logo

ट्रेंडिंग:

ट्रंप के 'टैरिफ का तीर' अमेरिका को ही न लग जाए? क्या हो सकता है असर

अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आए हैं, तब से 'टैरिफ' कुछ ज्यादा ही चर्चा में आ गया है। ऐसे में जानते हैं कि टैरिफ का मतलब क्या होता है और इससे क्या असर पड़ता है? साथ ही यह भी जानेंगे कि क्या ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका को भी कुछ नुकसान हो सकता है?

donald trump

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। (Photo Credit: Facebook/DondaldTrump)

चीन पर 50% टैरिफ... कनाडा पर 25%... मेक्सिको पर 25% टैरिफ.... हम पर जितना टैरिफ लगाओगे, हम भी उतना टैरिफ लगाएंगे... भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ.... अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, तब से ही 'टैरिफ' सबसे ज्यादा चर्चा में बना हुआ है। दुनियाभर के शेयर बाजारों में जो गिरावट आ रही है, उसके पीछे भी इसी 'टैरिफ' का बड़ा हाथ माना जा रहा है।


डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और यूरोपीय देशों पर 'रेसिप्रोकल टैरिफ' लगाने का ऐलान किया है। रेसिप्रोकल टैरिफ यानी 'जैसे को तैसा'। इसका मतलब यह हुआ कि जो देश जितना टैरिफ अमेरिकी इम्पोर्ट पर लगाता है, उतना ही टैरिफ उसके इम्पोर्ट भी लगाया जाएगा।

 

यह भी पढ़ें-- अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ से भारत को कितना नुकसान कितना फायदा? समझें

आसान भाषा में समझें टैरिफ की ABCD

  • क्या है टैरिफ?: वैश्विक कारोबार में टैरिफ या कस्टम ड्यूटी का मतलब है- किसी सामान के इम्पोर्ट यानी आयात पर टैक्स लगाना।
  • टैरिफ कौन देता है?: अगर कोई कंपनी किसी देश से सामान आयात कर रही है तो उस पर लगने वाला टैरिफ वह अपने देश की सरकार को देगी। 
  • टैरिफ लगता क्यों है?: इसलिए ताकि डोमेस्टिक मार्केट में विदेश से आने वाला सामान सस्ती कीमत में न बिके। इससे लोकल मार्केट को बढ़ावा देने में मदद मिलती है और विदेशी सामान से कंपीटिशन कम करने में मदद मिलती है।
  • असर क्या होता है?: महंगाई बढ़ती है, क्योंकि आमतौर पर इसका खामियाजा ग्राहकों को भुगतना पड़ता है। टैरिफ ज्यादा देना पड़ता है तो विदेशी सामान की कीमत भी बढ़ जाती है।

यह भी पढ़ें-- भारत में एलन मस्क की एंट्री क्या मजबूरी है? समझें टेस्ला का पूरा प्लान

क्या ट्रंप की नीतियों से US को ही नुकसान?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा से आने वाले स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगा दिया है। अब तक 10% टैरिफ लगता था। ट्रंप ने इस टैरिफ को बढ़ाकर 50% तक करने की धमकी भी दी है। ट्रंप चीन पर भी 50% टैरिफ लगा चुके हैं। मेक्सिको पर 25% टैरिफ लगाया था, जिसे अभी लागू नहीं किया गया है।


हालांकि, ट्रंप के लिए टैरिफ को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना नया नहीं है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी टैरिफ लगा दिया था, जिसके बाद ट्रेड वॉर छिड़ गया था। उनके दूसरे कार्यकाल में भी टैरिफ की वजह से ट्रेड वॉर छिड़ गया है। कनाडा, मेक्सिको और चीन ने जवाबी टैरिफ लगा दिया है।


ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका को ही नुकसान होने का डर है। ट्रंप के टैरिफ की वजह से अमेरिका के शेयर मार्केट पहले से ही हिले हुए हैं। सेंटर फॉर स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की रिपोर्ट में लिखा है कि एकतरफा टैरिफ से अमेरिका में महंगाई बढ़ने का खतरा है। इससे न सिर्फ नौकरियां कम होंगी, बल्कि दुनिया में तनाव बढ़ने का खतरा भी है।


इसके अलावा, ट्रंप ने कनाडा से आने वाले एल्युमिनियम और स्टील पर 25% टैरिफ लगा दिया है। इससे इम्पोर्टेड स्टील और एल्युमिनियम का इस्तेमाल करने वाली अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ेगी। ट्रंप ने पहले कार्यकाल में भी ऐसा किया था, जिस कारण 2021 में इन कंपनियों का प्रोडक्शन 3.5 अरब डॉलर घट गया था।

 

यह भी पढ़ें-- 43% टूटे शेयर, $132 अरब घटी नेटवर्थ; कितनी मुसीबत में हैं एलन मस्क?

अमेरिकियों को कैसे हो सकता है नुकसान?

अमेरिका भले ही कितना भी ताकतवर हो लेकिन बहुत सारी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर है। एक रिपोर्ट की मानें तो 75% अमेरिकी चाइनीज फोन का इस्तेमाल करते हैं। ट्रंप ने अभी चीन पर 25% टैरिफ लगा दिया है। इससे अमेरिकियों के लिए फोन खरीदना महंगा हो सकता है। 


इसे ऐसे समझिए कि चीन से 100 डॉलर के मोबाइल फोन आते हैं। अब इस पर 25% टैरिफ का मतलब हुआ कि अमेरिकी कंपनी को 25 डॉलर टैक्स देना होगा। यानी, फोन की लागत बढ़ गई। इसके बाद अमेरिकी इम्पोर्टर कंपनी अपना मुनाफा और खर्च भी जोड़ेगा। इससे मोबाइल फोन की कीमत 200 डॉलर से ज्यादा पहुंच सकती है। फोन के अलावा चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामान और कंज्यूमर प्रोडक्ट भी महंगे हो जाएंगे। ट्रंप ने पहले कार्यकाल में जब चीन पर टैरिफ लगाया था तो वॉशिंग मशीन की कीमतें 12% तक बढ़ गई थीं।


इसी तरह मेक्सिको में बनीं 80% कारें अमेरिका जाती हैं। टैरिफ लगने से कारों की कीमत भी बढ़ सकती हैं। हालांकि, इससे मेक्सिको भी नुकसान है। क्योंकि उसका 80% सामान अमेरिका जाता है। उसकी जीडीपी 16% तक गिर सकती है।


वहीं, अमेरिका सबसे ज्यादा कच्चा तेल कनाडा से खरीदता है। टैरिफ के कारण अमेरिका में तेल की कीमतें 10 से 20 फीसदी तक बढ़ सकतीं हैं। ज्यादातर फल और सब्जियां भी कनाडा-मेक्सिको से आते हैं। ऐसे में फल और सब्जियां भी महंगी हो सकती हैं। इससे हर अमेरिकी परिवार पर सालाना 800 डॉलर का खर्च बढ़ सकता है। 

 

यह भी पढ़ें-- भारत आएगी मस्क की Starlink? जानें सैटेलाइट से कैसे चलेगा इंटरनेट

कहीं मंदी ही न आ जाए?

टैरिफ के कारण अमेरिका पर मंदी का खतरा भी मंडरा रहा है। हालांकि, ट्रंप ने मंदी की आशंकाओं को खारिज किया है। मंदी के डर के चलते 10 मार्च को अमेरिकी शेयर मार्केट हिल गया था। मार्केट गिरने से एक ही दिन में 1.7 ट्रिलियन डॉलर (करीब 150 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था।


अमेरिका-चीन और मेक्सिको के बीच 22 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा कारोबार होता है। यह पूरी दुनिया के कुल कारोबार का 15% है। अगर ट्रेड वॉर बड़ा होता है तो इससे अमेरिका में मंदी आ सकती है। और तो और अमेरिका में महंगाई दर भी बढ़कर 5 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap