रूस का सस्ता तेल क्या भारत को पड़ रहा है महंगा? समझिए
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा ऐसे समय हुआ है, जब रूसी तेल को लेकर भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत में हैं। उनका यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है, जब रूसी तेल को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर 50% तक टैरिफ बढ़ा चुके हैं। ट्रंप दावा करते हैं कि भारत सस्ते में तेल खरीदकर रूस को यूक्रेन में जंग लड़ने में मदद कर रहा है। भारत साफ कर चुका है कि वह अपने हितों को ध्यान में रखकर कारोबार करता है।
हालांकि, बाद में ट्रंप ने दावा किया था कि टैरिफ के कारण भारत ने रूस से तेल खरीद कम कर दी है। पुतिन के इस दौरे में भारत और रूस के बीच इसे लेकर भी बातचीत होने की संभावना है।
रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पुतिन के भारत रवाना होने से पहले कहा था कि 'पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस से कच्चे तेल की खरीद कुछ समय के लिए कम हो सकती है लेकिन रूस सप्लाई बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है।'
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क्या भारत की वजह से बढ़ रहा यूक्रेन युद्ध?
रूस और यूक्रेन की जंग शुरू हुए साढ़े तीन साल से ज्यादा समय हो गया है। ट्रंप और पश्चिमी देशों के कई नेता इसके लिए भारत को भी जिम्मेदार मानते हैं।
अब यूक्रेनी सांसद ओलेक्सीय गोंचारेंको ने एक नया दावा किया है। उन्होंने हाल ही में एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें दावा करते हुए लिखा है कि भारत का सस्ते दामों पर तेल खरीदना युद्ध को लंबा खींच रहा है। उन्होंने यूरोप से अपील की है कि वह अरबपति मुकेश अंबानी पर प्रतिबंध लगाए, जिनकी रिफाइनरी इन रूसी तेल की बड़ी खेप को प्रोसेस करता है।
अक्टूबर में ट्रंप ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों- Rosneft और Lukoil पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज रूसी तेल की सबसे बड़ी खरीदार मानी जाती है।
हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की प्रेस सचिव रह चुकीं इयूलीया मेंडेल ने कहा था कि भारत जो सस्ते में रूसी तेल खरीद रहा है, वह रूस की युद्ध लड़ने की क्षमता बढ़ाती है।
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भारत को तेल चाहिए
भारत अपनी तेल जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर तेल खाड़ी देशों से खरीदता था। मगर यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस सबसे बड़ा साझीदार बन गया। अब भारत की जरूरत का एक तिहाई कच्चा तेल रूस से ही आता है।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो रूस ने भारत को सस्ते में कच्चा तेल ऑफर किया। फोर्ब्स की रिपोर्ट बताती है कि कई बार तो रूस ने 35 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से भी तेल बेचा।
भारत के लिए सस्ते रूसी तेल ने सुरक्षा वॉल्व की तरह काम किया है। इससे सप्लाई बढ़ी, भारतीय रिफाइनरियों को मुनाफा हुआ और उसे उन झटकों से बचाया जो बाकी अर्थव्यवस्थाओं को हिला रहे थे।
सस्ते रूसी तेल से भारत को ही फायदा पहुंचा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि सस्ते रूसी तेल की वजह से 2022-23 में भारत को 4.87 अरब डॉलर की बचत हुई। 2023-24 में यह बचत और बढ़कर 5.41 अरब डॉलर हो गई।
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लेकिन भारत अकेला नहीं है
रूस से सस्ते में तेल खरीदने वाला भारत अकेला नहीं है। चीन अब भी रूस का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है। हालांकि, दुनियाभर की नजरों में भारत ही खटक रहा है।
दरअसल, ट्रंप और कई पश्चिमी नेता इस बात का दावा करते हैं कि भारत सस्ते में रूस से तेल खरीदता है और फिर उसे बाहर बेचकर मोटा मुनाफा कमाता है।
हालांकि, भारत का कहना है कि रूसी कच्चा तेल भारतीय रिफाइनरियों में प्रोसेस हो जाता है तो वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून के मुताबिक भारतीय उत्पाद माना जाता है, न कि रूसी। यूरोपियन यूनियन भी इस व्यवस्था को चुपचाप स्वीकार करता है, क्योंकि वहां की अर्थव्यवस्थाएं अभी भी इन ईंधनों पर निर्भर हैं।
क्या भारत को महंगा पड़ रहा सस्ता तेल?
भारत का सस्ते में रूसी तेल खरीदना क्या महंगा पड़ रहा है? सवाल इसलिए उठता है क्योंकि ऐसे दावे किए जाते हैं कि भारत के तेल खरीदने से रूस की वॉर मशीन मजबूत हो रही है।
फोर्ब्स के मुताबिक, यूक्रेनी सांसद ओलेक्सीय गोंचारेंको ने भारतीय अधिकारियों को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि 'भारत का सस्ता तेल खरीदना रूस को लड़ने के लिए एक और दिन दे देता है।'
इयूलीया मेंडेल ने चेतावनी दी है कि युद्ध की आर्थिक मार बहुत गंभीर है और रूस को संभाले रखने वाली हर सप्लाई कड़ी महत्वपूर्ण है। जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के अर्थशास्त्री जेनिस क्लुगे ने वॉशिंगटन पोस्ट से कहा कि अगर भारत या चीन तेल खरीद में अहम कमी करें, तो रूस के बजट पर बड़ा असर पड़ेगा।
इतना ही नहीं, रूसी तेल के कारण भारत के दूसरे देशों के साथ तनाव भी बढ़ रहे हैं। इसमें सबसे अमेरिका है। डोनाल्ड ट्रंप को कभी भारत का समर्थक माना जाता था लेकिन कुछ महीनों से रूसी तेल को लेकर उनका रवैया आक्रामक रहा है। उन्होंने भारतीय इम्पोर्ट पर जो 50% का टैरिफ लगाया है, उसमें से 25% पेनाल्टी के रूप में लगाया है, क्योंकि भारत रूसी तेल खरीदता है।
अब जैसे-जैसे युद्ध लंबा खिंचता जा रहा है, वैसे-वैसे यूक्रेन भी यूरोप से भारत को लेकर कुछ ठोस कदम उठाने की अपील कर रहा है।
हालांकि, इसका दूसरा पहलू एक यह भी है कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे, तो वैश्विक ईंधन कीमतें आसमान छू सकती हैं। भारत ने भी कई बार यह बात साफ की है। तेल की बढ़ती कीमतों का डर ही पश्चिमी देशों को भारत पर ज्यादा दबाव बनाने से रोकता है।
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