logo

ट्रेंडिंग:

अमित शाह के मित्र केशव प्रसाद मौर्य का बढ़ रहा सियासी ग्राफ, संकेत क्या हैं?

इसी साल जून में लखनऊ के एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह, केशव प्रसाद मौर्य को अपना मित्र बता चुके हैं। वह यह बात इसे पहले भी दोहरा चुके हैं।

keshav maurya amit shah

अमित शाह और केशव प्रसाद मौर्य।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

केशव प्रसाद मौर्य पिछले आठ साल से उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाल रहे हैं। वर्तामन में वह यूपी बीजेपी की सियासत की वो धुरी हैं, जिसकी बात सीधे दिल्ली में पार्टी आलाकमान से होती है। सूबे की राजनीति में वह प्रसंगिक हैं। वह हमेशा चर्चाओं में रहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद वह सरकार में सबसे ताकतवर नेता हैं। मगर, पिछले दो महीनों में केशव प्रसाद यूपी की सियासत से निकलकर अब अपनी पार्टी के लिए अन्य दूसरे राज्यों में भी सक्रिय हो चुके हैं। उनका कद लगातार बढ़ रहा है। उनके आसपास पहले के मुकाबले भीड़ बढ़ने लगी है।

 

दरअसल, जबसे उन्हें बिहार पार्टी विधायक दल का नेता चुनने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाए जाने की खबर आई है उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में उनकी पूछ बढ़ गई है। आम तौर पर केंद्रीय पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्रियों को मिलती है, लेकिन पार्टी ने उत्तर प्रदेश के ताकतवर नेता को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। उनके साथ केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को सह-पर्यवेक्षक बनाया गया। इससे पहले बीजेपी ने जब बिहार चुनाव में प्रभारी की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंपी थी, तो उस समय केशव प्रसाद मौर्य को वहां का सह चुनाव प्रभारी बनाया गया। केशव चुनाव के दौरान लगातार बिहार में डेरा डाले रहे थे।

 

ऐसे में आइए जानते हैं कि केशव प्रसाद मौर्य का राजनैतिक ग्राफ किस तरह से बढ़ रहा है...

 

यह भी पढ़ें: 'हिंदू नहीं रहा तो दुनिया नहीं रहेगी', मणिपुर में ऐसा क्यों बोले मोहन भागवत?

शाह ने केशव को अपना मित्र बताया

इसी साल जून में लखनऊ के एक कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने केशव प्रसाद मौर्य को अपना मित्र बताया था। अमित शाह के कद और उनकी ताकत के बारे में पूरे देश को जानकारी है। बीजेपी में शाह की कही बात पत्थल की लकीर होती है। ऐसे में उनका केशव प्रसाद को अपना मित्र बताना दिखाता है कि उन्हें पार्टी में कोई परेशान नहीं कर सकता। साथ ही उनका कभी भी प्रमोशन हो सकता है। जाहिर है कि आज कल उनके सितारे चमक रहे हैं।

 

दरअसल, यूपी में आरोप लगते हैं कि योगी सरकार में उच्च जातियों का कद बढ़ रहा है। ऐसे समय में केशव प्रसाद को आगे बढ़ाना साफ तौर पर दिखा रहा है कि बीजेपी अब ब्राह्मण बनियों की पार्टी से इतर ओबीसी की सियायत को धार दे रही है। पार्टी उत्तर प्रदेश में ओबीसी की सियायत को जितनी धार देगी, केशव प्रसाद मौर्य का ग्राफ उतनी ही तेजी से बढ़ता जाएगा। अमित शाह का बयान और बिहार चुनाव के बाद बढ़ते उनके कद से अंदाजा लगाया जा रहा है कि उन्हें या तो यूपी में या फिर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में भूमिका मिल सकती है।

केशव मौर्य की बढ़ती ताकत

जब 2017 में यूपी में बीजेपी की पहली बार सरकार बनी थी, तब केशव सूबे के अध्यक्ष थे। मगर, जब मुख्यमंत्री बनने की बात आई तो योगी आदित्यनाथ को यह मौका मिला। योगी सरकार की पर्फार्मेंस के बावजूद बीजेपी को 2022 में 2017 के मुकाबले कम सीटें मिलीं। इसके साथ ही 2024 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जब झटका लगा जब उसकी सीटें घटकर महज 34 सीटों पर आ गईं। यही वजह रही कि बीजेपी केंद्र में अपने बल पर सरकार नहीं बना सकी और उसे चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार का सहारा लेना पड़ा।

 

लोकसभा में बीजेपी के बुरे हश्र के पीछे सबसे बड़ा कारण ओबीसी वोटों में गिरावट को माना गया है। इसलिए बीजेपी और अमित शाह 2027 के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए केशव प्रसाद मौर्य महत्व दे रही है। यह बात भी साफ है कि केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। वह सूबे में बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं, जिसकी वजह से उनकी संगठन में अच्छी पकड़ है। वह जिला स्तर से लेकर बूथ लेवल पर हर जिले में नेताओं को जानते हैं। उन्हें संगठन का आदमी माना जाता है।

 

यह भी पढ़ें: 'इस चक्रव्यूह में कोई फंस गया तो...' 4 महीने में पहली बार क्या बोले जगदीप धनखड़?

माहौल केशव के पक्ष में...

बीजेपी 2014 से ही ओबीसी को केंद्र में रखकर रणनीति कर रही है। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ से टकराव और राष्ट्रीय चुनावी समीकरणों के चलते माहौल उनके पक्ष में जा रहा है। इसको ऐसे में समझिए कि उत्तर प्रदेश में 2022 में बीजेपी की दोबारा जीत के बाद दिनेश शर्मा को उप मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था, उनकी जगह पर ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। मगर, केशव प्रसाद मौर्य अपने पद बने रहे। पिछले चुनाव में केशव अपनी विधानसभा सीट सिराथू से हार गए थे, इसके बावजूद उन्हें प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनाया गया।

बनेंगे बीजेपी अध्यक्ष?

इन घटनाक्रमों में एक कयास ये भी लगाया जा रहा है कि केशव बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। बीजेपी की सियासी चालों को देखते हुए अंदाजा लगाया जाता है कि उनकी अगली चाल क्या होगी यह किसी को नहीं मालूम। दरअसल, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति लगातार टलती आ रही है। जेपी नड्डा एक्सटेंशन पर काम कर रहे हैं। पार्टी और आरएसएस अगर उन्हें बीजेपी अध्यक्ष बनाती है तो ओबीसी जातियों में यूपी के साथ में पूरे देश में संदेश जाएगा।

 

ओबीसी नेता केशव प्रसाद को अमित शाह का काफी करीबी माना जाता है। वह अक्सर दिल्ली आकर गृह मंत्री से मुलाकात करते हैं। जितनी मुलाकातें केशव, अमित शाह से करते हैं, शायद ही यूपी को कोई दूसरा नेता उनसे करता हो। केशव प्रसाद मौर्य आरएसएस और वीएचपी के साथ लंबे समय तक काम कर चुके। इस तरह से सभी समीकरण उनके पक्ष में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

 


और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap