केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के स्टार्टअप को लेकर दिए एक बयान पर हंगामा खड़ा हो गया है। उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स की तुलना चीनी स्टार्टअप्स से की थी। पीयूष गोयल ने कहा था, भारत के स्टार्टअप्स का ध्यान सिर्फ फूड डिलिवरी ऐप्स पर है, जबकि चीन के स्टार्टअप्स टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं।
पीयूष गोयल ने कहा था, 'भारत के स्टार्टअप्स क्या कर रहे हैं? हमारा ध्यान फूड डिलिवरी ऐप्स पर है। हम बेरोजगारों को सस्ते लेबर में बदल रहे हैं, ताकि अमीरों को घर से बाहर निकले बिना खाना मिल सके।' उन्होंने कहा, 'चीन के स्टार्टअप इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। इसलिए चीन इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ईकोसिस्टम में बहुत आगे है।'
उन्होंने कहा, 'फैंसी आइसक्रीम और कूकीज बेच रहे हैं। हेल्दी आइसक्रीम, जीरो ग्लूटन फ्री और यह वीगन है। यह सब शब्द लगाकर अच्छी पैकेजिंग करके अपने आपको स्टार्टअप बोलते हैं। यह स्टार्टअप नहीं है। यह व्यवसाय है।'
गोयल ने आगे कहा, 'दूसरी तरफ चीन में सेमीकंडक्टर्स में ग्रोथ हो रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बनाई जा रही है। चिप्स और एआई मॉडल तैयार कर रहे हैं। भारत को क्या करना है? आइसक्रीम बनानी है या चिप्स बनानी है? इसके लिए हमें हिम्मत दिखानी होगी।'
यह भी पढ़ें-- ज्वेलरी पर असर, फार्मा बेअसर, टैरिफ से किस सेक्टर को होगा नुकसान?
पीयूष गोयल के बयान पर बवाल
पीयूष गोयल के बयान पर बवाल बढ़ गया है। कांग्रेस ने कहा, 'पीयूष गोयल खुद स्टार्टअप पर मोदी सरकार की पोल खोल रहे हैं।'
भारतपे के को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर ने कहा, 'भारत के राजनेताओं को रियलटी चेक की जरूरत है। उनके अलावा हर कोई वास्तविकता में जी रहा है। चीन ने भी शुरू में फूड डिलिवरी ऐप्स बनाई थीं, बाद में वे एआई की तरफ बढ़े। नौकरियां देने वालों की आलोचना करने से पहले राजनेताओं को भी अगले 20 साल तक 10% से ज्यादा की विकास दर से आगे बढ़ने की आकांक्षा रखनी चाहिए।'
जेप्टो के सीईओ आदित पालिचा ने लिखा, 'भारत के पास अपना एक बड़ा एआई मॉडल इसलिए नहीं है क्योंकि हमने अभी तक बेहतरीन इंटरनेट कंपनियां नहीं बनाई हैं।'
हालांकि, ओला के सीईओ भाविश अग्रवाल ने पीयूष गोयल के बयान से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि 'स्टार्टअप कम्युनिटी को इस पर सोचना चाहिए कि हम कंज्यूमर टेक कंपनी ही क्यों बना रहे हैं?'
भारत में क्या है स्टार्टअप का सिस्टम?
विकसित देशों की तुलना में भारत में भले ही स्टार्टअप्स कम हों लेकिन कुछ सालों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। केंद्र सरकार ने जनवरी 2016 में 'स्टार्टअप इंडिया' इनिशिएटिव शुरू किया था, जिसके बाद स्टार्टअप्स की संख्या काफी बढ़ी है। अब हर दिन औसतन 80 नए स्टार्टअप खड़े हो रहे हैं।
2016 तक भारत में महज 400 ही स्टार्टअप्स थे। अब इनकी संख्या बढ़कर डेढ़ लाख के पार चली गई है। स्टार्टअप इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अब तक डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) ने 1,69,255 स्टार्टअप्स को मान्यता दी है। दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत में ही है। इनमें से करीब 117 स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न हैं। यूनिकॉर्न स्टार्टअप उन्हें कहा जाता है, जिनकी मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर से ज्यादा होती है।
सबसे ज्यादा 27 हजार स्टार्टअप्स महाराष्ट्र में हैं। कर्नाटक और दिल्ली में 16-16 हजार स्टार्टअप्स हैं। उत्तर प्रदेश में 15 हजार जबकि गुजरात में 13 हजार स्टार्टअप्स हैं।
यह भी पढ़ें-- 43% तक महंगे हो जाएंगे iPhones? ट्रंप का टैरिफ US के लिए भी मुसीबत!
