तख्तापलट की साजिश में 27 साल की जेल की सजा काट रहे ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो की सजा कम हो सकती है। ब्राजील की संसद के निचले सदन में सजा कम करने वाला बिल पास हो गया है। इसे लेकर ब्राजील में जबरदस्त बवाल हो रहा है। रविवार को हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और इस बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन राजधानी ब्रासीलिया समेत साओ पाउलो, फ्लोरियनोपोलिस, सल्वाडोर और रेसिफ में हुए।
रियो डी जेनेरियो में प्रदर्शनकारियों ने इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया और 'कोई माफी नहीं' और 'ह्यूगो मोटा बाहर जाओ' के नारे लगाए। ह्यूगो मोटा ब्राजीलियाई संसद के निचले सदन चैंबर ऑफ ड्यूटीज के अध्यक्ष हैं। उन्होंने ही इस बिल को मंजूरी दी थी और अब यह बिल सीनेट में चला गया है।
ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो को तख्तापलट की साजिश समेत कई मामलों में 27 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। पिछले महीने ही उनकी यह सजा शुरू हुई है।
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ब्राजील में बिल को लेकर प्रदर्शन क्यों?
ब्राजील में जगह-जगह इस बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। रियो में विरोध प्रदर्शन में मौजूद 56 साल की एंटोनियो एडसन लीमा डी ओलिवेरा ने कहा, 'यह उन लोगों को बचाने की कोशिश है, जिन्होंने तख्तापलट की कोशिश की। ब्राजील में पहले भी कई तानाशाही रही हैं और वे देश के लिए बहुत बुरी थीं। हम नहीं चाहते कि ऐसा दोबारा हो।'
इन विरोध प्रदर्शनों में कैटानो वेलोसो और गिल्बर्टो गिल जैसे मशहूर संगीतकारों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान कई लोगों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था 'कांग्रेस लोगों की दुश्मन है'।
18 साल की लाविनिया स्कालिआ ने कहा, 'यह बहुत जरूरी है कि वे (संगीतकार) यहां हैं और लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि हमें सिर्फ गाने के लिए नहीं आना चाहिए। हमें असल में लड़ने के लिए आना चाहिए।'
क्या है यह बिल?
ब्राजील की संसद में यह बिल सांसद पॉलिन्हो दा फोर्का ने पेश किया था, जो निचले सदन चैंबर ऑफ ड्यूटीज से पास हो चुका है।
अगर यह बिल कानून बनता है तो इससे 8 जनवरी 2023 की हिंसा के मामले में दोषी ठहराए गए सभी लोगों की सजा कम हो जाएगी, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो भी शामिल है।
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कितनी कम हो जाएगी सजा?
यह बिल अगर कानून बन जाता है तो इससे बोल्सोनारो को दो अपराधों में मिली सजा को अलग-अलग की बजाय एक साथ चलाया जाएगा। उन्हें तख्तापलट की साजिश और लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने के अपराध में सजा सुनाई गई है।
बोल्सोनारो को अभी 27 साल 3 महीने की जेल की सजा मिली है। उनके साथ ही उनकी सरकार के कई मंत्रियों और जनरलों को भी सजा सुनाई गई है।
इसके अलावा, इस बिल में पैरोल से जुड़े नियमों को भी बदलने का प्रावधान किया गया है। मौजूदा कानून के मुताबिक, किसी अपराधी को पैरोल पर बाहर आने से पहले जेल में कम से कम 25% सजा पूरी करनी होती है। मगर यह बिल इसे घटाकर 16% तक कर देता है। इसका मतलब हुआ कि कुछ ही समय जेल में रहकर बोल्सोनारो पैरोल पर बाहर आ सकते हैं।

पॉलिन्हो ने बताया कि कानून बनने के बाद बोल्सोनारो की सजा घटकर 2 साल 4 महीने की हो जाएगी। यानी, 2 साल 4 महीने बाद वह पैरोल पर बाहर आ सकेंगे।
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क्या है पूरा मामला?
बोल्सोनारो 2019 में राष्ट्रपति बने थे। बोल्सोनारो 2022 का राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद उन्होंने सत्ता कायम रखने के लिए तख्तापलट की कोशिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बोल्सोनारो को ब्राजील के लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने के इल्जाम में दोषी ठहराया है। उन्हें ब्राजील की लोकतांत्रिक सरकार को हिंसक तरीके से उखाड़ फेंकने की कोशिश करने का दोषी माना है।
बोल्सोनारो पर यह भी आरोप लगा था कि चुनाव के बाद उन्होंने तख्तापलट की साजिश रची थी। इस साजिश में उन्होंने राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा, उपराष्ट्रपति जेराल्डो अल्कमिन और सुप्रीम कोर्ट के जज अलेक्सांद्रे दे मोराएस की हत्या करने की प्लानिंग भी थी। इतना ही नहीं, 2023 की शुरुआत में उन्होंने एक विद्रोह भड़काने की भी कोशिश की थी।
बोल्सोनोरो की 27 साल की सजा 26 नवंबर से शुरू हो गई है। वह अभी जेल में हैं। उनके वकील ने हाउस अरेस्ट की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।
क्या ट्रंप का भी है कनेक्शन?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बोल्सोनारो को बचाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हो सके। जुलाई में उन्होंने चिट्ठी लिखकर बोल्सोनारो के खिलाफ चल रहे मुकदमे को रद्द करने को कहा था। उन्होंने इस मुकदमे को 'विच हंट' करार दिया था। ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।
टैरिफ के अलावा ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट के जज मोराएस और कुछ ब्राजीलियन अधिकारियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, कुछ काम नहीं आया और उनके खिलाफ मुकदमा चलता रहा।

इसके बाद अमेरिका और ब्राजील के रिश्ते खराब हो गए थे। हालांकि, अक्टूबर में मलेशिया में ASEAN समिट के दौरान ट्रंप और लूला डा सिल्वा की मुलाकात हुई थी, जिसके बाद रिश्ते पटरी पर लौट आए थे।
मलेशिया में मुलाकात के बाद ट्रंप ने ब्राजील पर लगे टैरिफ को कम कर दिया था। उन्होंने कॉफी और बीफ सहित कई सामानों से टैरिफ कम कर दिया था। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के जज मोराएस पर लगे प्रतिबंध को भी हाल ही में हटा दिया गया है।
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क्या है आगे की राह?
बोल्सोनारो की सजा कम करने वाला बिल अभी निचले सदन में पास हुआ है। इसे अब सीनेट में भेजा गया है। अगर यह बिल यहां से पास भी हो जाता है तो इसे राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा की मंजूरी लेनी होगी। लूला ने कहा था वह इस बिल को वीटो कर देंगे।
अलागोस की फेडलर यूनिवर्सिटी में राजनीति की प्रोफेसर लुसियाना सैंटाना ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के बाद सीनेट में इस बिल में कुछ बदलाव भी हो सकते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल को लेकर जो माहौल निचले सदन में था, वैसा सीनेट में नहीं है। यानी हो सकता है कि यह बिल सीनेट में अटक जाए।
