अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों चीन के साथ में दुनिया के 60 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया। चीन को छोड़कर बाकी के देश अमेरिका के साथ में बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे है लेकिन ड्रैगन ट्रंप के हर कदम का पलटवार कर रहा है। अमेरिका ने सबसे पहले चीन के ऊपर 34 फीसदी का टैरिफ लगाया, इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका के आयात होने वाले सामानों पर टैक्स बढ़ा दिया। चीन के इस कदम से खिन्नाए ट्रंप ने लगातार टैरिफ बढ़ाते हुए चीन के ऊपर 245 फीसदी का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया है। 

 

दोनों महाशक्तियों के बीच चल रहे ट्रेड वॉर का असर दुनियाभर के शेयर मार्केट पर दिखाई दिया है। मगर इस बीच अब चीन बीच का रास्ता तलाश रहा है। अमेरिका के भी सुर चीन को लेकर नरम पड़े हैं। दरअसल, चीन ने अमेरिका के साथ कुछ शर्तों के साथ में ट्रेड टॉक फिर से शुरू करने की इच्छा जताई। चीन ने अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि वह 'लड़ने से नहीं डरता'। हालांकि, चीन ने कहा कि अगर अमेरिका इस मामले को सुलझाना चाहता है, तो उसे समानता, सम्मान और एक दूसरे के फायदे के आधार पर बात करनी चाहिए। 

 

धमकी देना बंद करे अमेरिका- चीन

 

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, 'अगर अमेरिका वास्तव में इस मुद्दे को हल करना चाहता है, तो उसे धमकी देना बंद कर देना चाहिए और समानता, सम्मान और पारस्परिक फायदे के आधार पर चीन से बात करनी चाहिए।' वहीं, चीन ने अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर के विवाद के बीच ही बुधवार को अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार नियुक्त कर दिया। चीन ने यह कदम अमेरिका के उस बयान के बाद उठाया है जिसमें डोनाल्ड ट्रंप कहा था कि टैरिफ गतिरोध को खत्म करने के लिए समझौता करने की जिम्मेदारी अब चीन पर है। दरअसल, चीन को अब अमेरिका में आयात पर 245% तक टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।

 

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चीन ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार नियुक्त किया

 

चीनी वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, ली चेंगगांग को वांग शॉवेन की जगह अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार नियुक्त किया गया है। शॉवेन ने चीन और अमेरिका के बीच 2020 के व्यापार समझौते के लिए व्यापार वार्ता में चीन का प्रतिनिधित्व किया था। विश्लेषकों का कहना है कि ली चेंगगांग की नियुक्ति को चीन पर भारी टैरिफ के बीच ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत शुरू करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

 

घटनाओं पर नजर बनाए हुए है विश्व व्यापार संगठन

 

चीन और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड वॉर पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) बारीक नजर बनाए हुए है। अमेरिका द्वारा लागू की गई नई टैरिफ पॉलिसी ने दुनियाभर के बिजनेस को गंभीर संकट में डाल दिया है। विश्व व्यापार संगठन ने ट्रंप के लगाए गए टैरिफ को लेकर कहा है कि इससे आने वाले समय में वैश्विक व्यापार में गिरावट आएगी। संगठन का कहना है कि 2025 में दुनिया भर में वस्तुओं का व्यापार 0.2 फीसदी तक घट सकता है। 

 

क्या कहती है WTO की रिपोर्ट?

 

मगर इन सबके बीच विश्व व्यापार संगठन ने कहा है कि 2025 में वैश्विक व्यापार में 0.2% की गिरावट होगी। हालांकि, साल 2026 में इसमें हल्की रिकवरी संभव है, जो 2.5 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसके मुकाबिक, 2025 में निर्यात में 12.6 फीसदी की गिरावट का अनुमान है, जबकि ट्रेड वॉर का कम विकसित देशों पर सबसे बुरा असर पड़ सकता है।

 

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ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी बनी वजह

 

विश्व व्यापार संगठन ने कहा है कि अमेरिका की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति ने व्यापारिक अनिश्चितता को और गहरा किया है। अप्रैल की शुरुआत में ट्रंप ने 180 से अधिक देशों पर भारी आयात शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसका चीन पर सबसे ज्यादा असर हुआ है। अमेरिक ने चीन पर फिलहार 245 फीसदी टैरिफ लगाया है, इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 125 फीसदी तक का रिटालिएटरी टैरिफ लगाया है।

 

फिलहाल अमेरिका ने 90 दिनों की छूट देते हुए ज्यादातर देशों पर टैरिफ 10 फीसदी तक घटाए हैं, ताकि सभी के साथ बातचीत का रास्ता खुला रहे।

 

अगर टैरिफ फिर बढ़े तो क्या होगा?

 

विश्व व्यापार संगठन का मानना है कि अगर अमेरिका ने फिर से पूरी तरह से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए, तो वैश्विक व्यापार 0.6% और गिर सकता है। हालांकि, भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए मौका। दरअसल, अमेरिका चीन से कम सामान मंगाएगा, ऐसे में भारत, बांग्लादेश, वियतनाम जैसे विकासशील देशों को नए अवसर मिल सकते हैं, खासकर टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स जैसे सेक्टर्स में।