सोन पापड़ी... एक ऐसी मिठाई जो वैसे तो साल के बारह महीने मिलती है लेकिन दिवाली पर इसकी चर्चा खूब होती है। दिवाली में इसे खूब बांटा जाता है। दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को बांटना हो या फिर पड़ोसियों को बांटना है, सबकी पहली पसंद सोन पापड़ी ही होती है। यह दिवाली पर इतनी बंटती है कि सोशल मीडिया पर इसे लेकर मीम भी खूब बनते हैं। सोन पापड़ी अब 'एक हाथ से दूसरे हाथ जाने वाली' मिठाई भी बन गई है। दिवाली पर तो इसे लेकर मजाक-मजाक में यह तक कहा जाता है कि कुछ लोग इसका डिब्बा खोलते भी नहीं है और दूसरे के घर से आई सोन पापड़ी को अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार को दे देते हैं।
मगर क्या कभी सोचा है कि जिस सोन पापड़ी को लेकर इतना हंसी-मजाक और मीम बनाया जाता है, उसका बाजार कितना बड़ा है? दिवाली पर सोन पापड़ी को लेकर कितना ही हंसी-मजाक क्यों न बना लिया जाए लेकिन यह काफी पसंद की जाने वाली मिठाइयों में से एक है। इसकी तीन बड़ी वजहें हैं। पहली- बाकी मिठाइयों की तुलना में यह सस्ती होती है। दूसरी- दूध से नहीं बनती है, इसलिए लंबे समय तक खराब भी नहीं होती। और तीसरी- रेशेदार बनावट और शक्कर की मिठास इसे खास बनाती है।
सोन पापड़ी की दीवानगी सिर्फ भारतीयों में ही नहीं है, बल्कि विदेशों में भी इसे खूब पसंद किया जाता है। सोन पापड़ी का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर भारत ही है। भारत में बनी सोन पापड़ी सबसे ज्यादा अमेरिका में जाती है। अब जब दिवाली आ गई है और सोन पापड़ी की इतनी चर्चा हो रही है तो जानते हैं कि इसका बाजार कितना बड़ा है? मगर उससे पहले इसका इतिहास समझ लेते हैं।
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कहां से आई सोन पापड़ी?
सोन पापड़ी के इतिहास को लेकर दो तरह की बातें हैं। पहली यह कि यह भारत में ही बनी। और दूसरी कि यह फारस (अब ईरान) से भारत आई।
बीबीसी ने जेएनयू के प्रोफेसर पुष्पेष पंत के हवाले से बताया है कि पंजाब में पहले बेसन के लड्डू के साथ पतीसा बनता था। यही पतीसा धीरे-धीरे सोन पापड़ी में बदल गया।
कुछ जानकार इसका कनेक्शन फारस और मुगलों से भी बताते हैं। चिन्मय दावले बीबीसी से कहते हैं कि फारस में पश्मक मिठाई बनती है। 19वीं सदी में फारस के व्यापारी पश्मक मिठाई मुंबई में बेचने आते थे। कुछ जानकार इसका कनेक्शन तुर्की की मिठाई पिस्मानिये से भी जोड़ते हैं।
वहीं, कुछ का कहना है कि यह मुगलों के जरिए भारत में आई। खानपान के जानकार ओसामा जलाली ने एक यूट्यूब चैनल 'स्विच' को बताया था कि 1790 में शाह आलम द्वितीय के जमाने में यह मिठाई दिल्ली आई। वह बताते हैं कि उनके साथ जो मिठाई आई थी, वह असल में 'सोहन हलवा' था, जो गेहूं और चीनी से बनता था। भारत में हलवाइयों ने इसके साथ इसका प्रयोग किया और गेहूं की बजाय बेसन का इस्तेमाल किया। इससे एक पापड़ी जैसी बनी और इस तरह इसका नाम 'सोहन पापड़ी' पड़ गया। अब इसे 'सोन पापड़ी' कहा जाने लगा है।
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बाजार कितना बड़ा है?
भारत में मिठाइयों का बाजार बहुत बड़ा है। CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मिठाइयों का 90 फीसदी बाजार असंगठित है। यानी इसका रिकॉर्ड नहीं है। फिर भी 2015 में यह लगभग 40 हजार करोड़ का बाजार था। 2025 तक इसके 84,300 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
रिपोर्ट बताती है कि मिठाइयों को सबसे बड़ा बाजार उत्तर भारत में है। मिठाइयों का 35 फीसदी बाजार अकेले उत्तर भारत में है। इसके बाद 28 फीसदी पूर्वी भारत, 24 फीसदी पश्चिमी भारत और सिर्फ 13 फीसदी दक्षिण भारत में है।
CNBC की रिपोर्ट की मानें तो भारत के मिठाइयों के बाजार में 21 फीसदी हिस्सेदारी अकेले सोन पापड़ी की है। हालांकि, कुछ अलग-अलग रिपोर्ट्स में यह 24-25 फीसदी भी बताया जाता है। सबसे ज्यादा 28 फीसदी मार्केट शेयर दूध से बनी मिठाइयों का है। वहीं, ड्राई फ्रूट्स से बनी मिठाइयों का मार्केट शेयर लगभग 17 फीसदी है।
TechSai की एक रिपोर्ट बताती है कि 2025 में भारत में सोन पापड़ी का मार्केट 1,170 करोड़ रुपये का है। 2031 तक यह लगभग दोगुना होकर 2,100 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। रिपोर्ट कहती है कि भारत में सोन पापड़ी का बाजार हर साल 10 फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है।
भारत में सोन पापड़ी की खपत को लेकर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है। हालांकि, रिपोर्ट्स की मानें तो इसकी खपत हजारों टन में है। भारत के बाजार में बीकाजी तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है। अकेले बीकाजी ही हर साल 23 हजार टन से ज्यादा सोन पापड़ी बनाती है। वहीं, हल्दीराम भी सालाना 15 से 17 हजार टन सोन पापड़ी बनाती है।
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एक्सपोर्ट कितना करता है भारत?
सोन पापड़ी सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी खूब पसंद की जाती है। विदेश में सबसे ज्यादा सोन पापड़ी भारत ही भेजता है।
मार्केट रिचर्स फर्म Volza के डेटा के मुताबिक, सोन पापड़ी का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। सितंबर 2024 में भारत ने सोन पापड़ी की 170 खेप भेजी थी। वहीं, दूसरे नंबर पर पाकिस्तान है, जिसने 123 खेप भेजी थी। 40 खेप के साथ बांग्लादेश तीसरे नंबर पर है।
यह डेटा बताता है कि भारत की सोन पापड़ी सबसे ज्यादा अमेरिका जाती है। इसके बाद सिंगापुर और कतर में भी भारत की सोन पापड़ी खूब बिकती है।