पहलगाम अटैक के बाद सिंधु जल संधि रोकने का असर अब दिखने लगा है। पाकिस्तान का पानी रोकने के लिए भारत ने चेनाब नदी पर बने बगलिहार और सलाल डैम के गेट बंद कर दिए थे। इस कारण अब चिनाब नदी सूखने लगी है। हालांकि, इससे नदी में रहने वाली मछलियों पर असर न पड़े, इसलिए सलाल और बगलिहार डैम के सिर्फ एक गेट से पानी छोड़ा जा रहा है।


नई तस्वीरों से पता चल रहा है कि चिनाब नदी पर बने सलाल और बगलिहार डैम के सभी गेट बंद कर दिए गए हैं। इस कारण पाकिस्तान के सियालकोट में चिनाब नदी में पानी का लेवल और घटकर 15 फीट पर आ गया है।

 


22 अप्रैल को हुए पहलगाम अटैक के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के इस फैसले को 'ऐक्ट ऑफ वॉर' बताया था। 

 

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पाकिस्तान पर होगा बुरा असर

पानी रोकने से पाकिस्तान पर बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि उसकी 80 फीसदी खेती इसी पानी पर निर्भर है। पाकिस्तान की इंडस रिवर वाटर अथॉरिटी (IRSA) ने चेतावनी दी है कि अगर यही हालात बने रहे तो खरीफ सीजन (मई-सितंबर) में पानी की 21% कमी हो सकती है। खरीफ सीजन में पाकिस्तान में धान, मक्का और कपास जैसी फसलें बोई जाती हैं।


यह चेतावनी इसलिए दी है, क्योंकि पाकिस्तान के हिस्से वाली चेनाब नदी में पानी का स्तर कम होने लगा है। IRSA ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अर्ली खरीफ सीजन यानी मई से 10 जून के बीच पानी की 21% कमी हो सकती है, जबकि लेट खरीफ सीजन यानी 11 जून से सितंबर तक 7% की कमी होने की आशंका है।

 

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लोग बोले- हम सेना के साथ खड़े

पाकिस्तान का पानी रोकने पर स्थानीय लोगों ने भी खुशी जताई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे नहीं चाहते कि पाकिस्तान को पानी की एक बूंद भी दी जाए।

 

यहां के रहने वाले कल्याण सिंह ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, 'पहले चिनाब नदी 25-30 फीट की ऊंचाई पर बहती थी लेकिन अब यहां मुश्किल से 1.5-2 फीट पानी बचा है। हम नहीं चाहते कि पाकिस्तान को पानी एक बूंद भी दी जाए। हम सभी भारतीय सेना और पीएम मोदी के साथ खड़े हैं।'

 


एक और स्थानीय ने कहा, 'पाकिस्तान के बुरे दिन आने वाले हैं, क्योंकि वे समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वे क्या कर रहे हैं। पाकिस्तान बर्बादी के रास्ते पर चल रहा है।'


एक स्थानीय ने कहा, 'ऐसा लगता है कि अब पाकिस्तान को फिर सबक सिखाने की जरूरत है। अगर वे इसी तरह चलते रहे तो युद्ध होगा। भारत कितना बर्दाश्त करेगा?'

 

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क्या है सिंधु जल संधि?

वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। यह संधि इसलिए हुई थी, ताकि सिंधु नदी और उसकी 5 सहायक नदियों- सतलुज, रावी, ब्यास, झेलम और चिनाब के पानी का बंटवारा हो सके। दोनों देश अपनी कृषि और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी का इस्तेमाल कर सकें।


संधि के तहत, पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चेनाब का लगभग 80% पानी पाकिस्तान को मिला। भारत इन नदियों की सीमित इस्तेमाल कर सकता है। इन नदियों के 13.5 एकड़ फीट पानी का पाकिस्तान इस्तेमाल करता है। पूर्वी नदियां- रावी, ब्यास और सतलुज का पूरा नियंत्रण भारत के पास है। इन नदियों के 3.3 एकड़ फीट पानी का भारत बिना रोक-टोक इस्तेमाल कर सकता है। भारत को पाकिस्तान के साथ पानी के प्रवाह का डेटा साझा करना होता है। साथ ही एक सिंधु जल आयोग बना, जिसकी बैठकें होती रहती हैं।


भारत ने फिलहाल सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। भारत इस संधि से पूरी तरह से हट नहीं सकता, क्योंकि इसमें वर्ल्ड बैंक भी शामिल है। संधि से बाहर निकलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। संधि को स्थगित करके भारत अब इसके नियम मानने को बाध्य नहीं है।