बिहार का लखीसराय जिला कभी धार्मिक केंद्र हुआ करता था। यहां पहाड़-चट्टानें, हिंदू देवी देवताओं और बौद्धों की मूर्तियां होती थीं। बुद्ध साहित्य में भी इस जगह का 'अण्पुरी' के रूप में जिक्र किया गया है, जिसका मतलब जिला होता है। यह पहले मुंगेर में ही हुआ करता था। साल 1994 में मुंगेर से अलग कर नया जिला बनाया गया था। इसलिए इसे प्राचीन काल में 'अंग देश' के नाम से भी जाना जाता था।
पाल शासकों के दौर में लखीसराय कुछ समय के लिए उनकी राजधानी भी था। पाल वंश ने 7वीं से 11वीं सदी तक यहां शासन किया था। जिले में पाल धरमपाल के समय के कई सबूत मिले हैं। सन 1161-1162 के मदन पाल का स्मारक बालगुदर में पाया गया था। चीनी यात्र ह्यूएन त्सांग ने बताया था कि यहां बौद्धों के 10 मठ हैं, जहां 400 से ज्यादा बौद्ध रहते हैं। यहां हिंदुओं के भी 10 मंदिर हैं।
माना जाता है कि भगवान बुद्ध भी चलीया पर्वत पर तीन साल यहां रहे, जो कृमिला नदी के किनारे पर है। कृमिला अब कील नदी में है और चलीया पर्वत को अब जैनगर पर्वत के नाम से जाना जाता है।
ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, इस क्षेत्र पर 11वीं सदी में मोहम्मद बिन बख्तियार ने हमला किया था। 15वीं सदी में शेरशाह ने कुछ समय के लिए यहां शासन किया। लखीसराय के सूरजगढ़ में 1534 में शेरशाह और मुगल शासक हुमायूं के बीच एक बड़ी लड़ाई भी हुई थी। इस युद्ध में शेरशाह सूरी ने हुमायूं को हराकर दिल्ली सल्तनत पर कब्जा कर लिया था। इसे 'सूरजगढ़ का युद्ध' कहा जाता है।
यह भी पढ़ें-- बिहार चुनाव 1995: EC ने ऐसा क्या किया कि लालू ने 'पागल सांड' कह दिया?
राजनीतिक समीकरण
लखीसराय में दो ही विधानसभा सीटें- लखीसरायर और सूर्यगढ़ा हैं। एक जगह बीजेपी तो दूसरी जगह आरजेडी का कब्जा है। लखीसराय सीट पर 1977 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे। तब से अब तक 11 बार चुनाव हो चुके हैं। यह सीट बीजेपी का गढ़ रही है। 2000 से 2020 तक हुए 6 चुनावों में से 5 में बीजेपी की जीत हुई है। यहां से डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा विधायक हैं। विजय कुमार सिन्हा इस सीट से चार बार के विधायक हैं।
वहीं, सूर्यगढ़ा विधानसभा में 1952 से अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। इनमें कांग्रेस, सीपीआई और आरजेडी ने 4-4 बार जीत चुकी है। 2000 से 2020 के बीच हुए 6 चुनावों में 4 बार आरजेडी और 2 बार बीजेपी की जीत हुई है। सूर्यगढ़ा में पिछली बार आरजेडी के टिकट पर प्रहलाद यादव ने जीत हासिल की थी। प्रहलाद यादव एक बार निर्दलीय और चार बार आरजेडी से चुनाव जीत चुके हैं।
हालांकि, अब सूर्यगढ़ा में समीकरण बदल गए हैं। वह इसलिए क्योंकि आरजेडी के टिकट पर 4 बार जीत चुके प्रहलाद यादव ने अब एनडीए से चुनाव लड़ने का एलान किया है। जुलाई में उन्होंने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली थी।
लखीसराय जहां विजय कुमार सिन्हा का गढ़ है। वहीं, प्रहलाद यादव के एनडीए में जाने से सूर्यगढ़ा में भी इस बार उलटफेर हो सकता है।
यह भी पढ़ें-- बिहार चुनाव 1990: नीतीश की चाल, BJP के साथ से लालू यादव कैसे बने मुख्यमंत्री?
विधानसभा सीटें:-
- लखीसराय: यह हाई प्रोफाइल सीट है, क्योंकि डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा यहां के विधायक हैं।लगातार तीन चुनाव से विजय कुमार सिन्हा ही यहां से जीत रहे हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के अमन राज को 10,483 वोटों से हराया था।
- सूर्यगढ़ा: इस सीट से प्रहलाद यादव विधायक हैं, जिन्होंने 2020 का चुनाव आरजेडी के टिकट पर लड़ा था। हालांकि, इस बार उन्होंने एनडीए से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। प्रहलाद यादव ने 2020 के चुनाव में जेडीयू के रामानंद मंडल को हराया था।
जिले की प्रोफाइल
लखीसराय की जनसंख्या 10 लाख से थोड़ी ही ज्यादा है। यहां कुल 3 नगर पालिका, 7 प्रखंड और 479 गांव है। जिले का क्षेत्रफल 1,228 वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या घनत्व 815 है। जिले में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की जनसंख्या 902 है। लखीसराय जिले की साक्षरता दर 64.42% है।
