संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका के प्रस्तावित गाजा प्लान को मंजूरी दे दी है। सोमवार को न्यूयॉर्क में हुई बैठक में 15 सदस्यों वाले सुरक्षा परिषद ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग की। 13 देशों ने ध्वनि मत से ट्रंप के गाजा प्लान पर मोहर लगई, 2 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। रूस और चीन ने वोटिंग करने से परहेज किया है। इस प्रस्ताव को अमेरिका ने तैयार किया था और इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का 20-सूत्री गाजा प्लान कहा जा रहा है। इसी प्लान की वजह से पिछले महीने गाजा में युद्धविराम हुआ था।
इस प्रस्ताव से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 20-सूत्री प्लान को अंतरराष्ट्रीय वैधता मिल गई है। इसके तहत गाजा में ट्रम्प की अध्यक्षता वाला 'बोर्ड ऑफ पीस' बनेगा और मुस्लिम देशों की अगुवाई वाली इंटरनेशनल स्टेबिलाइजेशन फोर्स (ISF) तैनात होगी। हमास को यह योजना मंजूर नहीं है। हमास ने कहा है कि गाजा में विदेशी ताकतों को हथियार दिए जा रहे हैं, यह हरगिज मंजूर नहीं है।
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'हमास को छोड़ देना होगा हथियार'
प्रस्ताव में हमास के हथियारों पर पूरी तरह से प्रतिबंध, गाजा का पुनर्निर्माण और फिलिस्तीनी अथॉरिटी में सुधार के बाद सत्ता हस्तांतरण का प्रावधान है, जो 2027 तक चलेगा। फिलिस्तीनी राज्य की बात तो की गई है, लेकिन उसके लिए कोई समय-सीमा नहीं दी गई।
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इस प्रस्ताव में क्या-क्या है?
- गाजा में एक नया 'बोर्ड ऑफ पीस' बनेगा, जिसकी अध्यक्षता खुद ट्रम्प करेंगे। इसमें दुनिया के बड़े-बड़े नेता शामिल होंगे।
- गाजा में एक अंतरराष्ट्रीय शांति सेना (ISF) तैनात होगी। इसमें इंडोनेशिया, अजरबैजान जैसे मुस्लिम देशों के सैनिक भी होंगे।
- हमास और बाकी गुटों से हथियार छीन लिए जाएंगे।
- गाजा की तबाह हो चुकी इमारतों-शहर का पुनर्निर्माण होगा।
- फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) में सुधार होने के बाद ही उसे गाजा की कमान सौंपी जाएगी।
- प्रक्रिया की कोई समयसीमा नहीं होगी। यह व्यवस्था 2027 के अंत तक चलेगी।
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किसने क्या कहा?
- अमेरिका और इजरायल ने गाजा पीस प्लान पर खुशी जताई है।
- डोनाल्ड ट्रंप ने इसे दुनिया की बड़ी जीत करार दिया है।
- हमास ने इस प्रस्ताव को खारिज किया है, हमास का कहना है कि यह गाजा हड़पने की नीति है।
- हमास अब शांति सेना को दुश्मन की तरह देखेगा।
- रूस और चीन ने कहा कि इस प्रस्ताव में फिलिस्तीनियों की आवाज दबी हुई है।
- रूस और चीन ने आशंका जाहिर की है कि इस प्लान से दो-राष्ट्र समाधान को नुकसान पहुंच सकता है।