टैरिफ वॉर, प्रवासियों का डिपोर्टेशन, छात्रों को बिना पूर्व सूचना सेल्फ डिपोर्टेशन नोटिस भेजना और अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की फंडिंग फ्रीज करना- डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के साथ ही अमेरिका की नीतियों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। ऐसा लगता है कि ट्रंप एक बार फिर अपनी सख्त नीतियों को जनता पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं। ताजा मामला हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़ा है, जहां न केवल फंडिंग पर रोक लगा दी गई है, बल्कि अब विश्वविद्यालय को मिलने वाली टैक्स छूट पर भी विचार किया जा रहा है। इस फैसले का सबसे बड़ा असर वहां पढ़ रहे विदेशी छात्रों पर पड़ सकता है। वे छात्र जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जी हां, अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी छात्र देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। आसान भाषा में समझें तो ये छात्र अपने खर्चों जैसे ट्यूशन फीस, रहने-खाने, यात्रा के जरिए अमेरिका को अरबों डॉलर का फायदा पहुंचाते हैं लेकिन कैसे आइए, इसे पॉइंट-बाय-पॉइंट समझते हैं...
कितना पैसा कमाता है अमेरिका?
NAFSA की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, साल 2023-2024 में अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों ने देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 43.8 बिलियन डॉलर यानी 3.6 लाख करोड़ रुपये का बड़ा योगदान दिया। इस दौरान अमेरिका में करीब 11 लाख विदेशी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ये छात्र न केवल ट्यूशन फीस भरते हैं, बल्कि रहने, खाने, कपड़े, किताबें, ट्रैवल और मनोरंजन जैसी जरूरी चीजों पर भी खर्च करते हैं। इन खर्चों के जरिए वे अमेरिका की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं।
यह भी पढे़ं: अमेरिका जाने वाले सावधान, एयरपोर्ट पर फोन और लैपटॉप भी चेक हो सकता है
विदेशी छात्रों को मिलती हैं नौकरी
विदेशी छात्रों के खर्च से अमेरिका में लगभग 3.78 लाख नौकरियां पैदा होती हैं या उन्हें बनाए रखने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, जब कोई विदेशी छात्र हॉस्टल में रहता है या बाहर खाना खाता है, तो उस सुविधा से जुड़े कर्मचारियों की नौकरी चलती रहती है जिससे स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलता है।
किस-किस चीज में योगदान?
विदेशी छात्र घरेूल छात्रों से ज्यादा फीस देते हैं। उदाहरण के लिए, एक यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्र की सालाना फीस 30 हजार से 60 हजार डॉलर हो सकती है, जबकि स्थानीय छात्र कम फीस देते हैं। विदेशी छात्र हॉस्टल, अपार्टमेंट या होटल में रहते हैं और रोजमर्रा की चीजों पर खर्च करते हैं। वे घूमने-फिरने, शॉपिंग और ट्रैवल पर पैसा खर्च करते हैं जिससे टूरिज्म और स्थानीय बिजनेस को फायदा होता है। यहां तक कि किताबें , लैपटॉप, फोन, बीमा और मेडिकल खर्चों से भी अमेरिका को अच्छा खासा फायदा होता है।
यह भी पढ़ें: अमेरिका जाने की सनक में किया विमान हाईजैक, पैसेंजर ने मार दी गोली
कौन से राज्य से सबसे ज्यादा फायदा?
कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, मैसाचुसेट्स, टेक्सास और इलिनोइस जैसे राज्यों में सबसे अधिक विदेशी छात्र पढ़ते हैं, जिसके कारण इन राज्यों की अर्थव्यवस्था को भी सबसे अधिक लाभ होता है। इन राज्यों में स्थित प्रमुख विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में भारी संख्या में अंतरराष्ट्रीय छात्र दाखिला लेते हैं, जो अपनी पढ़ाई के दौरान ट्यूशन फीस, हॉस्टल, भोजन, परिवहन और अन्य जरूरतों पर बड़ा खर्च करते हैं। इसका सीधा फायदा इन राज्यों की स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार प्रणाली को होता है।
केवल बड़े यूनिवर्सिटी ही नहीं, छोटे कॉलेज और स्पेशल प्रोग्राम भी विदेशी छात्रों से अच्छा खासा लाभ कमाते हैं। सामुदायिक कॉलेजों में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने 2 बिलियन डॉलर का आर्थिक योगदान दिया और करीब 8,400 नौकरियां पैदा कीं। इसी तरह, अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए आने वाले छात्रों ने 371 मिलियन डॉलर का योगदान दिया और 2,691 नौकरियां पैदा की। इससे साफ पता चलता है कि विदेशी छात्र अमेरिका के लिए हर स्तर पर आर्थिक रूप से फायदेमंद हैं।
लंबे समय का फायदा
विदेशी छात्र, खासकर STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स के सेक्टर में पढ़ाई करने वाले छात्र, रिसर्च और इनोवेशन में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके रिसर्च से नई खोजें और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलता है, जो अमेरिका की साइंस टे के लिए जरूरी है। पढ़ाई पूरी करने के बाद, कई छात्र H-1B वीजा लेकर अमेरिका में नौकरी करते हैं, खासकर टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर्स में, जहां उनकी भारी मांग रहती है।
यह भी पढ़ें: 'वह मुझे बहुत पसंद हैं', इटैलियन PM मेलोनी के फैन हुए डोनाल्ड ट्रंप
भारत से कितने छात्र?
IIE की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 2023-2024 में लगभग 3.3 लाख भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ रहे थे, जो कुल विदेशी छात्रों को बड़ा हिस्सा है। भारतीय छात्र अकेले अरबों डॉलर का योगदान देते हैं, खासकर इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस जैसे सेक्टर में।
देश जहां से विदेशी छात्र आते हैं US
अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की सबसे बड़ी संख्या भारत और चीन से आती है। इस समय भारत से लगभग 3.3 लाख छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं, जो कुल विदेशी छात्रों का करीब 30% है और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, चीन से लगभग 3 लाख छात्र अमेरिका में रिसर्च कर रहे हैं, जो कुल का करीब 27% है। इसके अलावा, दक्षिण कोरिया से लगभग 50,000 से 60,000, कनाडा से 30,000 से 40,000 और वियतनाम से करीब 25,000 से 30,000 छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि एशियाई देशों से आने वाले छात्र अमेरिकी एजुकेशन सिस्टम में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
आसान भाषा में समझाए तो विदेशी छात्र अमेरिका की इकॉनोमी के लिए सोने की मु्र्गी जैसे हैं। वे न केवल पैसा लाते है, बल्कि, नौकरियां, नई रिसर्च और टूरिज्म सेक्टर में भी अहम भूमिका निभाते है। हालांकि, अब अमेरिक की सख्त वीजा पॉलिसी और छात्रों को अचानक डिपोर्ट किए जाने से अमेरिका को दिक्कतें आ सकती है।