तारीख पर तारीख... तारीख पर तारीख... अदालतों का जिक्र हो तो सबसे पहले यही बान मन में आती है। साल गुजरने के साथ-साथ अदालतों पर मुकदमों का बोझ बढ़ता जाता है। इन्हीं मुकदमों के बोझ पर अब जस्टिस सूर्यकांत ने बड़ा बयान दिया है। जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस बनेंगे। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस के तौर पर उनकी पहली प्राथमिकता मुकदमों के बोझ कम करना होगी।
जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें चीफ जस्टिस होंगे। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 14 महीने तक रहेगा। वह 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे।
इससे पहले उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या 90 हजार तक पहुंच गई है। हम सुप्रीम कोर्ट के अलावा, देशभर की अदालतों में लंबित मुकदमों के बोझ से निपटने की दिशा में काम करेंगे।
यह सच भी है कि भारतीय अदालतों में मुकदमे कई सालों से लंबित हैं। आंकड़े बताते हैं कि देशभर की अदालतों में 5.42 करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं जो दशकों से अदालती पचड़े में फंसे हुए हैं।
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अदालतों में कितने केस पेंडिंग?
- जिला अदालत: नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) के मुताबिक, देशभर की जिला अदालतों में 4.77 करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। इनमें 1.10 करोड़ सिविल और 3.66 करोड़ क्रिमिनल केस हैं। इन अदालतों में 23,916 मुकदमे तो ऐसे हैं जो 30 साल से भी ज्यादा लंबे समय से अटके हुए हैं। वहीं, लगभग 17 लाख मामले 5 से 10 साल से लंबित हैं।
- हाई कोर्ट: NJDG का डेटा बताता है कि देश भर की हाई कोर्ट्स में 63.79 लाख मामले लंबित हैं। इनमें 44.68 लाख सिविल और 19.11 लाख क्रिमिनल केस हैं। इन मामलों में 76,169 मामले 30 साल से ज्यादा लंबे समय से पेंडिंग हैं। वहीं, 2.90 लाख मामलों को अदालत में पड़े हुए 20 से 30 साल हो चुके हैं।
- सुप्रीम कोर्ट: डेटा बताता है कि सुप्रीम कोर्ट में आज की तारीख तक 90,352 मुकदमे लंबित हैं। इनमें 71,194 सिविल और 19,158 क्रिमिनल केस हैं। NJDG का डेटा दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट में 23 मामले तो ऐसे हैं जो 30 साल से ज्यादा समय से लंबित हैं। इनके अलावा 14,031 मामले 5 से 10 साल से पेंडिंग हैं।

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इतने मुकदमे लंबित कैसे?
इसके कई कारण हैं। NJDG का डेटा बताता है कि जिला और तालुका अदालतों में मामलों के लंबित रहने की सबसे बड़ी वजह यह है कि वकील ही अदालत नहीं आते। डेटा बताता है कि जिला अदालतों में 61.66 लाख से ज्यादा मामले इसलिए लंबित हैं, क्योंकि उनके लिए वकील ही नहीं है।
इससे पहले 2016 में एक स्टडी हुई थी। यह स्टडी दक्ष नाम की संस्था ने की थी। इस संस्था ने 40 लाख लंबित मुकदमों का विश्लेषण कर स्टडी तैयार की थी।
इस स्टडी में अनुमान लगाया गया था कि अगर कोई केस किसी हाई कोर्ट में चला गया तो उसका निपटारा होने में औसतन 3 साल और 1 महीना लग सकता है। मामला अदालत में गया है तो 6 साल तक लग सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में चला गया है तो 13 साल का समय लग सकता है।
मुकदमों के लंबित होने की एक वजह जजों की कमी भी है। जुलाई 1987 में लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि हर 10 लाख आबादी पर 50 जज होने चाहिए। हालांकि, आज भी ऐसा नहीं है। दिसंबर 2024 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि हर 10 लाख आबादी पर अभी 21 जज हैं।