सबसे ज्यादा स्टार्टअप्स कहां?
स्टार्टअप इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आधे स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनमें कम से कम एक महिला डायरेक्टर है। रिपोर्ट बताती है कि 73 हजार से ज्यादा स्टार्टअप में कम से कम एक महिला डायरेक्टर है। इतना ही नहीं, 11 हजार 200 से ज्यादा स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनकी डायरेक्टर सिर्फ महिला ही है।
सबसे ज्यादा स्टार्टअप आईटी सर्विस में खुल रहे हैं। अब तक 17 हजार 900 से ज्यादा स्टार्टअप्स इसी इंडस्ट्री में खुले हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक, 2024 में ही 3,538 स्टार्टअप्स आईटी सर्विस में खुले हैं।
आईटी सर्विस के बाद सबसे ज्यादा सटार्टअप्स हेल्थकेयर और एजुकेशन में खुल रहे हैं। यह तीनों इंडस्ट्रियों में खुले स्टार्टअप्स ढाई लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी दे रहे हैं।
स्टार्टअप इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि हालिया सालों में कई और भी सेक्टर में स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। इनमें वेस्ट मैनेजमेंट सबसे बड़ा है। वेस्ट मैनेजमेंट के सेक्टर में खुलने वाले स्टार्टअप्स की संख्या 2020 से 2024 के बीच 55 गुना बढ़ गई है। 2024 में वेस्ट मैनेजमेंट में 1,327 नए स्टार्टअप खुले थे। इस सेक्टर में खुलने वाले स्टार्टअप्स में 14,300 से ज्यादा लोग काम करते हैं।
इसके अलावा टॉय और गेमिंग में भी स्टार्टअप खुल रहे हैं। 2024 में इस सेक्टर में 490 स्टार्टअप खुले थे। बायोटेक्नोलॉजी में भी पिछले साल 587 नए स्टार्टअप खुले हैं।
यह भी पढ़ें-- दूसरे देशों में टैरिफ लगाकर अमेरिका को 'Great' बनाएंगे ट्रंप? समझिए
नौकरियों और अर्थव्यवस्था में कितना योगदान?
भारत में खुलने वाले स्टार्टअप में लाखों लोगों को नौकरियां मिल रहीं हैं। केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि 2016 में स्टार्टअप में महज 217 लोग ही नौकरी कर रहे थे। उसके बाद से हर साल इसमें नौकरियां लगातार बढ़ रहीं हैं।
स्टार्टअप इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अब स्टार्टअप्स में 17.28 लाख से ज्यादा लोगों नौकरी कर रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत के 770 जिलों में स्टार्टअप्स हैं। हर स्टार्टअप से औसतन 11 लोगों को रोजगार मिल रहा है।
इसके अलावा, अर्थव्यवस्था में भी स्टार्टअप्स का बड़ा योगदान है। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, 2016 से 2024 के बीच स्टार्टअप्स ने 12 हजार से ज्यादा पेटेंट फाइल किए हैं। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि इससे सरकार को करीब एक हजार करोड़ रुपये मिले हैं। DPIIT ने इसी साल जनवरी में बताया था कि 2016 से 2024 के बीच स्टार्टअप्स को 147 अरब डॉलर की फंडिंग मिली है।
स्टार्टअप्स का भविष्य क्या है?
भारत तेजी से उभरता हुआ बाजार है, इसलिए स्टार्टअप्स का भविष्य भी काफी बेहतरीन है। पिछले साल मार्च में कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में दावा किया था कि 2030 तक भारत की इकोनॉमी में स्टार्टअप्स का योगदान 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा होगा। अभी अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप्स का योगदान 25 से 30 अरब डॉलर का है।
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी और इसमें 1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान स्टार्टअप्स होगा। इसके अलावा, 2030 तक करीब 300 स्टार्टअप्स ऐसे होंगे, जिनकी मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर से ज्यादा होगी।
इतना ही नहीं, इन स्टार्टअप्स से 5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा। इनमें से करीब 40-50 लाख नौकरियां सीधे स्टार्टअप से जुड़ी होंगी। जबकि 90 लाख से 1 करोड़ गिग वर्कर्स होंगे। यानी, ऐसे लोग जो डिलिवरी बॉय का काम करेंगे। वहीं, 3.5 से 4 करोड़ नौकरियां सप्लाई और वैल्यू चेन में होगी।