।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर। (AI generated image)
1960 से 1980 के बीच दुनियाभर में तख्तापलट का सबसे चरम दौर रहा है। करीब साढ़े चार दशक बाद यह दौर दोबारा लौट आया है। कहीं सेना मौजूदा सरकार को अपदस्थ कर रही है तो कहीं जनता ही सरकार को उखाड़ फेंक रही है। नेपाल, सीरिया, बांग्लादेश और श्रीलंका में विद्रोह के बाद सरकारें ढह चुकी हैं। 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी भी तख्तापलट की शक्ल में हुआ।
2021 में ही म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार गिरी और सैन्य शासन शुरू हुआ। दुनियाभर के देशों सैन्य शासन तेजी से बढ़ रहा है। किसी न किसी शक्ल में इसे जनता पर थोपा जा रहा है। अफ्रीकी देशों में सैन्य शासन सबसे चरम पर है। हमारा पड़ोसी पाकिस्तान भी तीन बड़े तख्तापलट का गवाह रहा।
2020 में पाकिस्तान में सेना की दखल से इमरान खान की कुर्सी गई। शहबाज शरीफ की नई सरकार सेना की कृपा पर टिकी है। पिछले छह महीने में असीम मुनीर पाकिस्तान के सेना प्रमुख से फील्ड मार्शल बन चुके हैं। अब पाकिस्तान अपने संविधान में 27वां संशोधन कर रहा है, ताकि असीम मुनीर को असीमित ताकत दी जा सके।
यह भी पढ़ें: भारत का खौफ या बढ़ानी है मुनीर की ताकत, PAK क्यों कर रहा संविधान में संशोधन?
माना जा रहा है कि पाकिस्तान की सरकार असीम मुनीर के कार्यकाल को सीमा बंधन से मुक्त कर सकती है। मतलब यह कि मुनीर जब तक चाहेंगे इस पद पर बनेंगे रहेंगे। फील्ड मार्शल के अलावा उन्हें सीडीएफ की भी कमान मिल सकती है। यानी तीनों सेनाओं के हेड असीम मुनीर ही होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संवैधानिक संशोधन पाकिस्तान में नए सैन्य शासन युग की शुरुआत है।
पाकिस्तान में भी इस बात की अटकलें हैं कि यह पूरी कवायद असीम मुनीर को शासन में बैठाने की है। हालांकि यह कोई नहीं बात नहीं है। देश पर शासन करना सेना प्रमुखों की सबसे बड़ी ख्वाहिशों में से एक है। तभी तो 1950 से अब तक दुनियाभर में 245 सफल तख्तापलट हो चुके हैं। मगर तख्तापलट की नई लहर से दुनियाभर के देश चिंतित हैं। 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ताजा तख्तापलट की लहर को महामारी बताया था। उन्होंने कहा था कि सैन्य तख्तापलट की महामारी वापस आ गई है।
दुनिया में कितने तख्तापलट?
पॉवेल और थाइन के आंकड़ों के मुताबिक 1950 के बाद दुनियाभर में 492 बार तख्तापलट की कोशिश हुई। हालांकि सफलता सिर्फ 245 बार ही मिली। सबसे अधिक 109 सफल तख्तापलट अफ्रीका महाद्वीप में देखने को मिले। दक्षिण एशिया सबसे कम सिर्फ 10 तख्तापलट का गवाह बना। यूरोप में सेना ने 17 बार सरकार को गिराने की कोशिश की। सफलता 8 बार ही मिली। मध्य पूर्व में 44 प्रयासों में से 21 बार तख्तापलट करने में सफलता मिली। पूर्वी एशिया में 27 और लैटिन अमेरिका में 70 बार तख्तापलट हो चुका है।
लैटिन अमेरिका साल 1800 से तख्तापलट की समस्या से जूझ रहा है। हालांकि यहां आखिरी तख्तापलट साल 2009 में डोंडुरास में हुआ था। यह भी करीब 20 साल बाद हुआ था।
भारत के पड़ोस में कितने तख्तापलट?
