भारत ने चीन से आने वाले 5 सामानों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा दी है। भारत ने जिन चीनी सामान पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है, उनमें एल्युमिनियम फॉइल, ट्रायक्लोरो आइसोसाइनॉरिक एसिड, सॉफ्ट फेराइट कोरेस, वैक्यूम इंस्युलेटड फ्लास्क और पॉली विनाइल क्लोराइड शामिल है।
बताया जा रहा है कि भारत ने इन सामानों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी इसलिए लगाई है, क्योंकि इन्हें कम कीमत पर चीन से खरीदकर सस्ते दामों पर बेचा जा रहा था।
यह एंटी-डंपिंग ड्यूटी क्या है?
जब कोई विदेशी कंपनी अपने सामान को किसी देश में उसकी मार्केट वैल्यू से कम पर बेचती है तो इसे डंपिंग कहा जाता है। इस कारण लोकर प्रोड्यूसर या कंपनियों को घाटा होता है। ऐसी स्थिति में लोकल इंडस्ट्रीज को नुकसान से बचाने के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जाती है।
उदाहरण के लिए, भारत में प्रोडक्ट A की लागत 20 हजार रुपये है और इसे बाजार में 25 हजार पर बेचा जा रहा है। मगर चीन से यही प्रोडक्ट A 10 हजार रुपये में आ रहा है तो इससे लोकल प्रोड्यूसर्स को नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में सरकार एंटी-डंपिंग की जांच करती है और डंपिंग साबित होने पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाती है।
भारत में कॉमर्स मिनिस्ट्री की जांच एजेंसी डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडिज (DGTR) इसकी जांच करती है। DGTR समय-समय पर डंपिंग की जांच करती है।
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चीन के किस सामान पर कितनी ड्यूटी?
- चीन से आने वाली एल्युमिनियम फॉइल पर अगले 6 महीने के लिए 873 डॉलर प्रति टन की ड्यूटी लगाई गई है।
- ट्रायक्लोरो आइसोसाइनॉरिक एसिड पर 276 डॉलर से 986 डॉलर प्रति टन की एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है।
- इलेक्ट्रिक व्हीकल, चार्जर और टेलीकॉम डिवाइसेस में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्ट फेराइट कोरेस पर 35 फीसदी की ड्यूटी लगी है।
- वैक्यूम इंस्युलेटेड फ्लास्क पर 1,732 प्रति टन की एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगी है।
- चीन, कोरिया, मलेशिया, नॉर्वे, ताइवान और थाइलैंड से आने वाले पॉली विनाइल क्लोराइड पेस्ट पर 89 डॉलर से 807 डॉलर प्रति टन की ड्यूटी लगाई गई है।
इसका असर क्या होगा?
इसका असर यही होगा कि अब चीन से आने वाले यह पांच सामान भारत में सस्ती कीमत पर नहीं बिक सकेंगे। क्योंकि अब इन सामानों को भारत में बेचने पर चीनी कंपनियों को एंटी-डंपिंग ड्यूटी भी चुकानी पड़ेगी।
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क्या यह नियमों का उल्लंघन नहीं है?
ऐसे में सवाल उठता है कि एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाकर क्या भारत कारोबारी नियमों का उल्लंघन कर रहा है? तो इसका जवाब है नहीं। क्योंकि एंटी-डंपिंग ड्यूटी विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के हिसाब से लगाई जाती है। डंपिंग को रोकने के लिए WTO के नियमों के हिसाब से एक देश दूसरे देश पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा सकता है।