चीन ने अमेरिका की पेंटागन रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन भारत के साथ सीमा पर तनाव कम करके अमेरिका-भारत के रिश्तों को कमजोर करना चाहता है। चीन ने इसे झूठा और गलत बताया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में पत्रकारों से कहा, 'पेंटागन की यह रिपोर्ट चीन की रक्षा नीति को गलत तरीके से पेश करती है। यह चीन और दूसरे देशों के बीच झगड़ा पैदा करने की कोशिश करती है। इसका मकसद अमेरिका को अपनी सैन्य ताकत बनाए रखने का बहाना देना है।’ उन्होंने कहा कि चीन इस रिपोर्ट का सख्त विरोध करता है।
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने भी रिपोर्ट को पक्षपाती बताया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में चीन की सैन्य ताकत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, जिससे दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने अमेरिका से कहा कि झूठी बातें फैलाना और झगड़ा भड़काना बंद करे। रिपोर्ट में चीन-पाकिस्तान के बीच बढ़ते रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग का भी जिक्र था, साथ ही पाकिस्तान में चीन के सैन्य अड्डे की संभावना का। झांग ने इन बातों को भी गलत बताया।
यह भी पढ़ें: दीपू, श्याम के बाद बांग्लादेश में अब अमृत की हत्या, भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला
भारत-चीन रिश्तों पर चीन का पक्ष
रिपोर्ट में भारत-चीन रिश्तों के बारे में कहा गया था कि चीन सीमा पर तनाव कम करके भारत से रिश्ते सुधारना चाहता है, ताकि भारत और अमेरिका करीब न आएं। लिन जियान ने इसका जवाब देते हुए कहा कि चीन भारत के साथ रिश्तों को लंबे समय और बड़ी सोच से देखता है।
उन्होंने कहा, 'हम भारत के साथ बातचीत बढ़ाने, एक-दूसरे पर भरोसा बनाने, सहयोग बढ़ाने और मतभेदों को सही तरीके से सुलझाने के लिए तैयार हैं। हम दोनों देशों के बीच अच्छे और स्थिर रिश्ते चाहते हैं।’ सीमा के मुद्दे पर लिन ने कहा कि यह सिर्फ चीन और भारत के बीच का मामला है। वर्तमान में सीमा की स्थिति स्थिर है और दोनों देशों के बीच बातचीत के रास्ते खुले हैं।
पेंटागन रिपोर्ट में क्या कहा गया?
अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) की सालाना रिपोर्ट का नाम है 'मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वॉल्विंग द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना 2025'। इसमें कहा गया कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करके भारत से रिश्ते स्थिर करना चाहता है, ताकि अमेरिका और भारत के रिश्ते और मजबूत न हों।
रिपोर्ट में अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात का भी जिक्र है। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने अपने 'कोर इंटरेस्ट्स' (मुख्य हितों) की परिभाषा बढ़ाई है, जिसमें ताइवान, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: 1971 का जिक्र, नए बांग्लादेश का सपना, 17 साल बाद लौटे तारिक ने बताया अपना प्लान
सैन्य अड्डा बनाने की बात
रिपोर्ट ने चीन-पाकिस्तान के बीच रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग को भी उजागर किया और कहा कि चीन पाकिस्तान में सैन्य अड्डा बनाने पर विचार कर रहा है। यह रिपोर्ट 23 दिसंबर 2025 को जारी की गई थी। चीन ने इसे पूरी तरह गलत और भड़काऊ बताया है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चल रहा है, लेकिन हाल के महीनों में तनाव कम करने की कोशिशें हुई हैं।