भारत के इतिहास में अभी तक कोई तख्तापलट नहीं हुआ है। अगर पड़ोसियों की बात करें तो बांग्लादेश में 7, म्यांमार में 6, चीन में 3 और पाकिस्तान में तीन बड़े और कुल 6 तख्तापलट हुए। नेपाल भी तीन तख्तापलट का गवाह बना।
सैन्य सरकारों से बाहर नहीं निकल पा रहा अफ्रीका
साल 2020 से अब तक अकेले अफ्रीका में कुल नौ सैन्य तख्तापलट हो चुके हैं। माली और सूडान जैसे देश एक बार फिर तख्तापलट की कगार पर खड़े हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1960 से 2000 के बीच अफ्रीका में हर साल औसतन करीब चार बार तख्तापलट की कोशिश की गई। वहीं 2001 से 2017 के बीच 33 बार तख्तापलट या उसकी कोशिश की गई। अफ्रीका महाद्वीप में अधिकांश तख्तापलट गरीब से पीड़ित देशों में हुए। वहीं विकसित इलाकों में इनकी संख्या कम है।
यह भी पढ़ें: देरी से तेजस के इंजन देनी वाली GE से HAL ने क्यों किया नया समझौता?
पॉवेल और थाइन के आंकड़ों के मुताबिक 1950 के बाद से सबसे अधिक 220 बार तख्तापलट की कोशिश अफ्रीका महाद्वीप में हुई। इनमें से 109 बार सफलता मिली। अफ्रीका महाद्वीप में कुल 54 देश हैं। इनमें से 45 ने कम से कम एक बार तख्तापलट का सामना जरूर किया है।
तख्तापलट से जुड़े रोचक आंकड़े
- 1950 से 1969 तक दुनिया में कुल 184 तख्तापलट की कोशिश हुई। इनमें से 99 में सफलता मिली।
- 1970 से 1989 तक कुल 181 तख्तापलट के प्रयास में 94 सफल रहे।
- 1990 से 2009 तक तख्तापलट की 91 कोशिश। 34 में मिली सफलता।
- अगर 1950 से 2010 तक के तख्तापलट की बात करें तो कुल 457 कोशिश में 227 सफल और 230 विफल रहे।
अफ्रीका में 2020 के बाद हुए तख्तापलट
- 2021 में गिनी की सेना ने राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को अपदस्थ किया। उन्होंने अपने पद की समय सीमा खत्म कर दी थी।
- सूडान में 2021 में तख्तापलट हुआ। अब जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान देश के नेता हैं। मगर गृह युद्ध छिड़ा हैं।
- अफ्रीकी देश माली ने 2020 व 2021 में 2 बार तख्तापलट का सामना किया। अब एक और तख्तापलट की आशंका है।
- 2022 में बुर्किना फासो में 2 तख्तापलट हुए। पहले में सेना ने राष्ट्रपति रोच मार्क क्रिश्चियन और आठ महीने बाद पॉल-हेनरी सैंडाओगो दामिबा को बेदखल किया। अब देश की कमान कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे के हाथ में है।
- 2023 के अगस्त महीने में गैबॉन में राष्ट्रपति अली बोंगो ओन्डिम्बा को सेना ने पद से क्या हटाया, उनके परिवार का 56 साल का शासन ही खत्म हो गया।
- 2023 में नाइजर की सेना ने राष्ट्रपति मोहम्मद बजूम से सत्ता छीन ली। यहां अब जनरल अब्दुर्रहमान तियानी की तानाशाही चल रही है।
अब तक 77 देशों में सेना बदल चुकी सत्ता
सेंटर फॉर सिस्टमिक पीस के मुताबिक दुनिया के करीब 77 देशों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कम से कम एक बार तख्तापलट देखा है। हालांकि इनमें से कई देश अब अस्तित्व में नहीं हैं। जैसे- चेकोस्लोवाकिया, उत्तरी और दक्षिणी यमन, दक्षिणी वियतनाम। अब चेक और स्लोवाकिया नाम से दो देश हैं। वहीं यमन और वियतनाम भी एक देश बन चुके हैं।
दुनिया में सबसे अधिक तख्तापलट कहां?
इलिनोइस विश्वविद्यालय अर्बाना-शैंपेन के डेटा के मुताबिक दुनिया में सबसे अधिक बोलीविया और हैती में 17-17 बार तख्तापलट हुआ है। 15 तख्तापलट के साथ सीरिया तीसरे स्थान पर है। बुर्किनो फासो और थाईलैंड में 11-11, सूडान में 10, अफगानिस्तान और अर्जेंटीना में 9-9 बार तख्तापलट देखने को मिला।
घट रहा तख्तापलट का स्ट्राइक रेट?
2006 से 2016 के बीच 24 बार तख्तापलट की कोशिश ही। मगर सफलता सिर्फ एक चौथाई मामलों में मिली। हालांकि 1946 से 1969 तक तख्तापलट का स्ट्राइक रेट बेहतरीन था। उस समय 50 फीसद तख्तापलट के प्रयास सफल हुए थे। मतलब अब तख्तापलट की कोशिशों में सेनाओं को उतनी सफलता नहीं मिलती जितनी 1950 के आसपास मिलती थी।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap


