दो साल पहले जुलाई में जब भारत ने अपने गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था तो दुनिया के सामने खाद्य संकट खड़ा हो गया। दुनियाभर के कई मुल्कों में पैनिक बाइंग शुरू हो गई थी। चावल के मामले में भारत का दुनिया में एकतरफा राज है। दुनियाभर में 70% चावल भारत से ही एक्सपोर्ट होता है। पर अब इसी चावल पर ट्रंप की नजरें पड़ गई हैं। उनका कहना है कि वह भारत के चावल पर टैरिफ लगा सकते हैं।
ट्रंप की नजर क्यों? ट्रंप का कहना है कि भारत को अपना चावल अमेरिका में 'डंप' नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि टैरिफ से यह समस्या आसानी से हल हो जाएगी। उन्होंने अपने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से यह भी पूछा कि भारत कैसे अपना चावल 'डंप' कर रहा है, क्या उसे कोई छूट मिली है?
ट्रंप ने यह सारी बातें व्हाइट हाउस में एग्रीकल्चर के रिप्रेजेंटेटिव्स से बैठक के दौरान कहीं। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी किसानों के लिए 12 अरब डॉलर के पैकेज का ऐलान भी किया।
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क्या है ट्रंप की नाराजगी?
ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में एक बैठक की थी। इस दौरान केनेडी राइस मिल की मालिक मेरिल केनेडी ने बताया कि दक्षिणी अमेरिकी में चावल के किसान दिक्तत में हैं, क्योंकि दूसरे अमेरिका में चावल 'डंप' कर रहे हैं।
जब ट्रंप ने पूछा कि कौनसे देश अमेरिका में चावल डंप कर रहे हैं तो केनेडी ने जवाब दिया, 'इंडिया और थाईलैंड और यहां तक कि चीन भी प्यूर्टो रिको में। प्यूर्टो रिको पहले चावल के सबसे बड़े मार्केट में से एक हुआ करता था लेकिन सालों से हमने वहां चावल नहीं भेजा है।'
फिर ट्रंप ने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से पूछा, 'मुझे इंडिया के बारे में बताओ। इंडिया को ऐसा करने की इजाजत क्यों है? उन्हें टैरिफ देना पड़ता है। क्या उन्हें चावल पर कोई छूट है?' बेसेंट ने कहा, 'नहीं सर, हम अभी भी उनके साथ ट्रेड डील पर काम कर रहे हैं।'
ट्रंप ने कहा, 'लेकिन उन्हें डंपिंग नहीं करनी चाहिए। वे ऐसा नहीं कर सकते।' फिर ट्रंप ने कहा कि टैरिफ से यह समस्या एक दिन में हल हो जाएगी। उन्होंने कहा, 'गैर-कानूनी तरीके से शिपिंग करने वाले इन देशों पर टैरिफ लगाकर यह समस्या एक दिन में हल हो जाएगी।'
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अपनी आधी कार और चिप इंडस्ट्री खो दी है क्योंकि पिछली सरकारों ने अमेरिका में इन पर टैरिफ नहीं लगाया था। उन्होंने कहा, 'चावल के साथ भी यही बात है। इसे बहुत जल्दी सॉल्व कर लेंगे। बस हमें देशों के नाम बता दीजिए। फिर से टैरिफ लगा देंगे। इससे दो मिनट में प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है।'
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दुनिया खाती है भारत का चावल?
भारत दुनिया के लगभग 170 देशों को अपना चावल एक्सपोर्ट करता है। दुनिया के कई मुल्कों का पेट भारत के चावल से ही भरता है।
एशियाई और अफ्रीकी देशों में चावल खूब खाया जाता है। बांग्लादेश, कंबोडिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका में चावल की खपत 40 से 67 फीसदी तक है। अफ्रीकी देशों में भी यही हाल है। ज्यादातर अफ्रीकी देश जितना चावल बाहर से मंगाते हैं, उनमें 80 फीसदी से ज्यादा चावल भारत से ही जाता है।
भारत में चावल की कई तरह की वैरायटी हैं। बासमती चावल तो अमेरिका जैसे अमीर मुल्कों में एक्सपोर्ट होता है। जबकि, गैर-बासमती चावल अफ्रीका समेत कई छोटे देशों में जाता है।

कितना बड़ा एक्सपोर्टर है भारत?
भारत न सिर्फ दुनिया में चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है, बल्कि चावल की सबसे ज्यादा पैदावार भी यहीं होती है। इंडियन राइस एक्सपोर्ट फेडरेशन (IREF) के मुताबिक, भारत में चावल की 15 करोड़ टन से ज्यादा पैदावार होती है। यानी, दुनिया का 28 फीसदी चावल भारत में ही होता है।
इसी तरह चावल के ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 30.3 फीसदी है। इसका मतलब हुआ कि अगर सालाना दुनियाभर में 10 करोड़ टन चावल का एक्सपोर्ट हो रहा है, तो उसमें से 3 करोड़ टन भारत से ही होता है।
2024-25 में भारत ने 2 करोड़ टन से ज्यादा चावल का एक्सपोर्ट किया था। इसकी कीमत 12.5 अरब डॉलर यानी लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी। 2023-24 की तुलना में लगभग 24 फीसदी ज्यादा था। बैन के कारण 2023-24 में सिर्फ 1.63 करोड़ टन चावल का ही एक्सपोर्ट हुआ था।
IREF के मुताबिक, भारत में चावल की सबसे ज्यादा खेती तेलंगाना में होती है। तेलंगाना में 1.68 करोड़ टन चावल की पैदावार हुई थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल है, जहां 1.57 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश में 1.25 करोड़ टन, पंजाब में 1.18 करोड़ टन, तमिलनाडु में 80 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 75 लाख टन, बिहार में 65 लाख टन और छत्तीसगढ़ में 60 लाख टन चावल का उत्पादन होता है। ओडिशा, असम और हरियाणा में लगभग 15 लाख टन चावल की पैदावार होती है।
आंकड़े बताते हैं कि इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच भारत ने 5.64 अरब डॉलर का चावल एक्सपोर्ट किया है। जुलाई से सितंबर के बीच ही भारत ने 2.73 अरब डॉलर का चावल एक्सपोर्ट किया था। यह 51 लाख टन से भी ज्यादा चावल था। इसमें से 14.36 लाख टन बासमती चावल था।
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अमेरिका कितना बड़ा खरीदार?
भारतीय चावल का अमेरिका भी बड़ा खरीदार है। हालांकि, भारत से अमेरिका बासमती चावल ज्यादा खरीदता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में भारत ने 52.42 लाख टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट किया था। इसमें से 2.34 लाख बासमती चावल अमेरिका ने खरीदा था।
इसका मतलब हुआ कि भारत अपना जितना बासमती चावल एक्सपोर्ट करता है, उसमें से 5 फीसदी से भी कम अमेरिका को जाता है।
हालांकि, अमेरिका जितना बासमती चावल विदेशों से खरीदता है, उसमें से 89 फीसदी भारत से ही आता है। वाणिज्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका के गैर-बासमती चावल के इम्पोर्ट में तो भारत की हिस्सेदारी मात्र 7% है। हालांकि, बासमती चावल के इम्पोर्ट में भारत का शेयर 89% है। अमेरिका, भारत के बाद 7% बासमती चावल पाकिस्तान से खरीदता है।
यह रिपोर्ट बताती है कि टैरिफ से पहले अमेरिका में भारत के बासमती चावल की कीमत 875 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी। 50% टैरिफ के बाद यह कीमत 1,313 डॉलर प्रति मीट्रिक टन पहुंच गई।
