छातापुर विधानसभा सीट सुपौल जिले में आती हैछातापुर, सुपौल के पूर्वी भाग में पड़ता है, जिसकी सीमाएं अररिया और मधेपुरा जिलों को छूती हैंइसके अलावा भारत-नेपाल सीमा यहां से पास हैयह पूरा इलाका कोसी नदी के बाढ़ क्षेत्र में आता है, बारिश के समय में छातापुर के कई इलाके बाढ़ के पानी की मार झेलते हैंहालांकि, यहां के लोगों ने कोसी के साथ में अपने आपको ढाल लिया हैज्यादातर ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित हैधान, मक्का और दालें यहाँ की प्रमुख फसलें हैं

 

यहां छातापुर सरकारी बस स्टैंड, सरकारी छातापुर अस्पताल, छातापुर ब्लॉल कार्यालय, सरकारी स्कूल मौजूद हैंयहां सरकारी अस्पताल होने की वजह से लोगों को इलाज के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ताछातापुर में प्रसिद्ध हनुमान और दहरिया का दुर्गा मंदिर हैंइसके अलावा यहां चकला मस्जिद भी मौजूद हैहालांकि, छातापुर में मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ में यहां उच्च शिक्षा के लिए ढांचे की मांग होती रही है

 

यह भी पढ़ें: त्रिवेणीगंज विधानसभा: RJD-JDU में टक्कर, इस बार कौन मारेगा बाजी?

मौजूदा समीकरण?

छातापुर विधानसभा सीट 2015 से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में हैयहां से नीरज कुमार सिंह लगातार तीन बार से विधायक विधायक हैंनीरज 2010 में छातापुर से जेडीयू के टिकट पर विधायक बने थेनीरज इससे पहले 2005 में भी एमएलए थे। 2020 में उन्होंने छातापुर से आरजेडी को हराया था। 2015 में जेडीयू-आरजेडी के मजबूत गठबंधन होने के बावजूद दोनों क्षत्रप पार्टियों को हरा दिया था। 2015 के चुनाव में नीरज कुमार ने आरजेडी के ज़हूर आलम को 9,292 वोटों से मात दी थीछातापुर विधानसभा सीट में अनुसूचित जाति और मुसलमान वोटरों की अच्छी-खासी तादात हैयहां अनुसूचित जाति 18.94 फीसदी और 24.1 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं

 

छातापुर पर नीरज कुमार सिंह की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती हैउनकी पकड़ को देखते हुए इस बात की उम्मीद है कि इस बार भी बीजेपी उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाएगीऐसे में आरजेडी को यहां से हराने के लिए नीरज कुमार सिंह के मुकाबले कोई मजबूत कैंडिडेट उतारना होगा

 

यह भी पढ़ें: रीगा विधानसभा सीटः BJP-JDU की दोस्ती फिर पड़ेगी RJD-कांग्रेस पर भारी?

2020 में क्या हुआ था?

छातापुर विधानसभा सीट पर 2020 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थीराष्ट्रीय जनता दल (RJD) दूसरे नंबर पर रही थीइस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू साथ मिलकर चुनाव लड़े थेबीजेपी के नीरज कुमार सिंह ने 46.39 फीसदी मत हासिल करते हुए 93,755 वोटों के साथ सीट पर कब्जा बरकरार रखा थाउन्होंने आरजेडी के विपिन कुमार सिंह को 20,635 वोटों के अंतर से हराया थायहां आरजेडी को 36.18 फीसदी वोट मिले थेवहीं, इस सीट पर असद्दुदीन औवैसी की पार्टी AIMIM के प्रत्याशी आलम को 1990 और बीएसपी के मोहम्मद मतीन अंसारी को 1762 वोट मिले थे

विधायक का परिचय

छातापुर के मौजूदा विधायक नीरज कुमार सिंह यहां से लगातार तीन बार से विधायक हैंवह यहां से सबसे पहले 2010 में जेडीयू के टिकट पर विधायक बने थेइसे पहले 56 साल के नीरज कुमार 2005 में जेडीयू के टिकट पर राघोपुर-सुपौल निर्वाचन क्षेत्र से उदय कुमार गोइत को हराकर विधायकी जीती थीबाद में वे जेडीयू छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गएनीरज कुमार सिंह सुपौल और इस क्षेत्र के मजबूत कपड़ वाले दिग्गज नेता माने जाते हैंनीरज कुमार सिंह इस समय नीतीश कुमार सरकार में मंत्री हैं

 

नीरज कुमार सिंह की पढ़ाई की बात करें तो ADR की रिपोर्ट के आधार पर वह अंडर ग्रेजुएट हैंवहीं, 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और कृषि हैपिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 14,08,53,117 रुपये की संपत्ति हैइसके अलावा उनके ऊपर 1,48,42,812 की देनदारियां हैं

विधानसभा सीट का इतिहास

छातापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सुपौल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जिसकी स्थापना 1967 में हुई थीशुरुआत में यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गयाइस पर अभी तक कुल 15 चुनाव हुए हैंइस सीट की संख्या 45 हैविधानसभा में छातापुर और बसंतपुर प्रखंड हैं

 

1967- कुंभ नारायण सरदार (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1969- कुंभ नारायण सरदार (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1972- कुंभ नारायण सरदार (कांग्रेस)

1977- सिताराम पासवान (जनता पार्टी)

1980- कुंभ नारायण सरदार (कांग्रेस)

1985- कुंभ नारायण सरदार (कांग्रेस)

1990- योगेंद्र नारायण सरदार (जनता दल)

1995- विश्व मोहन भारती (जनता दल)

2000- गीता देवी (आरजेडी)

2002- गौरी शंकर सरदार (आरजेडी)

2005- महेंद्र नारायण सरदार (आरजेडी)

2005- विश्व मोहन भारती (जेडीयू)

2010- नीरज कुमार सिंह (जेडीयू)

2015- नीरज कुमार सिंह (बीजेपी)

2020- नीरज कुमार सिंह (बीजेपी)